One District One Product : सत्तू का 'बलिया ब्रांड' पूर्वांचल और बिहार होगा बाजार, 500 लोगों को देंगे प्रशिक्षण
एक जिला एक उत्पाद से जोड़ने को बलिया के अपर मुख्य सचिव से सिफारिश की गई। बांसडीह की महिला समूह को सत्तू उत्पादन के लिए प्रदेश का पहला एफएसएसएआइ लाइसेंस मिला है। डीएम ने 30 लघु इकाई स्थापित करने काे प्रस्ताव भेजा गया है।
By Sangram SinghEdited By: Saurabh ChakravartyUpdated: Fri, 28 Oct 2022 11:25 PM (IST)
बलिया, संग्राम सिंह : बलिया का बाटी-चोखा और सत्तू देश-विदेश में मशहूर है। 20 हजार से अधिक परिवारों की रोजी-रोटी इससे जुड़ी है, फिर भी यह उत्पाद वैश्विक पहचान को तरसता रह गया। अब प्रदेश सरकार उत्पाद को चमकाने जा रही है। जिलाधिकारी सौम्या अग्रवाल की पहल पर सत्तू को ब्रांड बनाने की तैयारी है। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग के अपर मुख्य सचिव को प्रस्ताव भेजा गया है, सत्तू को ''एक जिला एक उत्पाद'' में शामिल करने की सिफारिश की गई है। 30 लघु इकाई के अलावा कामन फेसल्टी सेंटर (सीएफसी) स्थापित करने के लिए कहा है। अब तो कार्रवाई ने रफ्तार पकड़ ली है।
इनर्जी, कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा सर्वाधिक मिली
एफएसएसएआइ (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथारिटी आफ इंडिया) ने बांसडीह के सुल्तानपुर की खुशहाल महिला स्वयं सहायता समूह को सत्तू उत्पादन के लिए प्रदेश में पहला लाइसेंस जारी किया है। गाजियाबाद की ईको प्रो इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड ने अपनी प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट भी फाइनल कर दी है। उसने पाया है कि बाजार में बिकने वाले दूसरे सत्तू की तुलना में इसमें अधिक शुद्धता है। इनर्जी, कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा सर्वाधिक मिली।अब व्यापक मात्रा में उत्पादन किया जाएगा, इसके लिए 500 लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें दो-दो हजार रुपये मानदेय भी देंगे। इस समय चार समूह मिलकर छह क्विंटल उत्पादन करतीं हैं, उनके द्वारा तैयार उत्पाद की मऊ, गाजीपुर, आजमगढ़, बनारस, जौनपुर और देवरिया के अलावा बिहार और नेपाल में डिमांड है। मार्केटिंग और ट्रांसपोर्ट में दिक्कत होने के चलते उपयुक्त बाजार का अभाव है, जबकि जिले में चना, बाजरा, जौ व मक्का की अधिक पैदावार होती है, इस लिहाज से कारोबार को पंख जरूर लगेंगे। स्वतः रोजगार विभाग के उपायुक्त दिग्विजय नाथ पांडेय ने बताया कि इस समय चारों समूह मिलकर छह क्विंटल उत्पादन कर रहे हैं। त्याेहार सीजन में खपत अधिक है। उनकी मार्केटिंग स्थानीय है, अब विस्तार होगा।
खुशहाल स्वयं सहायता समूह की तरह 25 से 30 इकाइयां स्थापित होंगी। जिन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा, उन्हें इन इकाइयों के साथ जोड़ दिया जाएगा। उन्हें टूल किट भी देंगे। वह अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं तो बैंकों से ऋण दिलाएंगे। उन्हें मार्जिन मनी व अनुदान भी दिया जाएगा। 20 हजार से अधिक लोगों को योजना का फायदा पहुंचाने का लक्ष्य है। एक जिला एक उत्पाद योजना में इस समय बिंदी शामिल है, चूंकि यह लघु उद्योग मनियर गांव तक ही सीमित है, इसलिए योजना का फैलाव अपेक्षा से बहुत कम हो पाया है।
बैंक से दिलाएंगे टूलकिट, प्रशिक्षणार्थी को जोड़ेंगे
