आवर्तनशील खेती की पूरे विश्व को जरूरत
बांदा, जागरण संवाददाता : नव पाषाण युग में जन्म लेने वाली कृषि आज बदहाली के मुकाम पर है। इस पारंपरिक व्यवसाय को कैसे सशक्त मुकाम पर पहुंचाया जाए, पैरोकारी शुरू हो गई है। जिसमें कृषि आधारित मानवीय समाज की व्यवस्था की स्थापना का मुख्य लक्ष्य रखा गया। विदेशी मेहमानों के साथ यहांदस दिनों तक चले मंथन में आवर्तनशील खेती के सिद्धांत को अंगीकार कर किसानी को बदहाली से उबारने का संकल्प लिया गया। पिछले कई वर्षो से खेती के लिए काम करने वाले बेल्जियम के जोहान ने कहा कि आवर्तनशील खेती की भारत ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया को जरूरत है।
बेल्जियम के मेहमानों का एक दल पिछले दिनों जोहान एवं आर्गेनिक के प्रोफेसर लुईस के नेतृत्व में छात्राओं एवं किसानों का एक दल आया। बुंदेलखंड की मौजूदा एवं पारंपरिक कृषि पद्धति को बारीकी से देखा। बदहाल हो रही किसानी को कैसे उबारा जाए इस पर भी मंथन चला। बुधवार को समापन मौके पर बड़ोखर खुर्द गांव में एक कार्यशाला आयोजित हुई। जिसमें जोहान ने आवर्तनशील खेती के सिद्धांतों को पूरी दुनिया की जरूरत बताई। कहा कि भारत की यह पारंपरिक पद्धति है। बहुत अच्छी बात है कि यहां के किसान उत्पादन के साथ प्रकृति के सिद्धांतों का पालन करते हैं। जरूरत है कि आवर्तनशील पद्धति को व्यापक रूप से अपनाकर खेती को सशक्त बनाया जाए। कहा कि यहां के अनुभव से अपने यहां कृषि को बढ़ावा देने का काम करेंगे। आर्गेनिक के प्रोफेसर लुईस ने कहा कि उन्हें यहां आने के बाद एक नई अनुभूति और ऊर्जा मिली है। हमने देखा कि किसी को सता कर समृद्ध नहीं हो सकते। यहां के किसानों में यह बात देखने को मिली कि खुद के साथ उसे प्रकृति के संरक्षण की भी चिंता है। । बेल्जियम के कृषक जोहान ने कहा कि यहां किसानी में सबको जोड़कर चलने की परंपरा रही है। यही एक आवर्तनशील व्यवस्था है। निश्चित ही इससे समृद्धि आएगी। डेनमार्क से आई छात्रा ट्रेनर ने कहा कि यहां आकर काफी कुछ सीखने को मिला है। डेनमार्क के डिकी ने कहा कि ऐसे ही प्रयास से जहां किसानी समृद्ध होगी वहीं प्रकृति का संरक्षण होगा। बड़ोखर के कृषक प्रेम सिंह ने एचएसी (ह्यूमन एग्रेरियन सेंटर) के कार्यो व सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। कहा कि कृषि को समृद्धि का रास्ता एवं सम्मानजनक व्यवसाय के रूप में स्थापित करने के लिए एचएसी का मुख्य लक्ष्य है। कार्यक्रम में नगर पालिका अध्यक्ष विनोद जैन, पूर्व एमएलसी युवराज सिंह, बीडी गुप्ता, प्रेम प्रकाश शुक्ला, बाबूलाल गुप्ता, स्वतंत्र तिवारी, डॉ. लक्ष्मी त्रिपाठी, मो. इदरीश, राजकुमार राज, संत कुमार आदि उपस्थित रहे।
कृषि विकास के लिए तय हुए सिद्धांत
- आवर्तनशील खेती के आधार एवं सिद्धांतों की स्थापना।
- समृद्धि स्वरूप निश्चित कर प्रेरित करना।
- सरकारी कार्यक्रमों का कृषि जगत में प्रभाव।
- पलायन उजड़ते गांव एक राष्ट्रीय संकट एवं समाधान।
- प्रकृति अनुरूप कृषि प्रविधियों का विकास।
- सरकारी नीतियों का कृषि जगत में प्रभाव।
- वर्तमान कृषि तकनीकियों का समाज पर प्रभाव।
- कृषि आधारित मानवीय समाज व्यवस्था की स्थापना।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर