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सांय-सांय और किट-किट की आवाज से हिल जाता है कलेजा, चालीस गांवों में अंधेरे में कट रही रात

उत्तर प्रदेश के बलिया में गंगा और सरयू नदी की बाढ़ से भारी तबाही हुई। चांददियर में राष्ट्रीय राजमार्ग-31 का 100 मीटर हिस्सा बह गया 4000 लोग प्रभावित हुए। बैरिया दुबहर और बेलहरी ब्लाक के 40 से अधिक गांव बाढ़ से घिरे हैं। 50000 लोगों की अंधेरे में रात कट रही है। एनडीआरएफ और प्रशासन राहत कार्य में जुटे हैं।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Fri, 20 Sep 2024 05:52 AM (IST)
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बलिया: बैरिया क्षेत्र के चांददीयर में एनएच कटने के बाद बाढ़ के पानी से घिरे मकान।

महेंद्र दुबे, बलिया। गंगा और सरयू का रौद्र रूप देखने के बाद भी जिम्मेदार सजग नहीं रहे। हादसा वही हुआ जिस बात की सबको अंदेशा था। चांददियर के पास हाईवे बह गया। गांव के राजकुमार यादव बताते हैं कि रात 1.30 बजे मानो ज्वार आ गया हो। आदमी तो किसी तरह से छत पर चढ़कर अपनी जान बचाई लेकिन पानी में फंसे रहे। 

चार हजार की आबादी की पूरी गृहस्थी डूबकर नष्ट हो गई। बैरिया, दुबहर और बेलहरी ब्लाक के चालीस से अधिक गांव पिछले तीन दिनों से बाढ़ से घिरे हुए हैं। घर में रखा राशन भी खत्म हो गया है। विद्युत आपूर्ति भी ठप कर दी गई है। करीब 50 हजार आबादी की रात अंधेरे में कट रही है। 

हल्दी की राधिका का कहना है कि आधी रात होते ही सांय-सांय और किट-किट की आवाज निकलने लगती तो कलेजा बाहर आ जाता है। किसी तरह से रात कट रही है। तीन दिनों से वह पूरी नींद नहीं सोयी हुई हैं। सबसे खराब स्थिति तो बच्चों की है। 

वह रात में इतना डरते हैं कि किसी तरह से उन्हें शांत कराती हैं। घर में रखा राशन भी पानी में डूब गया है। जो था वह भी अब खत्म हो गया है। वह रूखी-सूखी राेटी खाकर गंगा मइया की प्रार्थना में जुटी हुई हैं।

अपनों की तलाश करती रहीं नजरें

चांददियर गांव में हाईवे टूटने के बाद हाहाकार मचा हुआ है। जानकारी होते ही अपनों की कुशलता जानने लिए रिश्तेदार पहुंच रहे हैं। रेवती के अनिल कुमार की बहन की शादी चांददियर में हुई है। अपने घर से चावल-दाल के साथ ही साथ बिस्किट आदि लेकर पहुंचे थे। एनडीआरएफ के माध्यम से अपने लोगों तक पहुंचाया।

हर साल खर्च होते हैं सर्वाधिक बजट

हाईवे की सुरक्षा को लेकर प्रत्येक साल करोड़ों का वारा-न्यारा होता है। बेलहरी से लेकर बैरिया तक हाईवे की सुरक्षा के लिए प्रत्येक साल बाढ़ खंड विभाग की ओर से स्पर आदि निर्माण कराए जाते हैं। सर्वाधिक बजट भी इसी पर खर्च होता है लेकिन हाईवे टूटने से एक बार फिर विभाग की तैयारी की पोल खुल गई। 

नियमानुसार, बाढ़ को देखते हुए बांध और रेलवे पुल, हाईवे पर पेट्रोलिंग बढ़ा दी जाती है। बताते हैं बाढ़ आने से जल ओवर फ्लो जरूर कर जाता था, लेकिन हाईवे टूटता नहीं था। इस तरह की पहली बार घटना हुई है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और बाढ़ खंड इसको लेकर पहले ही सतर्क रहा होता तो यह स्थिति उत्पन्न न होता।

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