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माटी से हीरा-मोती उपजाकर रामसरन बने पद्मश्री!

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By JagranEdited By: Updated: Fri, 25 Jan 2019 11:44 PM (IST)
माटी से हीरा-मोती उपजाकर रामसरन बने पद्मश्री!
माटी से हीरा-मोती उपजाकर रामसरन बने पद्मश्री!

बाराबंकी: हरख ब्लॉक के छोटे से गांव दौलतपुर के निवासी प्रगतिशील किसान रामसरन वर्मा ने अपने खेतों में केला, टमाटर, आलू, मेंथा के रूप में सोना उपजाने का काम किया। यह कहना इसलिए अतिश्योक्ति न होगा क्योंकि इसी की बदौलत आज उन्हें सरकार ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया। रामसरन ने 'जागरण' से कहा कि यह सम्मान देश व प्रदेश के किसानों का है। रामसरन इस मौके पर दैनिक जागरण अखबार के प्रति आभार प्रकट करना भी नहीं भूले। उन्होंने बताया कि वह वर्ष 2006 में दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार सदगुरु शरण अवस्थी उनके खेतों में आए थे। उन्होंने 'रामसरन के खेत सचमुच उगलते हैं हीरा-मोती' शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इस खबर के बाद इतना मनोबल बढ़ा कि खेती को जीवन का आधार बना लिया।

अन्य जिलों में भी रामसरन के फालोअर: रामसरन ने फसल चक्र अपनाकर कम लागत में अधिक उत्पादन का तरीका खोजा। सहारा विधि से टमाटर की इनकी ाखेती दौलतपुर गांव के साथ ही आसपास के गांवों के किसानों के लिए वरदान बन गई। टमाटर के साथ ही केला, मेंथा व आलू की खेती में रामसरन ने नई क्रांति लाने का काम किया। इनके फार्म हाउस पर तत्कालीन राज्यपाल बीएल जोशी व मौजूदा राज्यपाल राम नाईक दो बार जा चुके हैं। देश के अलावा विदेशों के भी कृषि वैज्ञानिक व विशेषज्ञ तथा देश में आइएएस, पीसीएस का प्रशिक्षण लेने वाले भी इनकी उन्नत खेती को देखने के लिए आते हैं। रामसरन की तकनीक से खेती करने वाले जिले के किसान जिले के अलावा पड़ोस के जिला बहराइच, गोंडा, फैजाबाद, लखनऊ, अमेठी, सुल्तानपुर, रायबरेली आदि जिलों में भी हैं। इनकी वेबसाइट वर्मा एग्री डॉट कॉम पर खेती की तकनीक का हवाला है। करीब एक लाख लोग देश में इनकी वेबसाइट को देखते हैं।

खेती के महानायक: दूरदर्शन ने रामसरन को खेती का महानायक टाइटिल देते हुए दो वर्ष पहले इनकी खेती पर आधारित एक टेलीफिल्म भी बनाई थी जो किसानों को प्रेरणा देती है। कलाम ने किया था सलाम: देश के पूर्व राष्ट्रपति स्व. एपीजे अब्दुल कलाम वर्ष 2012 में जिले में आए थे। केडी ¨सह बाबू स्टेडियम में रामसरन की खेती की प्रदर्शनी देखकर उन्होंने इन्हें सराहा था। मिसाइलमैन ने रामसरन के कृषि उपकरणों को अपने हाथ में लेकर देखा था और किसान भगवान कहकर उन्हें सलाम भी किया था।

ग्रामीणों का पलायन रोका: रामसरन वर्मा ने उन्नत खेती के जरिए अपने व आसपास के गांवों के किसानों व खेतिहर मजदूरों का पलायन भी रोका। मौजूदा समय रामसरन वर्मा सहकारिता आधारित खेती कर रहे हैं। इन्होंने ऐसे किसानों की जमीनों पर केला व टमाटर की खेती कर रहे हैं जो परंपरागत खेती में घाटा ही झेलते आए हैं। कुर्सी व सफदरगंज क्षेत्र में करीब तीन सौ बीघे केला की खेती रामसरन वर्मा सहकारिता विधि से करा रहे हैं। इन खेतों में हर दिन लगभग 50 मजदूरों को रोजगार मिलता है। वहीं इनके खेतों में काम कर लोग इनकी तकनीक सीखने के बाद अपने छोटे-छोटे खेतों में टमाटर, केला की फसल उगाकर आर्थिक उन्नति कर रहे हैं।

इनसेट-मेहनत बनी गौरव: रामसरन वर्मा को पद्मश्री सम्मान मिलने पर जिलाधिकारी उदयभानु त्रिपाठी ने बधाई दी। उन्होंने कहा कि रामसरन वर्मा की मेहनत ही इस पुरस्कार के रूप में जिले का गौरव बनी है। रामसरन ने खेती से आर्थिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त कर दिखाया है जिसका अनुसरण जिले व प्रदेश के अन्य किसान अपनी गरीबी दूर करने के साथ ही देश में खाद्यान्न की समस्या को दूर कर रहे हैं।