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बांदा में शराब की एक बोतल के रुपये मांगने पर चाचा ने खेला था खूनी खेल; लाइसेंसी बंदूक से भतीजे को मारी गोली

बांदा में एक बोतल शराब के लिए चाचा ने अपने ही भतीजे को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया। विवाद इतना बढ़ गया कि चाचा ने अपनी लाइसेंसी बंदूक से भतीजे के सीने में गोली मार दी। घटना के बाद से हत्यारोपी चाचा फरार है और पुलिस उसकी तलाश कर रही है। जेल से अच्छे आचरण पर आठ महीने की सजा माफी हुई थी।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Tue, 08 Oct 2024 03:43 PM (IST)
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खबर में प्रतीकात्मक तस्वीर का उपयोग किया गया है।
जागरण संवाददाता, बांदा। सात साल की सजा काटकर आए जिस भतीजे को चाचा ने अपनी लाइसेंसी दो नाली बंदूक से गोली मारकर हत्या की थी। उसके व चाचा के बीच महज एक बोतल शराब के रुपयों को लेकर विवाद हुआ था। एसओजी समेत पुलिस की तीन टीमें फरार हत्यारोपित चाचा को पकड़ने के लिए दबिश दे रही हैं। हालांकि अभी तक पुलिस अधिकारियों ने उसकी गिरफ्तारी होने की पुष्टि नहीं की है।

कमासिन थाना के तिलौसा गांव निवासी विजय नारायण का पुत्र जितेंद्र उर्फ साधू अपनी पत्नी की दहेज हत्या के मामले में सात साल की सजा काटकर फरवरी माह में जेल से छूटा था।

विवाद होने पर मार दी गोली

रविवार देर शाम वह अपनी पान-मसाला की दुकान में बैठा था। तभी उसके चाचा देवीचरण ने विवाद होने पर घर से बंदूक लाकर सीने में गोली मार दी थी। जिससे मौके पर उसकी मौत हो गई थी। फोरेंसिक टीम ने साक्ष्य संकलित किया था। दिवंगत के पिता ने तहरीर देकर फरार हत्यारोपित अपने भाई के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है। पिता ने बताया कि दोनों शराब व गांजा साथ में बैठकर पीते रहे हैं। उनके बीच में कभी कोई विवाद नहीं होता था। घटना के समय हत्यारोपित देवीचरण खेत से ट्रैक्टर लेकर घर आया था। नशेबाजी में कहासुनी होने पर उसने घटना की है।

शराब के लिए मांगे थे रुपये

जबकि गांव के लोगों ने पुलिस को बताया कि चाचा के दुकान पहुंचने पर जितेंद्र ने उनसे शराब की बोतल मंगवाने के लिए रुपये देने के लिए कहा था। जिसमें चाचा ने रुपये देने से मना कर दिया था। जबकि जितेंद्र का कहना था कि इसके पहले उसने रुपये दिए थे। इस बार उनको देना पड़ेगा। इसी बात को लेकर दोनों में विवाद इतना बढ़ गया है। कि चाचा ने तैस में आकर वारदात को अंजाम दे डाला था। घटना करने के पहले खेत से घर आते समय भी हत्यारोपित ने रास्ते में गांव के ठेके के पास शराब भी पी थी। इससे वह नशे में था।

सीओ बबेरू सौरभ सिंह ने बताया कि नशेबाजी व चंद रुपयों के विवाद में घटना हुई है। शीघ्र हत्यारोपित को पकड़कर जेल भेजा जाएगा।

घर के बाहर तैनात की गई पुलिस 

हत्या की घटना के बाद दिवंगत के घर के बाहर व हत्यारोपित के घर के पास पुलिस तैनात की गई है। हर आने जाने वाले पर पुलिस नजर रख रही है। 

हत्यारोपित के नाम भी दर्ज है पहले से मुकदमा 

पुलिस ने बताया कि दिवंगत जहां जेल से छूटने के बाद अपने जीवनयापन के लिए दुकान करता था वहीं वह वैध का काम भी करता था। उधर जिस चाचा ने उसे गोली मारी है उसके विरुद्ध भी 2017 में अवैध असलहा रखने का मुकदमा दर्ज हुआ था। अब यह हत्या का उसके ऊपर दूसरा मुकदमा दर्ज हुआ है। नशेबाजी साथ में करके वह अक्सर लड़ते रहे हैं।

100 मीटर की दूरी पर नहीं सुनाई दी थी गोली की आवाज 

दिवंगत के पिता ने बताया कि जितेंद्र के दो बेटे हैं। इसमें एक बेटा रामजी शहर के परशुराम तालाब ननिहाल में रहता है जबकि दूसरा बेटा श्यामजी उनके साथ रहता है। दोनों बेटे कक्षा आठ के छात्र हैं। जिस समय बेटे को गोली मारी गई है। सटा के मारने की वजह से उन्हें गोली लगने की आवाज सुनाई नहीं दी थी। हत्यारोपित के पुत्रों ने आकर उन्हें घटना की जानकारी दी थी। घटना के समय गांव के तीन युवक और वहां मौजूद थे। लेकिन हत्या होते ही वह मौके से भाग खड़े हुए हैं।

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जेल में नेक चलन की वजह से आठ माह की सजा हुई थी माफ

दिवंगत जितेंद्र के पिता ने बताया कि 2016 में उसकी पत्नी संगीता की जहर खाने से मौत हो गई थी। जिसमें उसके मायके पक्ष ने दहेज हत्या का मुकदमा जितेंद्र उसके भाई महेंद्र व उनके विरुद्ध दर्ज कराया था। जितेंद्र की जेल जाने के बाद कभी जमानत नहीं हुई थी। वह जेल में कैंटीन में काम करता था। जेल में नेक चलन के चलते उसकी आठ माह की सजा माफ हो गई थी।

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इससे घटना के करीब आठ माह पहले फरवरी माह में उसे जेल से छोड़ा गया था। जबकि भाई महेंद्र व वह खुद हाईकोर्ट से जमानत पर हैं। मुकदमे की पैरवी में जितेंद्र की चार बीघा व उनकी दस बीघा जमीन गिरवी रख चुकी है। जमीन गिरवी रखने में 60 हजार रुपये बीघा के हिसाब से उन्हें रुपये मिले थे। 

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