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मरीज ढोने में फर्जीवाड़ा, अब नहीं मिल रहा ब्योरा

जो कभी नहीं आए उनका भी दर्ज है मोबाइल व आधार मरीज से अधिक लाभार्थियों को पहुंचा दिया अस्पताल

By JagranEdited By: Updated: Sun, 26 Jun 2022 12:30 AM (IST)
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मरीज ढोने में फर्जीवाड़ा, अब नहीं मिल रहा ब्योरा

बलरामपुर : एंबुलेंस का अधिक से अधिक लोगों को लाभ दिलाने के चक्कर में फर्जीवाड़ा करने वाली निजी कंपनी अब खुद ही जाल में फंस गई है। मरीजों को लाने व ले जाने के दर्ज विवरण की जांच में लाभार्थी अस्पताल कभी नहीं जाने की बात कह रहे हैं जबकि एंबुलेंस उन्हें अस्पताल पहुंचाने का दावा कर रही है। यही नहीं तमाम लाभार्थी ऐसे भी मिल रहे हैं कि वह मरीज को अपने साधन से ले गए थे, लेकिन उन्हें अस्पताल पहुंचाया जाना दिखाया गया है। हैरत की बात यह है कि कई स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर जितने मरीज नहीं आए, एंबुलेंस उससे ज्यादा मरीजों का पहुंचाना दिखा रही है। पचपेड़वा में एक ही दिन में 54 मरीजों को पहुंचाने, रेहरा बाजार में 60 मरीजों के अस्पताल आने से मुकर जाने व तुलसीपुर में एक ही मोबाइल नंबर से 35 बार एंबुलेंस बुलाने समेत कई ऐसी कारगुजारियां हैं जो एंबुलेंस का संचालन कर रही निजी कंपनी के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती हैं, इसीलिए विभागीय अधिकारी अब इसे छिपाने में जुट गए हैं।

झूठी काल के नहीं हैं केस : सीएमओ

मुख्य चिकित्साधिकारी डा.सुशील कुमार ने बताया कि अपने यहां एंबुलेंस संचालन में फाल्स काल के मामले नहीं आए हैं। कई जगह एंबुलेंस काल करने के बाद लाभार्थियों के न आने की जानकारी है। इसका उल्लेख जांच रिपोर्ट में किया गया है। सभी ब्लाकों की जांच रिपोर्ट अपर निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को भेजी गई है।

नवजातों की किलकारी पर अव्यवस्था की बीमारी भारी

हाईवोल्टेज के कारण सिक न्यूबार्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में आक्सीजन कंसंट्रेटर की खराबी ने शुक्रवार को एक बच्ची की जिदगी छीन ली जबकि दो बच्चे खतरे में पड़ गए। भले ही इस घटना का कारण कुछ और हो, लेकिन संकरे स्थान पर एसएनसीयू संचालन, डाक्टरों व स्टाफ नर्सों की कमी भी किलकारी पर भारी पड़ रही है। इन परेशानियों का जिक्र कई बार जिम्मेदारों के समक्ष हुआ, लेकिन सुधार नहीं हो सका।

छोटी बिल्डिग में चल रहे जिला महिला अस्पताल के पिछले हिस्से में एसएनसीयू का संचालन हो रहा है। वार्ड में केवल 18 बच्चों को भर्ती करने की व्यवस्था है, लेकिन प्रतिदिन 30 -35 बच्चे आते हैं। इनमें करीब 20 से 22 को तुरंत भर्ती करना पड़ता है। वार्मर न खाली होने के कारण एक पर ही दो बच्चों को लिटाना पड़ता है। कुछ को बाहर ही रखना पड़ता है। जगह न होने के कारण बच्चों के माता पिता फर्श पर पड़े रहते हैं। भर्ती बच्चों की ठीक से देखभाल के लिए तीन चिकित्सक होने चाहिए, लेकिन दो साल से वार्ड का दायित्व अकेले बाल रोग विशेषज्ञ डा. महेश वर्मा संभाल रहे हैं। बच्चों की देखरेख के लिए 11 स्टाफ नर्स के सापेक्ष छह की तैनाती है। दो चिकित्सक व पांच स्टाफ नर्स न होने के कारण चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों को दोहरी ड्यूटी करनी पड़ रही है जिससे बच्चों की देखभाल भी प्रभावित होती है। बाल रोग विशेषज्ञ डा. महेश वर्मा ने बताया कि चिकित्सकों व स्टाफ नर्सों की कमी का मुद्दा कई बार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन समेत अन्य अधिकारियों के सामने उठाया गया, लेकिन कुछ मिला नहीं।

नए भवन में सिफ्ट करने का प्रस्ताव लंबित : महिला अस्पताल की अधीक्षक डा. विनीता राय का कहना है कि एसएनसीयू छोटे स्थान पर है। इसे नई बिल्डिग में शिफ्ट करने के लिए प्रस्ताव कई माह पहले भेजा जा चुका है, लेकिन वह शासन में लंबित है।