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यूपी के इस ज‍िले में खलिहान और ग्रामसभा की भूमि पर बने चार भवनों पर गरजा बुलडोजर, लोगों की आंखों से छलके आंसू

यूपी के बल‍िया में खलिहान और ग्रामसभा की भूमि पर बने भवनों पर शुक्रवार को बुलडोजर चलाया गया। इसको लेकर गौरा गांव में अफरा-तफरी मची रही। उच्च न्यायालय के आदेश पर सुबह पहुंची मजिस्ट्रेट और पुलिस की टीम ने कार्रवाई शुरू कि तो अतिक्रमणकारियों ने दो दिन का समय मांगा। उनका कहना था कि दो दिन में वह स्वयं अतिक्रमण को हटा लेंगे।

By Sanjay Kumar Pandey Edited By: Vinay Saxena Updated: Fri, 02 Feb 2024 02:45 PM (IST)
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गौरा गांव में खलिहान की भूमि पर बने भवन को गिराता बुलडोजर।

संवाद सूत्र, नगरा (बलिया)। खलिहान और ग्रामसभा की भूमि पर बने भवनों पर शुक्रवार को बुलडोजर चलाया गया। इसको लेकर गौरा गांव में अफरा-तफरी मची रही। उच्च न्यायालय के आदेश पर सुबह पहुंची मजिस्ट्रेट और पुलिस की टीम ने कार्रवाई शुरू कि तो अतिक्रमणकारियों ने दो दिन का समय मांगा। उनका कहना था कि दो दिन में वह स्वयं अतिक्रमण को हटा लेंगे।

नगरा ब्लाक के गौरा गांव में खलिहान व ग्राम समाज की एक एकड़ भूमि पर गांव के ही खरभान प्रजापति,सदलु प्रजापति,रमेश व धनंजय ने पक्का मकान बना लिया है। इसी गांव के राजेश शर्मा द्वारा बेदखली का मुकदमा दर्ज कराया गया था। तहसील न्यायालय व जिला न्यायालय के बाद मामला उच्च न्यायालय में पहुंच गया। हाईकोर्ट ने तहसीलदार को हर हाल में सात फरवरी तक कार्रवाई कर रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा है।

आदेश के अनुपालन में नायब तहसीलदार दीपक सिंह के नेतृत्व में राजस्व टीम व भीमपुरा थानाध्यक्ष मनोज सिंह गांव में पहुंच गए। गांव में बुलडोजर पहुंचते ही अफरा तफरी मच गई। बुलडोजर से अतिक्रमण को ढहाया गया लेकिन अतिक्रमणकारियों ने प्रशासन से दो दिन का समय मांगा। नायब तहसीलदार ने बताया कि अतिक्रमणकारियों ने स्वयं कब्जा हटा रहे हैं। पक्के निर्माण तोड़ने के लिए एक बुलडोजर दे दिया गया है। दो दिन के अंदर अतिक्रमण हटा लिया जाएगा।

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लेखपालों पर नहीं होती है कार्रवाई

खलिहान, तालाब और ग्राम सभा की भूमि के देखभाल एवं संरक्षण के लिए गांवों में लेखपाल तैनात होते हैं लेकिन वह जानते हुए भी अनजान बने रहते हैं। गौरा गांव में इतना बड़ा भवन बन गया लेकिन लेखपाल को पता नहीं चला। यदि शुरूआती दौर में ही अतिक्रमण को रोक दिया गया होता तो इतना बड़ा पक्का मकान न तैयार हो पाता। इस तरह के मामलों में अतिक्रमणकारियों से कहीं अधिक लेखपाल भी दोषी हैं। उनके खिलाफ प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होती है।

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