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आषाढ़ में धूप-छांव के खेल से बिगड़ रहा किसानी का मेल

जागरण संवाददाता बांदा आधा आषाढ़ बीत गया लेकिन अब तक मौसम का मिजाज खेती के लिहाज से ठी

By JagranEdited By: Updated: Sun, 11 Jul 2021 05:43 PM (IST)
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आषाढ़ में धूप-छांव के खेल से बिगड़ रहा किसानी का मेल

जागरण संवाददाता, बांदा : आधा आषाढ़ बीत गया, लेकिन अब तक मौसम का मिजाज खेती के लिहाज से ठीक नहीं कहा जा रहा है। आसमान में आते-जाते बादल बारिश के बजाए मन ललचा कर गुजर जाते हैं। उमस व तेज गर्मी के कारण पसीने से नहला रहे हैं। जुलाई के दस दिनों में महज 16 मिली मीटर बरसात हुई, जो खेती के लिए पर्याप्त नहीं मानी जा रही है। बहुत से किसान अभी खरीफ की ज्यादातर फसलों की बोआई व धान की रोपाई के लिए नर्सरी तक नहीं डाल पाए हैं। हालांकि दोपहर में तेज हवा के साथ घने बादल छा गए। कुछ देर के लिए बारिश तो हुई लेकिन खेतों में अभी भी पर्याप्त नमी नहीं आ सकी है।

इस साल जिले में एक लाख 38 हजार हेक्टेअर में खरीफ फसलों की पैदावार का लक्ष्य है। जिसमें 53 हजार से ज्यादा रकबे में धान की रोपाई की जानी है। जून शुरुआत में जिस तरह से रुक- रुक बारिश हुई उससे यही लगा कि इस साल समय से पहले ही मानसून आ सकता है। लेकिन पिछले महीने अंतिम चरण में मौसम में ऐसा बदलाव आया कि बारिश तो दूर लोगों को तेज धूप व उमस से तपना पड़ रहा है। जुलाई झमाझम बारिश वाला महीना है। लेकिन शुरुआती दस दिनों में महज 16 मिलीमीटर बरसात रिकार्ड की गयी है। कृषि कार्यों के लिहाज से इसे बहुत कम माना जा रहा है। यही कारण है कि तिल, अरहर, मूंग, उर्द व ज्वार की बोआई एवं धान की नर्सरी डालने में बहुत से किसान पिछड़ रहे हैं। - मानसून की अनिश्चितता के कारण जिले के खरीफ फसलों की बोआई व धान की नर्सरी डालने में विलंब हुआ है। जुलाई में ढाई सौ मिली मीटर से अधिक बारिश होती है। इस साल जुलाई का पहला पखवारा बीतने को है लेकिन अभी तक 16 मिमी बारिश हुई है, जो खेती के लिहाज से बेहद कम है। इससे बोआई व नर्सरी काम पिछड़ा है। देर से बोआई के कारण फसलों को अनुकूल वातावरण नहीं मिल पाता है। फलस्वरूप उत्पादन में कमी आती है। -डा. दिनेश साह मौसम विज्ञानी, कृषि विश्वविद्यालय

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घाटी भी बारिश से सूनी, घटा नहरों का पानी

बांदा : खरीफ फसलों के लिए जुलाई के प्रथम सप्ताह में केन नहरों में पानी मध्य प्रदेश स्थित बरियारपुर वियर से पानी छोड़ा गया। लेकिन एमपी की घाटियों में बारिश थमने से वियर में पानी घटता जा रहा है। जिससे नहरों में भी पानी घटा है। इस समय केन की मुख्य नहर 630 क्यूसेक क्षमता से चल रही है। जबकि इसकी अधिकतम क्षमता 2500 क्यूसेक की है। इसी तरह अतर्रा व बांदा ब्रांच में भी पानी काफी कम चल रहा है। केन नहर प्रखंड के अधिशाषी अभियंता अरविद कुमार पांडेय ने बताया कि मुख्य ब्रांच से अतर्रा ब्रांच को 585 क्यूसेक व बांदा ब्रांच को 157 क्यूसेक पानी जा रहा है। अतर्रा नहर की अधिकतम क्षमता 1545 क्यूसेक व बांदा नहर की अधिकतम क्षमता 675 क्यूसेक है। जबकि पिछले दिनों जब नहर में पानी छोड़ा गया था उस समय मुख्य शाखा में 1050 क्यूसेक अतर्रा में 741 क्यूसेक व बांदा शाखा में 244 क्यूसेक क्षमता से पानी चलाया गया था। जो अब घट गया है। अधिशाषी अभियंता ने बताया कि अभी 15 दिनों के लिए पानी है। यदि आगे बारिश नहीं हुई तो नहरों के संचालन प्रभावित होगा।

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