खुशहाल स्वयं सहायता समूह की तरह 25 से 30 इकाइयां स्थापित होंगी। जिन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा, उन्हें इन इकाइयों के साथ जोड़ दिया जाएगा। उन्हें टूल किट भी देंगे। वह अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं तो बैंकों से ऋण दिलाएंगे। उन्हें मार्जिन मनी व अनुदान भी दिया जाएगा। 20 हजार से अधिक लोगों को योजना का फायदा पहुंचाने का लक्ष्य है। एक जिला एक उत्पाद योजना में इस समय बिंदी शामिल है, चूंकि यह लघु उद्योग मनियर गांव तक ही सीमित है, इसलिए योजना का फैलाव अपेक्षा से बहुत कम हो पाया है।
प्रस्ताव शासन को भेजा गया
बलिया के सत्तू में अपार संभावनाएं हैं, यही देखते हुए वृहद सर्वेक्षण कराया गया और प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। यहां बहुत परिवार जुड़े हैं। बाटी में भी सत्तू इस्तेमाल किया जाता है। अगर लोगों को स्वरोजगार योजना से जोड़ दिया जाए तो निश्चित रूप से बदलाव धरातल पर दिखाई पड़ेंगे।
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सौम्या अग्रवाल, जिलाधिकारी
खुशहाल महिला समूह सुल्तानपुर की अध्यक्ष निर्मला देवी ने बताया कि 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से कच्चा चना मिलता है, उसे भुजाने में छह से सात रुपये खर्च होते हैं। मशीन से पिसाई करते हैं, पैकिंग, मार्केटिंग व बिक्री में औसतन 80 रुपये लागत आती है। बिक्री 110 से 120 रुपये किलो हो जाती है। वह गुणवत्ता का खास ख्याल रखती हैं। वह चार साल से कारोबार से जुड़ी हैं, अब सरकार भी सहयोग कर रही है।
नारी उत्थान महिला समूह सुल्तानपुर की अध्यक्ष मुन्नी देवी ने बताया कि कुछ महिलाएं उत्पादन कार्य देख रहीं हैं जबकि कुछ बिक्री और हिसाब-किताब संभालतीं हैं। सबकी जिम्मेदारी भी बंटी है। प्रति क्विंटल चार रुपये की बचत है, मुनाफा सक्रिय महिलाओं के बीच बराबर बंटता है। सालों से वह कारोबार से जुड़ी हैं। अब प्रशासन से बेहतरी की आस जगी है। कई कारोबारी उनके घर पर आकर सत्तू ले जाती हैं।
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कुछ महिलाएं उत्पादन कार्य देख रहीं हैं जबकि कुछ बिक्री और हिसाब-किताब
खुशहाल महिला समूह सुल्तानपुर की अध्यक्ष निर्मला देवी ने बताया कि 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से कच्चा चना मिलता है, उसे भुजाने में छह से सात रुपये खर्च होते हैं। मशीन से पिसाई करते हैं, पैकिंग, मार्केटिंग व बिक्री में औसतन 80 रुपये लागत आती है। बिक्री 110 से 120 रुपये किलो हो जाती है। वह गुणवत्ता का खास ख्याल रखती हैं। वह चार साल से कारोबार से जुड़ी हैं, अब सरकार भी सहयोग कर रही है।
नारी उत्थान महिला समूह सुल्तानपुर की अध्यक्ष मुन्नी देवी ने बताया कि कुछ महिलाएं उत्पादन कार्य देख रहीं हैं जबकि कुछ बिक्री और हिसाब-किताब संभालतीं हैं। सबकी जिम्मेदारी भी बंटी है। प्रति क्विंटल चार रुपये की बचत है, मुनाफा सक्रिय महिलाओं के बीच बराबर बंटता है। सालों से वह कारोबार से जुड़ी हैं। अब प्रशासन से बेहतरी की आस जगी है। कई कारोबारी उनके घर पर आकर सत्तू ले जाती हैं।
बलिया के सत्तू में मिले यह पोषक तत्व
468.79 किलोकैलोरी इनर्जी154.30 मिलीग्राम कैल्शियम18.30 ग्राम प्राेटीन15.50 ग्राम फैट5.8 मिलीग्राम आयरन(आंकड़े प्रति 100 ग्राम के हिसाब से)