Aatm Nirbhar Abhiyaan News : रिश्तों को नई मजबूती देगी शाहजहांपुर की देशी राखी, रक्षाबंधन पर मायूस परिवारों में घोलेगी मिठास
Aatm Nirbhar Abhiyaan News भाई बहन के पावन प्रेम विश्वास और रक्षा संकल्प के प्रतीक पर्व पर इस बार देसी राखी की धूम होगी। आत्मनिर्भर भारत व मेक इन इंडिया के तहत गांव की गरीब महिलाएं चाइनीज राखी को मात देने के लिए देसी राखी बना रही है।
बरेली, नरेंद्र यादव। Aatm Nirbhar Abhiyaan News : भाई बहन के पावन प्रेम, विश्वास और रक्षा संकल्प के प्रतीक पर्व पर इस बार देसी राखी की धूम होगी। आत्मनिर्भर भारत व मेक इन इंडिया के तहत गांव की गरीब महिलाएं चाइनीज राखी को मात देने के लिए देशी राखी बना रही है। सस्ती और अच्छी होने के कारण इन रक्षा सूत्र की काफी डिमांड है। रक्षाबंधन पर नए कारोबार से वंचित व मायूस परिवारों में खुशहाली के साथ मिठास भी बढ़ रहीै।
पुवायां विकास खंड की ग्राम पंचायत मदारपुर बैवहा में शिव स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने वीसी सखी की मदद से राखी निर्माण का काम शुरू किया है। अध्यक्ष रीता देवी, सचिव पुष्पा देवी, कोषाध्यक्ष प्रीति ने 15 हजार रिवाल्विंग फंड तथा तीन हजार की निजी आय से राखी बनाने का काम किया है। कुल 18 हजार की लागत से शुरू कारोबार से अब तक समूह की ओर से 40 हजार राखी बनायी जा चुकी है। 1100 की राखी बिक चुकी है। रक्षाबंधन तक समूह ने 80 हजार राखी बनाने का लक्ष्य तय किया है। इससे समूह की सभी महिलाएं घर बैठे सात से आठ हजार की कमाई कर पर्व की मिठास भी बढ़ा सकेगी।
चकूदन के जय अंबे समूह ने भी अपनाया राखी मॉडल
शिव समूह के राखी मॉडल की सफलता को देख चकूदन के जय अंबे स्वयं सहायता समूह ने भी राखी बनाने का काम शुरू कर दिया। ब्लाक मिशन प्रबंधक वंदना शर्मा, हर्षा पांडेय ने प्रशिक्षण दिलाकर उनके अरमानों को उड़ान दी। समूह की महिलाएं तीन हजार राखी बना चुकी है। रक्षाबंधन तक इस नए समूह ने भी 20 हजार राखी बनाने का लख्य रखा है।
20 रुपये में तैयार हो रहीं 100 राखी
वीसी सखी सीमा राठौर व उनके पति अरविंद कुमार ने राखी के लिए दिल्ली से कच्चा माल जुटाने से लेकर प्रशिक्षण में मदद की। अध्यक्ष रीता देवी बताती है कि एक रुपये से लेकर 20 रुपये कीमत वाली राखी में अलग अलग लागत आती है। 100 लूज राखी में 20 रुपये की लागत आती है। पैकिंग खर्च अलग है।
समूह की ओर से तैयार राखी की थोक में कीमत
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बाजार के सापेक्ष भाव में राखी बाजार में उतारी है। डोरी वाली राखी एक दो रुपये में बिक रही है। पत्ता लड़ी राखी का भाव दो से तीन रुपये, डबल लड़ी 4 से 5 रुपये, लॉकेट डिब्बी 5 से 10 रुपये, स्टोन वाली डिब्बा पैकेट राखी 10 से 20 रुपये के भाव बिक रह है। बाजार भाव से कम की राखी से समूह की बीस महिलाओं का परिवार खुशहाल हुआ है।
फैक्ट फाइल
- 4500 के करीब है महिला स्वयं सहायता समूह
- 987 को रिवाल्विंग फंड से 15 हजार की मदद
- 1700 समूह निष्क्रिय, जिन्हें सक्रिय करने के प्रयास
- 144 समूहों को सीआइएफ से 1.10 लाख की मदद
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें राखी बनाने को प्रेरित किया गया। वीसी सखी सीमा राठौर मददगार बनी। पैतृक व्यवसाय के अनुभव को साझा कर प्रशिक्षण में मदद की। जय अबे समूह की महिलाओं ने भी राखी बनानी शुरू की है। वंदना शर्मा, ब्लाक मिशन प्रबंधक
होली पर समूहों ने गुलाल उत्पादन किया था। रक्षाबंधन पर्व के लिए अब समूह की महिलाएं राखी बना रही है। मशरूम, अचार मुरब्बा, दोना पत्तल, सिलाई, कढाई, कारचोबी आदि कारोबार से भी महिलाएं आत्मनिर्भर बनी है। सीआइएफ व रिवाल्विंग फंड से उन्हें सशक्त बनाया जा रहा है। जीपी कुशवाहा, उपायुक्त राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन