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UP News: र‍िश्वत लेने वाले लेखपाल पर हुई बड़ी कार्रवाई, एंटी करप्‍शन टीम ने रंगे हाथों क‍िया था ग‍िरफ्तार

बड्डुपुर के खिंजना गांव निवासी मनोज करीब तीन महीने पहले बहादुरपुर ग्राम पंचायत से स्थानांतरित होकर भयारा गया था। ग्राम पंचायत भयारा के रुस्तमपुर के शिकायतकर्ता मनोज आनंद ने खारिज दाखिल के लिए लेखपाल से संपर्क किया। इस पर लेखपाल ने 50 हजार रुपये की मांग की थी। लेखपाल को रिश्वत लेते हुए एंटी करप्शन की टीम ने जिलाधिकारी आवास के सामने से रंगेहाथ पकड़ा था।

By Deepak Mishra Edited By: Vinay Saxena Updated: Thu, 13 Jun 2024 01:36 PM (IST)
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एंटी करप्शन की टीम के साथ लेखपाल।
संवाद सूत्र, बाराबंकी। लेखपाल को रिश्वत लेते हुए एंटी करप्शन की टीम ने जिलाधिकारी आवास के सामने से रंगेहाथ पकड़ा था। इससे पहले शिकायतकर्ता के पैसों में टीम ने फिनोफ्थलीन पाउडर लगाया था, ताकि आरोपित लेखपाल की रिश्वत लेने की पुष्टि की जा सके। उधर, आरोपित को तहसीलदार ने निलंबित कर दिया है।

तहसील नवाबगंज का लेखपाल मनोज कुमार सिंह मसौली के भयारा ग्राम पंचायत में कार्यरत था। बड्डुपुर के खिंजना गांव निवासी मनोज करीब तीन महीने पहले बहादुरपुर ग्राम पंचायत से स्थानांतरित होकर भयारा गया था। ग्राम पंचायत भयारा के रुस्तमपुर के शिकायतकर्ता मनोज आनंद ने खारिज दाखिल के लिए लेखपाल से संपर्क किया। इस पर लेखपाल ने 50 हजार रुपये की मांग की थी।

आनंद ने इतने पैसे देने में असमर्थता जताई। अंत में 20 हजार रुपये पर बात तय हुई। मंगलवार को एंटी करप्शन टीम ने डीएम आवास के सामने साईं स्वीट्स पर करीब दो बजकर 50 मिनट पर रिश्वत लेते हुए लेखपाल को गिरफ्तार किया।

टीम ने लेखपाल को पकड़ने से पहले पांच हजार के पांच-पांच सौ की नोटों में फिनोफ्थलीन पाउडर लगाया था। एक सफेद कागज में रखकर नोट शिकायतकर्ता को दिए गए थे। लेखपाल मनोज सिंह पैसे मिलते ही लिफाफा से निकालकर गिनने लगा, जिससे उसके हाथों में पाउडर लग गया।

टीम के उपनिरीक्षक विश्वनाथ सिंह ने कांच के गिलास में सोडियम कारबोनेट का घोल तैयार कर आरोपितों के हाथों की अंगुलियों को धुलवाया तो धोवन का रंग गुलाबी हो गया, जिसे कांच की शीशी में लेकर सील कर दिया गया। एंटी करप्शन टीम ने आरोपित को गोरखपुर की जेल भेज दिया है। उधर, तहसील नवाबगंज के तहसीलदार शरद सिंह ने बताया कि लेखपाल को निलंबित कर दिया गया है।

डीएम ने दिए थे दो साक्षी

एंटी करप्शन टीम ने छापेमारी करने से पहले जिलाधिकारी से अनुमति मांगी थी। डीएम ने अनुमति प्रदान कर दो साक्षी कर्मचारी भी लगा दिए थे, ताकि रिश्वत की पुष्टि के लिए उनके कर्मचारी साक्षी के तौर पर हों। डीएम ने ग्राम्य विकास और कृषि विभाग के कर्मचारियों को लगाया था।

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