डरावनी आवाजें सुनाई देने पर न करें नजर अंदाज, मानसिक बीमारियों का शिकार हो रही महिलाएं
बाराबंकी में प्रसव के बाद महिलाओं में मानसिक बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है जिनमें पोस्टपार्टम डिप्रेशन और साइकोसिस प्रमुख हैं। महिलाएं उदासी चिंता और चिड़चिड़ापन महसूस करती हैं जिससे बच्चे की देखभाल करना भी मुश्किल हो जाता है। समय पर इलाज न होने पर यह रोग गंभीर हो सकता है इसलिए लक्षणों को पहचान कर तुरंत उपचार कराना आवश्यक है।

संवाद सूत्र, बाराबंकी। प्रसव के बाद महिलाओं में मानसिक बीमारियां बढ़ रही है। इन बीमारियों से अधिकांश महिलाएं अंजान होती है। जिला अस्पताल के मानसिक रोग विभाग की ओपीडी में आने वाली महिला रोगी इस सच्चाई की पुष्टि करती हैं। कई महिलाओं को डरावनी आवाजें सुनाई पड़ रही हैं और अकेले में बैठकर रोने का मन करता है।
दिनभर उदासी बनी रहती है और काम में मन नहीं लगता। ऐसी समस्याओं को आमतौर पर ग्रामीण क्षेत्र में कोई ध्यान नहीं देता है, लेकिन चिकित्सकों की माने तो यह मानसिक रोग के लक्षण हैं और समय पर उपचार न होने से रोग घातक हो जाता है।
महिलाएं मानसिक संबंधी समस्याएं बताने में संकोच भी करती है। अधिकतर महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन की शिकार हो रही है। ओपीडी में आने वाली महिलाएं बताती हैं कि अपने बच्चे की देखभाल करने का मन नहीं करता। गलत विचार आते हैं और चिड़चिड़ापन बना रहता है।
जिला अस्पताल की मनोचिकित्सक डॉ. आरती यादव बताती हैं कि प्रसवोत्तर अवसाद या पोस्टपार्टम डिप्रेशन (पीपीडी) एक प्रकार का मनोदशा विकार है, जो प्रसव के बाद महिलाओं को प्रभावित कर सकता है। इसमें महिलाओं को तीव्र उदासी, चिंता और डिप्रेशन के अन्य लक्षणों का अनुभव हो सकता है।
कई बार ये स्थिति इतना खतरनाक हो सकती है कि मां के लिए अपने बच्चे की देखभाल करना भी कठिन हो जाता है। लोग इस समस्या का पहचान नहीं पाते। समय पर इसका इलाज न हो पाने के कारण जटिलताओं के बढ़ने का खतरा रहता है।
वह बताती हैं कि बच्चे को जन्म देने के बाद महिला के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन में परिवर्तन के कारण पोस्टपार्टम डिप्रेशन सहित भावनात्मक और शारीरिक समस्याएं आती है।
इसके साथ ही साइकोसिस रोग से भी महिलाएं पीड़ित हो रही है। उनके मुताबिक हर माह औसतन 10 महिलाएं मानसिक बीमारियां विशेषकर साइकोसिस व पोस्टपार्टम से पीड़ित इलाज के आती है।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन की स्थिति में अत्यधिक उदासी, चिड़चिड़ापन या गुस्सा बना रहता है, अपने बच्चे से जुड़ाव महसूस नहीं हो पाता और कई बार खुद को अयोग्य मां समझने लगती हैं। कई बार आत्मघाती विचार भी आ सकते हैं।
समय पर मानसिक स्वास्थ्य में लापरवाही बरतने से महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और हृदय सहित अन्य गंभीर स्वास्थ्य बीमारियों से ग्रसित हो जाती है।
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