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बिना सिम कार्ड के काम करेगा मोबाइल फोन, बलिया के दो युवाओं ने बनाया नया मॉडल

बलिया के दो भाइयों रजि अहमद और साजिद अहमद ने एक ऐसे फोन का मॉडल तैयार किया है जिसके दो भाग हैं। फोन के एक भाग में सिम कार्ड लगेगा लेकिन दूसरा सेट बिना सिम कार्ड के ही रिमोट की तरह काम करेगा। इस फोन को रासा वायरलेस डिवाइस के नाम से जाना जाएगा। इस प्रोजेक्ट का पेटेंट कार्यालय दिल्ली ने भी दोनों युवाओं के नाम से प्रकाशित किया है।

By Lovkush Singh Edited By: Abhishek Pandey Updated: Mon, 21 Oct 2024 04:10 PM (IST)
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बलिया : रजि अहमद और साजिद अहमद के द्वारा तैयार रासा वायरलेस डिवाइस का मॉडल।
जागरण संवाददाता, बलिया। गांवों में भी प्रतिभा वाले युवाओं की कोई कमी नहीं है। जिले के बैरिया क्षेत्र के चांदपुर गांव के निवासी रजि अहमद और साजिद अहमद दोनों भाइयों ने एक ऐसे फोन का माडल तैयार किया है, जिसके दो भाग हैं। फोन के एक भाग में तो सिम कार्ड लगेगा, लेकिन दूसरा सेट बिना सिम कार्ड के ही रिमोट की तरह काम करेगा। उससे काल करने के साथ रिसीव भी किया जा सकता है।

फोन का दूसरा भाग 50 मीटर के दायरे में काम करेगा। फोन चोरी होने के बाद यदि कोई उसे स्वीच ऑफ भी करेगा तो दूसरे सेट से उसे ऑन किया जा सकेगा। यह फोन “रासा वायरलेस डिवाइस” के नाम से जाना जाएगा। इस प्रोजेक्ट का पेटेंट कार्यालय दिल्ली ने भी दोनों युवाओं के नाम से 11 अक्टूबर को प्रकाशित किया है।

पेटेंट एक ऐसा कानूनी अधिकार है जो किसी व्यक्ति या संस्था को किसी विशेष उत्पाद, खोज, डिजाइन, प्रक्रिया या सेवा के ऊपर एकाधिकार देता है। पेटेंट प्राप्त करने वाले व्यक्ति के अलावा यदि कोई और व्यक्ति या संस्था इनका उपयोग (बिना पेटेंट धारक की अनुमति के) करता है तो ऐसा करना कानूनन अपराध माना जाता है। इसकी जानकारी स्वजनों को होने पर दोनों के पिता सलामुदिन अंसारी सहित गांव के लोग भी खुश हैं।

डिवाइस को बनाने में लगे दो साल सात महीने

जागरण को दोनों युवाओं ने बताया कि इस डिवाइस को बनाने में दो साल सात महीने लगे हैं। इस प्रोजेक्ट से साइबर सुरक्षा में सफलता मिलेगी। रजि अहमद वर्तमान में बीआर तमिलनाडू विश्वविद्यालय में साइंस रिसर्च के ‘एरो स्पेस’ ट्रेड की पढ़ाई कर रहे हैं। इसमें प्रौद्योगिकी, अनुसंधान आदि शामिल हैं।

वहीं साजिद अहमद गांव से ही 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का काम करते हैं। अभी के समय में दोनों गांव पर रहते हैं। फोन को तैयार करने के लिए दोनों ने कुछ सामान दिल्ली से मंगाए, वहीं कुछ कबाड़ के पाट्स का भी उपयोग किया है। इस फोन को तैयार करने में 2200 रुपये खर्च हुए हैं।

37 बार नाकाम हुई कोशिश

रजि अहमद ने बताया कि फोन को तैयार करने के क्रम में 37 बार कोशिश नाकाम हुई, लेकिन हार नहीं माना। मिशन में लगा रहा। अब पेटेंट से प्रकाशन के बाद यह माडल मेरे नाम हो गया है। दुनिया में कोई भी इस माडल को यदि तैयार करेगा तो उसके लिए मुझसे स्वीकृति लेनी होगी।

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