साढ़े चार दशक से अस्तित्व तलाश रहा बलिया का एक गांव
वर्तमान मे टकरसन गांव की आबादी लगभग 6000 है। इसी ग्राम पंचायत का राजस्व गांव टेकपुर जिसका वास्तविक क्षेत्रफल सौ बीघे से भी ज्यादा है। पूर्व मे लिखी खबर मे इसे 70 -
By JagranEdited By: Updated: Fri, 07 Dec 2018 10:36 PM (IST)
डॉ.रवीन्द्र मिश्र
........... बलिया : जिला मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर है यह गांव। नाम है--टेकपुर। लगभग सौ बीघे से भी अधिक क्षेत्रफल में आबाद है राजस्व गांव टेकपुर लेकिन करीब 45 वर्षों से गांव वालों के पास अपना कहने को एक इंच भी जमीन नहीं है। है न हैरान कर देने वाली खबर। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि करीब साढ़े चार दशक से इस गांव के सभी राजस्व और भू-अभिलेख गुम हैं। ऐसे में लोग जमीन होते हुए भी वह उनकी है, इसका कोई प्रमाण नहीं दे पा रहे हैं। इस गांव की आबादी लगभग 6000 है। ग्राम टेकपुर में लगभग पूरे रकबे पर खेती ही होती है। कुछ मकान भी बने हैं। भू-अभिलेख गुम हो जाने व जमीन विवादित होने की वजह से दशकों से इस गांव का विकास नहीं हो पाया। टकरसन ग्राम पंचायत के राजस्व ग्राम टेकपुर के भूमि संबंधी समस्त अभिलेख सन 1972 की चकबंदी के बाद से ही गायब हैं। एक ऐसे दौर में जब सरकार श्रावस्ती माडल व समाधान दिवस जैसे आयोजनों से प्रदेश के राजस्व विवादों को दूर करने की दिशा में प्रयासरत है। टेकपुर राजस्व ग्राम के भूमि संबंधी समस्त अभिलेख कई वर्षों से नहीं मिल रहें हैं। इस राजस्व ग्राम की न ही खतौनी मिलती है और न ही इससे जुड़े कोई बंदोबस्ती दस्तावेज। ऐसी परिस्थिति में इस मौजे के अंतर्गत आने वाली भूमि संबंधी किसी भी समस्या का हल महज इसलिए नहीं हो पाता क्योंकि यहां का कोई दस्तावेज कहीं उपलब्ध नहीं है। न तो सदर तहसील के अभिलेखागार में और न ही जिला अभिलेखागार में।
चकबंदी के अधिकारी कहते हैं कि इस विभाग ने चकबंदी के समस्त प्रपत्र तहसील को सुपुर्द करा दिए हैं। उधर तहसील के जिम्मेदारों का कहना है कि उसने टेकपुर से संबंधित प्रपत्र कभी रिसीव ही नहीं किए। बस इसी हाल में 45 वर्षो से टेकपुर के ग्रामीण अपनी भूमि के मालिकाना हक को लेकर परेशान हैं और सरकारी तंत्र सबकुछ जानकर भी मौन, क्योंकि उसके पास अभिलेख ही नहीं हैं। --नक्शा बंदोबस्त कुछ उपलब्ध नहीं
आम तौर पर किसी भी जमीन के कागजात जैसे खसरा, बंदोबस्ती अभिलेख व नक्शे उक्त जमीन के कास्तकारों के पास भी उपलब्ध होते हैं जिनके आधार पर उक्त भूमि की एक नवीन अभिलेखीकरण किया जा सकता था लेकिन काफी खोजबीन के बाद भी टेकपुर के जमीन के संबंध मे कोई अभिलेख प्राप्त नहीं किया जा सका।
--हर प्रयास विफल टेकपुर की जमीन को लेकर कई वर्ष पहले एक समर्पित लेखपाल कलेक्टर गिरि ने कुछ कथित अभिलेख व मौके की व्यवस्था के हिसाब से एक नई बंदोबस्ती बनाने का प्रयास किया था। इस कोशिश के शुरुआती दौर में ही काश्तकारों में भूमिधरी को लेकर असंतोष पनपने लगा और देखते ही देखते विवाद के स्वर उठने लगे। इसके बाद उक्त लेखपाल ने तत्काल सभी प्रक्रिया बंद कर दी और व्यवस्था ज्यों की त्यों रह गई। --क्या कहते हैं नियम नियमानुसार यदि किसी ग्राम पंचायत अथवा विशेष भूमि के अभिलेख गायब हो जाते हैं तो उसके लिए तहसील द्वारा जिलाधिकारी के माध्यम से राजस्व परिषद को उक्त भूमि के अभिलेखों के पुनर्गठन की संस्तुति की जाती है। जिसके बाद राजस्व परिषद संबंधित विषय की समीक्षा कर उसके संबंध में आदेश जारी करती है। परिषद के आदेश पर राजस्व टीम उक्त भूमि की नवीन पद्धति से पैमाइश कराती है। पड़ोस के मौजों के रकबे से संतुलन स्थापित कर गांव की भूमि के नए अभिलेख तैयार करती है। ¨कतु दुर्भाग्य से राजस्व गांव टेकपुर की जमीन के संबंध में अभी तक कोई भी ठोस व कारगर पहल नहीं की गई। इनसेट ..... जल्द ही अस्तित्व में आएंगे टेकपुर के अभिलेख : एसडीएम अभी कुछ दिनों पूर्व ही सदर तहसील का कार्यभार ग्रहण करने वाले उप जिलाधिकारी अश्विनी कुमार श्रीवास्तव ने राजस्व ग्राम टेकपुर के भू-अभिलेख गुम होने के मामले को गंभीर बताया। बोले, मैंने अभी कुछ दिनों पूर्व ही सदर तहसील का दायित्व ग्रहण किया है। कोशिश होगी कि जल्द से जल्द टकरसन ग्राम पंचायत के राजस्व ग्राम टेकपुर के भू-अभिलेख अस्तित्व में आ जाएं।
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