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यूपी-बिहार की सीमा से सटे 23 गांवों पर मंडराया खतरा, मिले कालाजार बीमारी के मरीज; प्रशासन हुआ अलर्ट

बलिया जिले के 26 गांवों में कालाजार के मरीज मिलने से स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है। बारिश के मौसम में मरीजों की संख्या बढ़ सकती है। प्रभावित गांवों में लगातार तीन साल तक दवा का छिड़काव किया जाता है। इस साल जनवरी से अब तक दो मरीज मिल चुके हैं। पिछले वर्ष चार रोगी मिलने के बाद स्वास्थ्य टीम लगातार प्रभावित गांवों पर कड़ी नजर रखी हुई है।

By Mahendra Kumar Dubey Edited By: Abhishek Pandey Updated: Sat, 07 Sep 2024 03:54 PM (IST)
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बलिया के मधुबनी गांव में दवा का छिड़काव करने पहुंची स्वास्थ्य टीम। फाइल फोटो
जागरण संवादाता बलिया। बिहार सीमा से सटे 26 ग्राम पंचायतों में बालू मक्खी मिलने की आशंका है। जनवरी से लेकर अब तक दो कालाजार के मरीज मिलने से प्रशासन चौकन्ना हो गया है। बारिश शुरू होने के बाद कालाजार के रोगियों की संख्या भी बढ़ सकती है।

प्रभावित ग्राम पंचायतों में लगातार तीन साल तक दवा का छिड़काव कराया जाता है। पिछले वर्ष चार रोगी मिलने के बाद स्वास्थ्य टीम लगातार प्रभावित गांवों पर कड़ी नजर रखी हुई है।

26 ग्राम पंचायत हुईं प्रभावित

जिले के 11 ब्लाकों में 26 ग्राम पंचायत कालाजार से प्रभावित हैं। हालांकि रोगियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है लेकिन इसका उन्मूलन नहीं हो सका है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार दस हजार की आबादी वाले ब्लाकों में यदि एक मरीज मिलते हैं तो यह मान लिया जाता है कि यह रोग जन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है।

प्रभावित क्षेत्रों में बालू मक्खी की तलाश के लिए जहां टीम लगी रहती है तो दवाओं का लगातार छिड़काव होता रहता है। इस बीच बांसडीह के चांदपुर और बैरिया के श्रीनगर में कालाजार के मरीज मिले हैं। यह मरीज पेट वाले कालाजार से प्रभावित हैं, जो सर्वाधिक खतरनाक बताया जाता है।

बताया जाता है कि बिहार के छपरा जिले में कालाजार के अधिक मरीज मिलते हैं। यहां पर तटवर्ती गांव के लोगों का आना जाना लगा रहता है। किसी न किसी माध्यम से बालू मक्खी जिले में पहुंच जाते हैं।

कैसे फैलता है कालाजार

कालाजार बालू मक्खी से फैलता है। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती है। बालू मक्खी को जड़ से समाप्त करने के लिए प्रभावित ग्रामों में सिथेटिक पैराथ्राइड दवा का छिड़काव घरों के अंदर (आइआरएस) किया जाता है। बालू मक्खी जमीन से छह फीट की ऊंचाई तक उड़ सकती हैं इसलिए छिड़काव घर के अंदर छह फीट ऊंचाई तक कराया जाता है। प्रभावित गांव में तीन वर्ष तक लगातार मानीटरिंग की जाती है।

जिला सर्विलांस अधिकारी, डॉ. अभिषेक मिश्र ने बताया- जनवरी से लेकर अब तक जिले में दो कालाजार के मरीज मिले हैं। जिन गांव में कालाजार के मरीज मिले हैं वहां पर दवा का छिड़काव करा दिया गया है। जिले में प्रभावित 26 गांवों में तीन वर्ष तक लगातार दवाओं का छिड़काव आदि कराए जाते हैं। कालाजार अब जन स्वास्थ्य हानिकारक नहीं है। अब यह पूरी तरह से नियंत्रित है।

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