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नवजात की मौत मामले की सीएमओ ने शुरू की जांच

अधिशासी अभियंता व सीएमएस से मांगी जानकारी

By JagranEdited By: Updated: Sun, 26 Jun 2022 12:26 AM (IST)
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नवजात की मौत मामले की सीएमओ ने शुरू की जांच

बलरामपुर : जिला महिला अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती बच्चे की मौत व दो नवजातों की हालत गंभीर होने की घटना को गंभीरता से लेते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी ने जांच शुरू कर दी है।

सीएमओ डा. सुशील कुमार ने बताया कि हाई वोल्टेज करंट आने से महिला अस्पताल के एसएनसीयू में लगे छह आक्सीजन कंसंट्रेटर खराब हो गए। इसके चलते भर्ती बच्चों को आक्सीजन न मिलने से उनकी हालत बिगड़ गई। इनमें एक की मौत हो गई थी जबकि दो बच्चों की हालत गंभीर होने पर उनके अभिभावक उन्हें अलग लेकर चले गए। घटना को संज्ञान में लेते हुए मुख्य चिकित्साधिकारी ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है। उन्होंने बाल रोग विशेषज्ञ डा. महेश वर्मा से आख्या तलब की है। डा. महेश वर्मा ने बताया कि हाई वोल्टेज के चलते यह दिक्कत हुई थी। इस समय 17 बच्चे भर्ती हैं। इन्हें रिजर्व में रखे पांच आक्सीजन कंसंट्रेटर व छह आक्सीजन सिलिडर के जरिए आक्सीजन दी जा रही है। सीएमओ ने बताया कि महिला अस्पताल की अधीक्षक डा. विनीता राय से पूछा गया है कि एसएनसीयू में स्टेबलाइजर बदलवाने के लिए उन्होंने कब-कब लिखा पढ़ी की है। साथ ही अधिशासी अभियंता से जानकारी मांगी है कि सीएमएस के पत्र लिखने के बावजूद अस्पताल परिसर में लगे कम क्षमता वाले ट्रांसफार्मर को क्यों नहीं बदलवाया गया। ऐसे में बिजली विभाग मृत बच्चे के परिवारजन को मुआवजा दे।

दूसरे दिन भी दगा देता रहा जनरेटर :

- ऊर्जा मंत्री एके शर्मा के जिले में रहने से शनिवार को बिजली कटौती नहीं हुई, लेकिन महिला अस्पताल का जनरेटर दूसरे दिन भी ठीक नहीं हो पाया। करीब 15 मिनट के लिए बिजली कटौती में जनरेटर बार-बार बंद हो जाता रहा। सीएमएस ने बताया कि जनरेटर ठीक कराया जा रहा है।

हाईवोल्टेज के झटकों से अक्सर जूझता है अस्पताल

बलरामपुर : जिला महिला अस्पताल अक्सर हाईवोल्टेज करंट के झटकों से परेशान रहता है। इसे दूर करने के लिए कम से कम 500 केबीए का स्टेबलाइजर की जरूरत है, लेकिन अस्पताल के पास बजट नहीं है। आए दिन हाईवोल्टेज की समस्या के चलते महिला अस्पताल की व्यवस्था प्रभावित रहती है। कभी लो वोल्टेज के चलते पंखा, एसी समेत अन्य चिकित्सीय उपकरण कार्य नहीं करते हैं तो कभी हाई वोल्टेज के चलते ये फुंक जाते हैं। इससे मरीजो को गर्मी व उमस में रहना पड़ता है। खास बात यह है कि अस्पताल का जनरेटर भी ठीक नहीं रहता है। भ्रष्टाचार के चलते भारी भरकम बजट खर्च होने के बावजूद वह जरूरत पड़ते ही दगा दे जाता है। मुख्य चिकित्साधीक्षक डा. विनीता राय ने बताया कि एसएनसीयू के लिए 25 केवीए और पूरे अस्पताल की बिजली नियंत्रित करने के लिए 500 केवीए क्षमता के स्टेबलाइजर की जरूरत है। इसका प्रस्ताव तैयार कराया जा रहा है।

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