Move to Jagran APP

यूपी की इस सीट का चुनावी समीकरण हैं बिल्कुल अलग, हर बार बदल जाता है सांसद का चेहरा; वंचित वोटबैंक तय करते हैं जीत-हार

परंपरागत जातीय मतों के साथ अभी सीधी टक्कर भाजपा और सपा में नजर आ रही है। क्योंकि बसपा उम्मीदवार मुस्लिम चेहरा होने के बाद भी मुस्लिम मताें का बिखराव करने में अभी सफल नहीं दिख रहे हैं। मतदान की तिथि तक इसमें उनको कितनी सफलता मिलेगी यह तो समय बताएगा। बसपा के परंपरागत वंचित मतदाताओं को रिझाकर जोड़ने में सपा और भाजपा दोनों दल जुटे हैं।

By Amit Srivastava Edited By: Riya Pandey Updated: Mon, 20 May 2024 07:33 PM (IST)
Hero Image
वंचित मतों में सेंध से निकलेगा इस सीट की जीत का रास्ता

अमित श्रीवास्तव, बलरामपुर। श्रावस्ती लोकसभा सीट की जीत का रास्ता वंचित मतों में सेंध से निकलेगा। इसीलिए वंचित मतों को अपने पाले में करने के लिए सभी दल दांव चल रहे हैं। भाजपा में ब्राह्मण, सपा ने कुर्मी और बसपा ने मुस्लिम चेहरे पर दांव लगाया है। भाजपा ने साकेत मिश्र, सपा ने राम शिरोमणि वर्मा और बसपा ने मोइनुद्दीन खान को प्रत्याशी बनाया है।

परंपरागत जातीय मतों के साथ अभी सीधी टक्कर भाजपा और सपा में नजर आ रही है। क्योंकि बसपा उम्मीदवार मुस्लिम चेहरा होने के बाद भी मुस्लिम मताें का बिखराव करने में अभी सफल नहीं दिख रहे हैं। मतदान की तिथि तक इसमें उनको कितनी सफलता मिलेगी यह तो समय बताएगा। बसपा के परंपरागत वंचित मतदाताओं को रिझाकर जोड़ने में सपा और भाजपा दोनों दल जुटे हैं।

वंचित मतों के एकतरफा होने से पलट सकता है चुनाव परिणाम

लोकसभा के रण में वंचित मतों के एकतरफा होने से चुनाव परिणाम पलट सकता है। इसका अंदाजा राजनीतिक विश्लेषक लगा रहे हैं, लेकिन इसका पता तो चार जून को ही चलेगा।

श्रावस्ती लोकसभा सीट के पिछले चुनावों के परिणामों पर नजर दौड़ाएं तो एक-एक बार कांग्रेस, भाजपा और बसपा के खाते में सीट गई है। इस बार के समर में भाजपा के साकेत मिश्र के समर्थक ब्राह्मण मतों के आधार के साथ पार्टी के परंपरागत वोटों को मिलाकर अपने को मजबूत बता रहे हैं। साथ ही भाजपा वंचित मतों का निर्णायक हिस्सा अपने साथ मान रही है।

प्रदीप सिंह का दावा- हर चुनाव में भाजपा के साथ रहा है वंचित मत

पार्टी जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंह दावा करते हैं कि वंचित मत हर चुनाव में भाजपा के साथ रहा है। इस बार भी रहेगा। इसमें जरा सा भी शक नहीं है। इनकी बात को तुलसीपार्क निवासी दिलीप कुमार बुधौलिया के इस तर्क से बल मिलता है कि 500 वर्ष का सपना पूरा हुआ है। इससे सबको खुशी है।

राजनीतिक विश्लेषक भीम सिंह कहते हैं कि जातिगत सर्वे सटीक तो नहीं है, लेकिन दलों के पास जो आंकड़े हैं, उसमें वंचित 20 से 21 प्रतिशत के आसपास हैं। इनको अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा, सपा और बसपा तीनों दल लगे हैं।

सपा प्रत्याशी को बसपा प्रमुख मायावती ने चुनाव का बिगुल बजने से पहले पार्टी से निकाल दिया। 2019 के चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन से राम शिरोमणि वर्मा ने जीत दर्ज की थी। इस बार इनका समीकरण बदला है।

अब देखना है कि यह बसपा मतों में कितने अंदर तक पैठ बनाने में सफल होते हैं, जिसकी उम्मीद कम दिखती है। बसपा के मोइनुद्दीन अहमद खां मुस्लिम और पार्टी के कैडर वोटों को सहेजने के लिए खाक छान रहे हैं। इसमें अगर इनको सफलता मिलती है तो परिणाम चौंकाने वाले आ सकते हैं।

किसी भी दल ने वंचित प्रत्याशी पर नहीं खेला दांव

फुलवरिया गांव के तारिक खान कहते हैं कि अब तक हुए चुनावों में किसी भी दल ने लोकसभा के लिए किसी वंचित प्रत्याशी पर दांव नहीं खेला है। इसलिए वंचित मत किसी एक दल से बंधे नहीं हैं, लेकिन श्रावस्ती में बसपा प्रमुख मायावती की चुनावी सभा की भीड़ ने भाजपा और सपा के थिंक टैंक को सोचने पर मजबूर जरूर कर दिया है।

इसी की काट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की श्रावस्ती में प्रस्तावित जनसभा को लोग देख रहे हैं। बहरहाल कुछ भी हो चुनावी समर दिलचस्प है। इसमें मतदाता किसको दिल्ली भेजते हैं, यह चुनाव परिणाम आने पर ही पता चलेगा।

बलरामपुर में मतदाता

  • कुल मतदाता : 19,80,381
  • पुरुष मतदाता : 10,58,663
  • महिला मतदाता : 9,21,664
  • थर्ड जेंडर : 54
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।