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बरेली के इस मंदिर में लगी है 51 फीट लंबी विशालकाय हनुमानजी की प्रतिमा

सैकड़ों साल पहले नैनीताल रोड पर किला क्षेत्र के आसपास घना जंगल था। जानकारों के मुताबिक उस समय वहां पर नागा संत अलखिया संत एक वट वृक्ष के नीचे कठोर तप किया करते थे। तप के दौरान उन्होंने एक शिव मंदिर की भी स्थापना की थी।

By Samanvay PandeyEdited By: Updated: Tue, 24 Nov 2020 07:20 AM (IST)
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बरेली के अलखनाथ मंिदर में स्थापित विशालकाय हनुमान जी की प्रतिमा
बर्रली, जेएनएन। नाथों की नगरी बरेली में अलखनाथ मंदिर का अपना अलग महत्व है। सप्तनाथ मंदिरों में शुमार इस मंदिर की कई विशेषताएं हैं। आइए आज हम आपको बताते हैं इस मंिदर से जुडे कुछ रोचक तथ्य।

सैकड़ों साल पहले नैनीताल रोड पर किला क्षेत्र के आसपास घना जंगल था। जानकारों के मुताबिक उस समय वहां पर नागा संत अलखिया संत एक वट वृक्ष के नीचे कठोर तप किया करते थे। तप के दौरान उन्होंने एक शिव मंदिर की भी स्थापना की थी। जिसके चलते लोगों ने इस मंदिर का नाम पहले अलखिया रखा। जानकारों के मुताबिक मुगलों के शासनकाल में कई मंदिर तोड़े गए थे। ऐसे में कई साधु-संतों ने इस जगह पर आकर शरण ली और तप किया। इस मंदिर को तोड़ने आए मुगल मंदिर के अंदर ही प्रवेश नहीं कर पाए थे। नागा संप्रदाय के पंचायती अखाड़े द्वारा संचालित इस मंदिर की पहचान दूर-दूर तक है। मौजूदा समय में मंदिर के मुख्य द्वार पर 51 फीट लंबी विशालकाय रामभक्त हनुमान की प्रतिमा है। मंदिर परिसर में रामसेतु वाला पत्थर भी है जो पानी में तैरता है। इस बात का उल्लेख बरेली के प्राचीन देवालय पुस्तक में मिलता है। मंदिर का इतिहास करीब 930 वर्ष पुराना है और यहां का वट वृक्ष भी सैकड़ों साल पुराना है। वर्तमान में यहां के महंत बाबा कालू गिरि महाराज हैं। जिनकी देखरेख में मंदिर का आज भी संचालन हो रहा है। सोमवार व मंगलवार को इस मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ लगती है।

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