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कुरान का अनुवाद कन्जुल ईमान और आला हजरत

By Edited By: Updated: Wed, 26 Dec 2012 10:49 PM (IST)
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विशेष -----आला हजरत -----

आला हजरत इमाम अहमद रज़ा खां फाजिले बरेलवी ने मजहब-ए-इस्लाम को कन्जुल ईमान (कुरान का अनुवाद) के रूप में एक अहम तोहफा अता किया। सन 1911 ई. बमुताबिक 1330 हिजरी में सदस्य शरिया हजरत मौलाना अमजद अली साहब की सिफारिश पर कुरान-ए-पाक का तर्जुमा उर्दू में चन्द माह की मुद्दत में कर दिया था। चूंकि दुनिया का कोई भी शख्स अपनी काबलियत की बुनियाद पर अरबी, फारसी, हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी व बांग्ला आदि भाषाओं का माहिर तो बन सकता है, वकील, डाक्टर, इंजीनियर की डिग्रियां हासिल कर सकता है। लेकिन कुरान-ए-पाक का तर्जुमा (अनुवाद) करना सबके बस की बात नहीं। कुरान की असल मंशा को समझने के साथ आयतें कुरानी के अंदाज को पहचानना उस आलिमेदीन का काम है जिसका दीनी निगाह बहुत तेज हो। आला हजरत तमाम खूबियों के मालिक थे।

आला हजरत ने सदस्य शरिया से वायदा तो कर लिया, लेकिन दूसरे दीनी कामों की वजह से देरी होती रही। जब सदस्य शरिया की जानिब से सिफारिश बढ़ी तो आला हजरत ने फरमाया चूंकि अनुवाद के लिए मेरे पास मुस्तकिल वक्त नहीं है इसलिए आम सोने के वक्त या दिन में आराम के वक्त आ जाया करें। चुंनाचे यह दीनी काम शुरू हो गया। अनुवाद का तरीका यह था कि आला हजरत जुबानी तौर पर आयातें करीमा का अनुवाद करते और सदरूश शरिया उसको लिखते जाते। आला हजरत द्वारा लिखे कन्जुल ईमान से तो हमें पता चलता है कि यही अकेला ऐसा तर्जुमा (अनुवाद) है जो गलतियों से पाक है। कन्जुल ईमान में वह सारी खूबियां मिलती हैं जो अल्लाह और उसके रसूल की शान बढ़ाने के लिए होनी चाहिए।

सन् 1993 ई.में प्रो. डा. मजीवुल्ला कादरी ने डा. मसूद अहमद की निगरानी में कन्र्जुल ईमान पर कराची विश्वविद्यालय पाकिस्तान से पीएचडी की। कन्जुल ईमान पर अनुवाद कितनी ही जुबानों में पूरे विश्व में हो चुका है। जिसमें अंग्रेजी में प्रो.हनीफ अख्तर (इंग्लैण्ड), मौलाना हसनैन मियां नाजमी (काशीराम नगर), हिन्दी में मुफ्ती अब्दुल अजीज, बंगला में मौलाना अब्दुल मन्नान (चटगांव, बांग्लादेश), गुजराती में मौलाना हसन आदम गुजराती, सिंधि में मुफ्ती मोहम्मद रहीम सिकन्दरी (पाकिस्तान), तुर्की में मौलाना इस्माइल हक्की (तुर्की) मुख्य रूप से शामिल हैं।

अब से तीन साल पहले यानि 2009 ई. को उर्स-ए-रजवी के दौरान लाखों के मजमें में कन्जुल ईमान पर ज्यादा से ज्यादा तहरीक करने वालों को दरगाह के सज्जादानशीन हजरत मौलाना सुब्हान रजा खां (सुब्हानी मियां) ने अपने दस्त-ए-मुबारक (हाथों) से इनामात से नकारने के साथ उनकी हौंसला आफजाई की।

(प्रस्तुति-नासिर कुरैशी, प्रवक्ता दरगाह आला हजरत)

अलग खबर है -------

इनसेट --------

सियासत से पाक रहेगा उर्स-ए- रजवी का स्टेज : सुब्हानी मियां

बरेली : आज दरगाह-ए-आला हजरत के सज्जादानशीन हजरत मौलाना सुब्हान रजा खां ने उर्स-ए-रजवी से सम्बन्धित बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि रिवायत (परम्परा) के मुताबिक उर्स-ए-रजवी के स्टेज को सियासत से पूरी तरह पाक रखा जाएगा। किसी भी शख्स को सियासत से सम्बन्धित तकरीर करने की इजाजत नहीं होगी। मुल्क व गैर मुल्क के उलेमा व शोहरा मजहब व मिल्लत, नबी-ए-करीम, बुजुर्गेनेदीन व आला हजरत की शख्सियत व खिदमात पर तकरीर करेंगे। साथ ही मौजूदा दौर में मुसलमानों के इल्मी (शैक्षिक), माली (आर्थिक), माशी (समाजी) हालत पर भी चर्चा की जायेगी। स्टेज पर जाने के लिए सज्जादानशीन हजरत मौलाना सुब्हान रजा खां (सुब्हानी मियां) की ओर से उलेमा व शोहरा को पास जारी किये जाएंगे। वहीं हजरत सुब्हानी मियां के निर्देश पर उर्स रजाकार व टीटीएस कार्यकर्ताओं ने सज्जादानशीन के सचिव आबिद खां के नेतृत्व में उर्स स्थल इस्लामियां ग्राउंड व अन्य स्कूलों का दौरा कर तैयारियां देखी। जल्द ही नायाव सज्जादानशीन हजरत मौलाना अहसन रजा खां (अहसन मियां), इस्लामियां ग्राउंड समेत सभी स्कूलों का दौरा करेंगे। इस मौके पर नूरी मियां, सय्यद आसिफ मियां, परवेज खां नूरी, नासिर कुरैशी, शाहिद नूरी, अजमल नूरी, हाजी अब्बास नूरी, हाजी जावेद खां, ताहिर अल्वी, औरंगजेब खां नूरी, इकवाल, सईद, मुस्तकीम नूरी, आले नवी, फैजान खां, गफूर पहलवान, मुनीर शम्सी, तारिक सईद, हाजी शारिक नूरी, फारुक खां, अहमद उल्ला वारसी, शारिक वरकाती, कफील सकलैनी, सय्यद समरान अली आदि लोग मौजूद रहे। 27 दिसंबर जुमरात बाद नमाज-ए-मगरिव (6 बजे) दरगाह परिसर में सज्जादानशीन हजरत सुब्हानी मियां की सदरात में अहम बैठक होगी।

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