Greenfield Expressway Project: यूपी-बिहार सीमा के मांझी में बन रहा नया पुल, NHAI ने अंडरपास का भी भेजा प्रस्ताव
Greenfield Expressway Project ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे परियोजना के निर्माण से प्रभावित ग्रामीण सड़कों को लेकर स्थानीय लोगों की चिंताओं का समाधान करने के लिए NHAI ने कदम उठाए हैं। फेज एक दो और चार में 29 अंडरपास बनाने की स्वीकृति मिली है। जबकि फेज तीन के लिए प्रस्ताव लंबित है। फोर लेन सड़क बनने के बाद गाजीपुर-बलिया-मांझी घाट तक दो टोल प्लाजा भी बनाए जाएंगे।
जागरण संवाददाता, बलिया। Greenfield Expressway: ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे परियोजना (Greenfield Expressway Project) का शिलान्यास केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के हाथों फरवरी-2023 में हुआ था। उसके बाद से एनएचएआइ (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) की ओर से नियुक्त कार्यदायी कंपनियां गाजीपुर से मांझी घाट तक कार्य कर रही हैं।
एक्सप्रेस-वे के निर्माण में कई सड़कें प्रभावित
134 किलोमीटर फोर लेन सड़क बनने के बाद गाजीपुर-बलिया-मांझी घाट तक दो टोल प्लाजा भी बनाए जाएंगे, लेकिन ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण के क्रम में कई ग्रामीण सड़कें प्रभावित हो रही हैं। इसको लेकर स्थानीय लोगों ने विरोध जताया था। इसे गंभीरता से लेते हुए एनएचएआइ के अधिकारियों ने अंडरपास के लिए नए सिरे से प्रस्ताव भेजा था।
फेज तीन में बनने वाले अंडरपास का मामला लंबित
कुल चार फेज में बंटे कार्य में फेज एक, दो और चार को मिलाकर लगभग 94 किलोमीटर की दूरी में 29 अंडरपास बनाने की स्वीकृति मिली है। अभी फेज तीन में बनने वाले अंडरपास का मामला लंबित है। फेज तीन पिंडारी से रिविलगंज बाईपास तक 38.50 किलोमीटर का है।फोरलेन के निर्माण के क्रम में इसी क्षेत्र की सर्वाधिक सड़कें बाधित हो रही हैं। इसको लेकर इब्राहिमाबाद, मठ योगेंद्र गिरि मठिया आदि स्थानों के शुरू से ही अंडरपास की मांग कर रहे हैं।
जहां अंडरपास नहीं वहां बनेगी सर्विस रोड
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण के क्रम में जहां भी ग्रामीण सड़कें बाधित हो रही हैं, उसके लिए अलग से सर्विस रोड बनाया जाएगा ताकि आवागमन प्रभावित न हो सके। एनएचएआइ आजमगढ़ अधिकारियों ने बताया जहां पर अंडरपास की स्वीकृति नहीं मिली है, वहां सर्विस रोड बनाकर ग्रामीणों को सुविधा दी जाएगी।ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे के निर्माण के क्रम में कई स्थानों पर अंडरपास की मांग की जा रही थी। इसके लिए कुल चारों फेज की दूरी के लिए अलग-अलग प्रस्ताव भेजा गया था।
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- श्रीप्रकाश पाठक, परियोजना निदेशक, एनएचएआइ, आजमगढ़।