संशोधित-- नौरंगा से तहसील मुख्यालय 120 किलोमीटर दूर
लवकुश सिंह बलिया उत्तर प्रदेश व बिहार की सीमा पर बसा है नौरंगा गांव। इसकी आबादी है 40 ह
By JagranEdited By: Updated: Thu, 22 Jul 2021 07:15 PM (IST)
लवकुश सिंह, बलिया
उत्तर प्रदेश व बिहार की सीमा पर बसा है नौरंगा गांव। इसकी आबादी है 40 हजार। गांव का आधा हिस्सा यूपी और आधा बिहार में है। यहां के रोहित कुमार यादव को अपने ही तहसील तक पहुंचने में करीब 120 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी। आप सोच रहे होंगे कि यह कैसे! थोड़ा डिटेल में आपको समझाते हैं। दिसंबर 2020 में उन्हें निवास प्रमाण पत्र बनवाना था क्योंकि उन्हें छात्रवृत्ति चाहिए थी। उस वक्त अगर गंगा में पीपा पुल बना होता तो यह दूरी सिर्फ 20 किमी होती। लेकिन वे गांव की पगडंडी से छह किलोमीटर पैदल चले और चक्की नौरंगा बाजार (बिहार) पहुंचे। यहां वे यात्रियों से खचाखच भरी मिनी बस पर सवार हुए। किसी तरह लटक कर आरा के ब्रह्मापुर पहुंचे। यहां से बक्सर। फिर बलिया होते हुए अपने तहसील-मुख्यालय बैरिया आ गए, लेकिन पहली बार में उनका काम नहीं हुआ। दूसरी बार जनवरी में फिर चक्कर लगाया। इस बार भी उनके हाथ निराशा ही लगी। तंग आकर उन्होंने प्रमाण पत्र बनवाने की कोशिश ही छोड़ दी। बकौल रोहित, अफसरों ने उनकी एक नहीं सुनीं, सिर्फ दौड़ाया। एक नहीं, कई बार। वह इतने दूर से गए थे, उनका काम तो पहले होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ऐसी विकट स्थिति सिर्फ रोहित ही नहीं, बल्कि उनके जैसे हजारों लोग रोज झेल रहे हैं। आजादी के बाद भी इस गांव के लोगों के हिस्से सिर्फ मुसीबत ही कायम है। वह भी तब, जबकि इस गांव में यूपी व बिहार की सरकार बराबर चलती है। लोग बताते हैं, विकास के सब्जबाग दिखाकर ही हर बार वोट मांगे जाते हैं। ---- गर्मी में सिर्फ चार महीने रहता है पीपा पुल : गर्मी में हर साल एक पीपा पुल बनता है, जिससे तीन-चार माह लोगों को कुछ राहत मिलती है लेकिन बाद के दिनों में गांव के लोगों को सड़क मार्ग से आरा के ब्रह्मापुर, बक्सर होते तहसील पहुंचना पड़ता है। यूपी-बिहार की सीमा पर ऐसे दर्जनों घर मिले, जिनका घर तो यूपी में था लेकिन द्वार बिहार में पड़ता है। ऐसे घरों के लोग दोनों तरफ की सुविधाओं से वंचित हैं।
---- दो प्रांतों से मांगा राशन, मिली निराशा :
गांव के घुरूल मंसूरी व मुन्नी खातून ने बताया कि राशन कार्ड के लिए यूपी और बिहार दोनों तरफ आवेदन किया लेकिन कहीं से न कार्ड मिला, न ही राशन। किसान रवींद्र ठाकुर व जितेंद्र ठाकुर ने बताया कि उन्हें खाद या बीज भी किसी ओर से नहीं मिल पाते। ---- गांव का इतिहास-भूगोल : बैरिया विधानसभा क्षेत्र के नौरंगा में 7800 मतदाता हैं। विधायक सुरेंद्र सिंह हैं। गांव में पुरवे नौरंगा, चक्की नौरंगा, भुवाल छपरा, उदयी छपरा के डेरा है। यह इलाका बैरिया विधानसभा में पड़ता है। गांव का मुख्य धंधा खेती और पशुपालन है, यहां बिजली एक समझौते के तहत कुछ ही दिनों पहले विधायक के प्रयास से पहुंची है लेकिन सड़कें नहीं हैं। कोई इंटर कालेज भी नहीं है। गांव में एक राजकीय इंटर कालेज का निर्माण हो रहा है। यह सौगात उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने 2019 में दी थी। गांव में पांच प्राथमिक और एक मिडिल स्कूल हैं लेकिन ग्रामीणों के अनुसार शिक्षक पढ़ाई के नाम पर सिर्फ कोरम पूरा करते हैं। गांव का आधा हिस्सा बिहार के शाहपुर विधानसभा क्षेत्र में है। लगभग आठ हजार मतदाताओं वाले इस हिस्से के विधायक राजद के राहुल तिवारी हैं। ----- एक ही बाजार दोनों तरफ का आधार : यूपी-बिहार दोनों सीमा के लोग चक्की नौरंगा बाजार से जरूरी सामान की खरीदारी करते हैं। बाजार की सड़क का एक हिस्सा बिहार के आरा भोजपुर शाहपुर के परसौंडा गांव की सीमा में पड़ता है तो दूसरा बलिया यूपी के बैरिया ब्लाक के पंचायत-क्षेत्र नौरंगा में। बाजार तक सड़क बिहार सरकार ने बनाई है। नौरंगा चक्की नाम से बिहार और यूपी दोनों में पुरवा है। नौरंगा अस्पताल में चिकित्सक की जगह बकरियां ही बैठी मिलीं। ज्यादा तबीयत खराब होने पर लोग बिहार के गौरा, ब्रह्मपुर या आरा पहुंचते हैं। ---- बोले प्रधान : सरकार नहीं देती विकास पर जोर यूपी सीमा में स्थिति नौरंगा के प्रधान सुरेंद्र ठाकुर ने बताया कि सरकार इस गांव के विकास पर जोर नहीं देती। यहां जब तक पक्का पुल नहीं बनेगा, हम यूपी के होकर भी यूपी के नहीं हैं। एक पक्का पुल इस गांव के सामने बनना था जिसे यहां से 15 किमी दूर बनाया जा रहा है।
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