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नसबंदी पर फतवे से हिल गई थी हुकूमत

खोला जा चुका ऑनलाइन फतवा विभाग जागरण संवाददाता, बरेली: इमाम अहमद रजा खां फाजिल-ए-बरेलवी की दरगाह द

By Edited By: Updated: Thu, 03 Dec 2015 11:04 PM (IST)
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खोला जा चुका ऑनलाइन फतवा विभाग

जागरण संवाददाता, बरेली: इमाम अहमद रजा खां फाजिल-ए-बरेलवी की दरगाह दुनियाभर में मानने वालों के लिए अकीदत का केंद्र है। दरगाह को मकबूलियत फतवों के सबब भी मिली। उस दौर में आला हजरत ने जबर्दस्त फतवे दिए। दीन और दुनिया के तमाम मसले साफ कर दिए। यहां तक कि दरगाह के फतवे से सरकार तक हिल गई। नसबंदी के खिलाफ फतवा इतना मकबूल हुआ कि हुक्मरानों को फैसला बदलना पड़ गया। आला हजरत की फतवों की किताब फतावा-ए-रजविया दुनियाभर में मशहूर है।

आला हजरत के दादा स्वतंत्रता सेनानी हजरत मुफ्ती रजा अली खां ने वर्ष 1831 में फतवा विभाग की स्थापना की थी। वर्ष-1871 में आला हजरत के वालिद हजरत नकी अली खां ने जिम्मेदारी संभाली। यहां के फतवों को दुनिया में आला हजरत इमाम अहमद रजा खां के 1869 से 1921 तक के कार्यकाल में सबसे ज्यादा महत्व मिला। आपकी फतावा रजविया किताब कई देशों में प्रकाशित की गई। बड़े बेटे हजरत मुफ्ती मुहम्मद हामिद रजा खां, छोटे बेटे हजरत मुफ्ती-ए-आजम ¨हद भी फतवे देने लगे। पोते हजरत मुफ्ती इब्राहीम रजा खां, रेहाने मिल्लत हजरत मौलाना रेहान रजा खां ने भी दारूल इफ्ता मंजरे से इस्लाम से फतवे दिए थे। अब पूर्व सज्जादानशीन मौलाना सुब्हान रजा खां सुब्हानी मियां की परपरस्ती में फतवे जारी किए जाते हैं। उधर, ताजुशरिया मुफ्ती अख्तर रजा खां अजहरी मियां ने वर्ष 1982 में मरकजी दारूल इफ्ता की स्थापना की। यहां से भी फतवे जारी किए जाते हैं। मुफ्ती सलीम नूरी ने बताया कि आधुनिक युग है। इसलिए डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट आला हजरत डॉट इन, डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट अला हजरत डॉट इन और दारूल इफ्ताबरेली एट दि रेट जीमेल डॉट कॉम पर सवाल लिखकर आने के बाद ऑनलाइन फतवा दिया जाता है। ऑनलाइन फतवे तमाम देशों से मांगे जाते हैं।

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