Rajmahal Temple: बलरामपुर में है एक अनाेखा मंदिर, साल में एक दिन खुलता है राजमहल, डेढ़ सौ साल से परंपरा कायम
एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां साल में एक दिन आमजन भगवान की आराधना करते हैं। राज परिवार के इस मंदिर में लगभग डेढ़ सौ वर्ष से यह परंपरा कायम है। अक्षय नवमी के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर की एक झलक पाने को बेताब दिखते हैं।
By Shlok MishraEdited By: Shivam YadavUpdated: Wed, 02 Nov 2022 05:01 AM (IST)
बलरामपुर, जागरण संवाददाता। नगर में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जहां साल में एक दिन आमजन भगवान की आराधना करते हैं। राज परिवार के इस मंदिर में लगभग डेढ़ सौ वर्ष से यह परंपरा कायम है। अक्षय नवमी के दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर की एक झलक पाने को बेताब दिखते हैं। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धालुओं की सप्तकोसी परिक्रमा तब तक अधूरी रहती है जब तक इस मंदिर में पूजा न कर लें।
दक्षिण भारतीय स्थापत्य कला की दिखती है झलक
नगर में राज परिवार के नीलबाग पैलेस में राधा-कृष्ण का भव्य मंदिर निर्मित है। राज परिवार के पुरोहित प्रतिदिन मंदिर में सुबह शाम पूजन-अर्चन करते हैं। यह मंदिर अपनी विशिष्ट निर्माण शैली के लिए भी जाना जाता है। मंदिर में अति प्राचीन दक्षिण भारतीय स्थापत्य कला की विशिष्टता दीवार व छत में दिखाई देती है।
ऐतिहासिक व कलात्मक विशेषताओं को समेटे इस मंदिर की अलग पहचान है। सामान्य दिनों में आम जन को मंदिर में पूजा करने की अनुमति नहीं है। सिर्फ राज परिवार के लोग ही मंदिर में पूजन-अर्चन करते हैं।
आमजन की जुड़ी है आस्था
मंदिर से आम जनता की आस्था जुड़ी है। इसलिए अक्षय नवमी के दिन नगर के आसपास गांव के लोग पूजन के लिए जुटते हैं। इसी दिन नगर में सप्तकोसी परिक्रमा भी निकलती है। परिक्रमा में शामिल श्रद्धालुओं की मान्यता है कि जब तक इस मंदिर में राधा-कृष्ण के दर्शन नहीं होते, तब तक परिक्रमा अधूरी है।
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