बेसहारा पशुओं से किसानों की फसल हो रही नष्ट
जागरण संवाददाता बलिया सर्द रात में बेसहारा पशुओं से फसल बचाना किसानों के समक्ष सबसे बड़ी
By JagranEdited By: Updated: Sun, 10 Jan 2021 10:09 PM (IST)
जागरण संवाददाता, बलिया : सर्द रात में बेसहारा पशुओं से फसल बचाना किसानों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है। जनपद में पशु आश्रय केंद्र भले ही खोले गए हैं लेकिन उससे किसानों को राहत मिलती नहीं दिख रही है। किसानों की फसल पर आक्रमण सबसे ज्यादा नीलगाय और जंगली सूकर कर रहे हैं।
कड़ाके की ठंड में भी उन्हें फसलों की रखवाली करने के लिए खेतों में रात गुजारनी पड़ रही है। यदि एक रात भी किसान अपनी फसलों की रखवाली न करें तो उनका खेत एक ही दिन में चौपट हो जाएगा। वर्तमान समय में गेहूं, चना, सरसों, मट, सब्जी आदि फसल लहलहाते नजर आ रहे हैं, लेकिन यह तभी तक सुरक्षित हैं जब तक किसान खेतों की रखवाली कर रहे हैं। किसानों के पलक झपकते ही बेसहारा पशु इन फसलों को नष्ट कर देते हैं। कम होने के बजाय बढ़ती जा रही बेसहारा पशुओं की समस्या -बेसहारा पशुओं की समस्या ऐसी है कि इस पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। घर के आसपास हम सब्जी आदि की खेती भी नहीं करा पाते। हम अपनी जमीन यदि किसी को लगान पर देते हैं तो वह किसान भी इसके चलते कर्ज में डूब जाता है। नीलगाय, जगली सुकर, गाय, सांड़ सभी तरह के पुश फसलों के पीछे पड़े रहते हैं।
-सुभाष तिवारी। - बेसहारा मवेशियों से फसलों को बचाने के लिए रात दिन रात निगरानी करनी पड़ती है। कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने पशुओं को रात में खोल देते हैं। ऐसे में उनके पशु खेतों में जाकर किसानों के फसल के खा जाते हैं। गरीब किसान का सबकुछ एक ही रात में स्वाहा हो जाता है, लेकिन वह सबकुछ जानकर भी अपने फसल की क्षति पर कुछ भी नहीं बोल पाता।
-रामेश्वर तुरहा। - बेसहारा पशुओं से खेती को काफी नुकसान पहुंच रहा है। काफी निगरानी के बाद भी जरा सा मौका मिलते ही इनके द्वारा फसल को नुकसान पहुंचा दिया जा रहा है। यदि सरकार इस बारे में नही सोचेगी तो किसान ऐसे ही परेशान होते रहेंगे। -अवधेश राजभर। -दिन में तो किसी तरह रखवाली कर ली जाती है, लेकिन रात को खेतों में सोने पर भी ये बेसहारा पशु घात लगाकर फसल चर जाते हैं। नींद खुलने पर सामने बर्बाद फसल होती है और मन दुखी हो उठता है। -हरिहर वर्मा
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