चुनौतियों से जूझने का माद्दा रखते थे रफी अहमद किदवई
देश की राजनीति में प्रमुख स्थान रखने वाले रफी अहमद किदवई ने स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई। वह चुनौतियों से लड़ने और कठोर निर्णय लेने में कभी पीछे नहीं हटे। उन्होंने कानून की पढ़ाई की दौरान ही स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने लगे थे।
बाराबंकी : देश की राजनीति में प्रमुख स्थान रखने वाले रफी अहमद किदवई ने स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई। वह चुनौतियों से लड़ने और कठोर निर्णय लेने में कभी पीछे नहीं हटे। उन्होंने कानून की पढ़ाई की दौरान ही स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने लगे थे। तभी तो वर्ष 1920-21गांधी जी के आह्वान पर असहयोग आंदोलन में शामिल के लिए कानून की परीक्षा के ऐन मौके पर सहपाठियों संग किया था एएमओ कालेज का बहिष्कार कर दिया था। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। जमींदार खानदान में जन्मे, उठाई किसानों की आवाज:
18 फरवरी 1894 को बाराबंकी के मसौली में जमींदार इम्तियाज अली के परिवार में रफी अहमद किदवई का जन्म हुआ था। इसके बावजूद उन्होंने गरीबों, किसानों और मजलूमों की आवाज उठाने का काम किया। वर्ष 1931 मानवेंद्रनाथ राय से परामर्श के बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के साथ इलाहाबाद और समीपवर्ती जिलों के किसानों के मध्य कार्य करना प्रारंभ किया। जमींदारों द्वारा किए जा रहे उनके दोहन और शोषण की समाप्ति के लिए सतत प्रयत्नशील रहे। कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी का किया विरोध: