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Flood In Ballia: बलिया में बाढ़ का कहर जारी, 300 घरों में घुसा पानी; प्रशासन भी नहीं ले रही सुध

Flood In Ballia यूपी के बलिया में कुछ इलाकों में लगभग हर साल यह तबाही होती है लेकिन जिला प्रशासन के लोग इस क्षेत्र पर कोई ध्यान नहीं देते हैं। आलम यह है कि 300 मकानों में पानी प्रवेश करने के बाद लोग दूसरे स्थान डेरा डाले हुए हैं। अभी तक न राहत किट का वितरण किया गया है न दवा या उपचार के आदि के इंतजाम किए गए हैं।

By Lovkush Singh Edited By: Riya Pandey Updated: Sun, 11 Aug 2024 04:48 PM (IST)
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बलिया में बाढ़ की कहर से पलायन करने को मजबूर लोग

जागरण संवाददाता, बलिया। Flood In Ballia: सुघर छपरा गांव में लल्लन यादव और शंकर यादव के घर में गंगा का जल प्रवेश कर गया है। वह पड़ोस में बने छप्पर में अपना ठिकाना बनाए हैं।

बताया कि अभी पानी कुछ कम है, अब और जलस्तर बढ़ा तो वह रिश्तेदारी या फिर बंधा में पलान डालकर रहेंगे। खतरा को देखते हुए गांव की बिजली भी काट दी गई है। इसके अलावा पोखरा, जग छपरा और बंधुचक गांव में गंगा का पानी लोगों के घरों में प्रवेश कर गया है।

घुट-घुट कर जी रहे बाढ़ प्रभावित गांवों को लोग

बाढ़ प्रभावित गांव के लोग घुट-घुट कर जी रहे हैं। रात में लोगों को नींद नहीं आ रही है। विषैले जंतु घरों में घुस जा रहे हैं, कई लोग तो जंतुओं के डर से घर छोड़कर पलायन कर चुके हैं। आलम यह है कि 300 मकानों में पानी प्रवेश करने के बाद लोग दूसरे स्थान डेरा डाले हुए हैं।

जिला प्रशासन की ओर से शहर वाले हिस्से में अभी तक राहत किट भी वितरित नहीं किया गया है।

हर साल तबाही के बाद भी प्रशासन नहीं ले रही सुध

महावीर घाट निवासी मोतीलाल ने बताया कि शहर के इस हिस्से में हर साल यह तबाही होती है, लेकिन जिला प्रशासन के लोग इस क्षेत्र पर कोई ध्यान नहीं देते हैं। इस साल भी अभी तक न राहत किट का वितरण किया गया है, न दवा या उपचार के आदि के इंतजाम किए गए हैं।

पानी से घिरे ददन नगर के मुकेश रावत ने बताया कि शहर के इस क्षेत्र में अभी तक कोई भी अधिकारी बाढ़ का हाल देखने के लिए नहीं आया। महावीर घाट के पास से निकल रहे ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के कार्य में लगे श्रमिक व कार्यदायी संस्था के कर्मचारी भी पानी का फैलाव होने के बाद बंधे के ऊपर अपना डेरा डाल लिए हैं।

निहोरा नगर के संपर्क मार्ग पर पानी, आवागमन बाधित

शहर के निचले इलाके के निहोरा नगर के संपर्क मार्ग पर पानी होने के चलते आवागमन बाधित हो गया है। इससे लोगों को कई तरह की समस्या हो रही है। सड़क पर लगभग तीन फीट तक पानी है। ऐसे में किसी भी वाहन का निकलना भी मुश्किल है। ऐसे में लोग नाव से आवागमन कर रहे हैं।

अंतिम संस्कार करने में भी दिक्कत

शहर के महावीर घाट पर ही अंतिम संस्कार का कार्य होता है। बाढ़ के कारण पूरे क्षेत्र में लबालब पानी है। ऐसे में मृतकों को अंतिम संस्कार करने में भी लोगों को दिक्कत हो रही है। पूरे क्षेत्र में पानी होने के चलते अंतिम संस्कार करने के लिए कोई स्थान नहीं बचा है। रिंग बंधा पर सूखा स्थान है, लेकिन यहां आबादी बसी हुई है। इसलिए वहां अंतिम संस्कार नहीं हो सकते हैं।

गंगा का जलस्तर खतरा निशान से 1.045 मीटर ऊपर

गंगा का जलस्तर अभी भी खतरा निशान से 1.045 मीटर ऊपर है। सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 58.660 मीटर दर्ज किया गया। खतरा निशान-57.615 मीटर है। सरयू का जलस्तर 64.470 मीटर दर्ज किया गया। खतरा निशान 64.010 मीटर है। सरयू का जलस्तर भी खतरा निशान से 46 सेमी ऊपर है। गंगा के जलस्तर में घटाव हो रहा है, जबकि सरयू के जलस्तर में धीमी गति से बढ़ाव जारी है।

शिवपुर व मझरोट बस्ती के सामने कटान से मची खलबली

गंगा के जलस्तर में कमी के बावजूद तटवर्ती क्षेत्रों में कटान तेज हो गया है। रविवार को सुबह शिवपुर घाट पर एक घंटा के अंदर 10 मीटर तक कटान हो गया। इससे पहले बना हुआ रास्ता भी कटान में चला गया। ग्राम पंचायत शिवपुर कपूर दियर के मझरोट बस्ती के सामने भी रुक-रुक कर कटान जारी है।

कटान स्थल से लगभग 10 मीटर की दूरी पर स्थित ज्योति यादव, खेतू यादव, धरीक्षण यादव, नंदकिशोर यादव का मकान है। सभी लोग भयभीत हैं। कटान तेज होने पर शिवपुर कपूर दियर के जगदीशपुर बिंद बस्ती, मझरोट बस्ती, ग्राम पंचायत मुरमुरार पट्टी के दामोदरपुर पर भी कटान का खतरा मंडराने लगेगा।

कटान की गति धीमी, चांददियर में बाढ़ से तबाही

सुरेमनपुर दियराचंल के गोपाल नगर टाड़ी व शिवाल मठिया में सरयू का जलस्तर बढ़ने के कारण कटान की गति धीमी हो गई है, लेकिन अधसिझुआ,चाई छपरा, बकुल्हा, टोला फतेराय के सामने सरयू उपजाऊ जमीन को लगातार काट रही है।

सरयू के पानी का फैलाव निचले इलाके में हुआ है, लेकिन गांवाें में अभी पानी प्रवेश नहीं किया है। सरयू के बाढ़ से प्रभावित चांद दियर ग्राम पंचायत है। गांवों में पानी प्रवेश कर गया है, लेकिन राहत वितरण का कार्य अभी नहीं हो रहा है।

बाढ़ क्षेत्र के लिए दवा या चिकित्सा के इंतजाम भी नहीं किए हैं। प्रभावित इलाकों में सबसे ज्यादा भय विषैले जीवों से है। पानी प्रवेश करने के बाद अधिकांश स्थानों पर सर्प दिख जा रहे हैं।

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