लाखों खर्च फिर भी जारी है खुले में शौच
शहर की मलिन बस्ती हड्डीगंज व ग्रीडगंज में कई मकान ऐसे हैं जिनके घरों में शौचालय बनाने की जगह नहीं है। इसके ²ष्टिगत सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया गया है। जिसमें एक सामुदायिक शौचालय जो आबादी में बना था वह जर्जर हो गया है।
By JagranEdited By: Updated: Sat, 27 Nov 2021 11:04 PM (IST)
बाराबंकी: शहर की मलिन बस्ती हड्डीगंज व ग्रीडगंज में कई मकान ऐसे हैं जिनके घरों में शौचालय बनाने की जगह नहीं है। इसके ²ष्टिगत सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराया गया है। जिसमें एक सामुदायिक शौचालय जो आबादी में बना था वह जर्जर हो गया है। दूसरा आबादी से पांच सौ मीटर दूर बना दिया गया है। जहां कोई जाता नहीं है। ऐसे में सुबह व शाम खुले में शौच करते देखे जाते हैं। जबकि शहर सरकारी आंकड़ों में खुले में शौच से मुक्त बताया जा रहा है।
शहर में गिने चुने ही शौचालय: शहर में नौ सामुदायिक शौचालय, आठ सार्वजनिक शौचालय के संचालन का दावा नगर पालिका परिषद नवाबगंज प्रशासन कर रहा है। जिसमें जमुरिया पुल के निकट, बंकी ब्लाक के निकट, सतरिख नाका, बस स्टेशन के निकट, माल गोदाम रोड पर कलेक्ट्रेट के निकट के अलावा कुल 17 शौचालय संचालित होने का दावा किया जा रहा है। मगर हकीकत यह है कि इनमें से कुछ ही शौचालय बेहतर है। नगर पालिका को खुले में शौचमुक्त बनाने का नगर पालिका परिषद नवाबगंज का दावा खोखला ही साबित हो रहा है। ऐसे में शहर को ओडीएफ बनाने का सपना फिलहाल अधूरा ही है। आज भी बाहर शौच जाने को विवश हैं। लोग बोले बनवाए जाएं सार्वजनिक शौचालय: सत्यप्रेमीनगर निवासी राजेश कुमार वासू का कहना है कि शहर में सार्वजनिक शौचालयों की कमी है। सार्वजनिक शौचालय बनवाए जाने चाहिए। लाजपतनगर निवासी सरदार जसवीर सिंह विक्की का कहना है कि लोगों ने कांपलेक्टर तो बनवा दिए लेकिन लघु शंका व दीर्घ शंका के लिए शौचालय नहीं बनवाए। यह एक सबसे बड़ी समस्या शहर की है। सत्यप्रेमीनगर निवासी अधिवक्ता संजीव बक्शी का कहना है कि सार्वजनिक शौचालय जो बने भी है वह साफ सुथरे नहीं होते हैं। यह भी दिक्कत है। सिविल लाइन निवासी पं. राजन शर्मा का कहना है कि ओडीएफ बनाने का जो दावा नपाप कर रहा है कि कम से कम धरातल पर इसे पूरा करना चाहिए। देवा रोड निवासी राजेश गुप्ता किल्टू का कहना है कि हमारा शहर तभी इंदौर की तरह बन सकेगा जब शौचालय के साथ-साथ साफ सफाई व्यवस्था भी बेहतर हो।
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