हार को पचा नहीं पा रही भाजपा… इस सीट पर हैट्रिक से चूका कमल, पूर्व पीएम के बेटे को दिया था टिकट
परिणाम आने के बाद से ही कोई टिकट बंटवारा तो कोई विपक्षियों के संविधान बचाओ दांव को सबसे बड़ा कारण बता रहा है। बलिया लोकसभा सीट की हार को भाजपा पचा नहीं पा रही है। अधिसंख्य सियासी दिग्गज हार के कारणों पर जहां मंथन करने में जुटे हुए हैं तो वहीं भाजपा अभी शीर्ष नेतृत्व के निर्णय के इंतजार में है। पढ़िए रिपोर्ट-
जागरण संवाददाता, बलिया। बलिया लोकसभा सीट की हार को भाजपा पचा नहीं पा रही है। अधिसंख्य सियासी दिग्गज हार के कारणों पर जहां मंथन करने में जुटे हुए हैं तो वहीं भाजपा अभी शीर्ष नेतृत्व के निर्णय के इंतजार में है।
परिणाम आने के बाद से ही कोई टिकट बंटवारा तो कोई विपक्षियों के संविधान बचाओ दांव को सबसे बड़ा कारण बता रहा है। 2014 में पहली बार खिला कमल हैट्रिक नहीं लगा सका। सपा छोड़ भाजपा में आए पूर्व मंत्री नारद राय का भी जादू नहीं चल पाया है। हालांकि, वह अपने बूथ पर भाजपा को जिताने में सफल रहे, जबकि भाजपा जिलाध्यक्ष संजय यादव खुद अपने बूथ पर ही चुनाव हार गए हैं।
आठ बार सांसद रहे चंद्रशेखर
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर इस सीट पर लगातार आठ बार सांसद रहे हैं। उनके रहते इस सीट पर विपक्ष के लोग भी प्रत्याशी उतारने से कतराते थे। उनके निधन के बाद बेटे नीरज शेखर को सपा ने मैदान में उतारा था।दो बार सपा से सांसद निर्वाचित हुए जबकि 2014 में भाजपा के भरत सिंह से चुनाव हार गए थे। भाजपा ने पहली बार नीरज शेखर को टिकट दिया था। भाजपा और सपा में सीधी टक्कर होने के कारण वह इस बार चुनाव हार गए। हार के कारणों को लेकर भाजपा के लोग मंथन में जुटे हुए हैं।
सीट से जुड़ी इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा
इस सीट से पंचायती राज मंत्री ओम प्रकाश राजभर, परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री दानिश आजाद अंसारी की प्रतिष्ठा जुड़ी थी। साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री की सीट होने के कारण सबसे अधिक चर्चित भी रही है। भाजपा नेताओं का कहना है कि अभी इसकी समीक्षा राष्ट्रीय, प्रांतीय एवं लोकसभा क्षेत्र स्तर पर की जाएगी। अधिसंख्य लोग टिकट बंटवारा को ही कारण बता रहे हैं।
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