यहां के मेहराब-गुंबदों में दिखती ब्रिटिश कला की झलक
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बलरामपुर : बलरामपुर रियासत के दौर में बनी इमारतें उसके समृद्ध व गौरवशाली अतीत की दास्तां बयां करती हैं। नगर के हृदय स्थल पर स्थित सिटी पैलेस अपनी अछ्वुत कलाकृति के लिए आज भी पहचाना जाता है। राजपरिवार के प्राचीन महल के मेहराब व गुंबद ब्रिटिश स्थापत्य कला से सराबोर हैं। जो वर्तमान में महारानी लालकुंवरि महाविद्यालय के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। उसमें राष्ट्रपति भवन व महाविद्यालय के बीचोबीच स्थापित स्टैच्यू हाल पर मुंबई के शिवाजी टर्मिनल (पहले विक्टोरिया टर्मिनल) की स्पष्ट झलक दिखती है। इन इमारतों को ब्रिटेन के विश्वविख्यात आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस ने डिजाइन किया था। बलरामपुर के डेढ़ सौ साल पुराने इतिहास से आज भी ज्यादातर लोग अनजान हैं। बलरामपुर की कहानी रामपुर गौरी नामक कस्बे से शुरू होती है। जिसे तत्कालीन महाराजा दिग्विजय सिंह ने युद्ध में जीता था। उन्होंने रामपुर गौरी को बलरामपुर के रूप में स्थापित करने की शुरुआत की थी। तत्कालीन रियासत इंदौर के साथ बलरामपुर को भी देश की पहली ऐसी रियासत होने का सौभाग्य मिला, जो सुनियोजित रूप से बसाया गया था।
1912 में दिल्ली दरबार के बाद बलरामपुर को नए स्वरूप में विकसित होने का मौका मिला। तत्कालीन महाराजा सर भगवती प्रसाद सिंह ने इस कार्य को आगे बढ़ाया। सर एडविन लुटियंस जिन्होंने नई दिल्ली, राष्ट्रपति भवन व मुंबई टर्मिनल को डिजाइन किया था, उन्होंने बलरामपुर को भी आधुनिकता का स्वरूप प्रदान किया। शहर बसाने के क्रम में बनाए गए चार महत्वपूर्ण चौक आकर्षण का केंद्र थे। शहर में प्रवेश व निकास के लिए बेहतरीन नक्काशी वाले गेट बनाए गए थे। जिसके अवशेष आज भी सिटी पैलेस व सराय फाटक पर मौजूद हैं।