छात्रा की आत्महत्या के दोषी को सजा, कोर्ट ने कहा- पेट्रोलिंग के बजाय मोबाइल फोन में व्यस्त रहती पुलिस
जज ने कहा कि कई मामलों में पीड़ित का परिवार भी साथ नहीं देता। ऐसे में पुलिस की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। यदि स्कूल-कालेज पार्क बाजार आदि में पुलिस सही से पेट्रोलिंग करे तो शायद घटनाएं नहीं हों। वर्तमान में यह देखने में आता है कि पेट्रोलिंग समय पर पुलिसकर्मी मोबाइल फोन देखने में व्यस्त होते हैं। उनकी रुचि नहीं होती कि मनचलों की निगरानी और रोकथाम करें।
जागरण संवाददाता, बरेली। सातवीं की छात्रा से छेड़छाड़, आत्महत्या के लिए मजबूर करने के दोषी आलम को 10 वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई। अपर सत्र न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक) रवि कुमार दिवाकर ने आदेश में लिखा कि प्राय: छेड़छाड़ से परेशान होकर छात्राएं, महिलाएं आत्महत्या कर लेती हैं।
जज ने कहा कि कई मामलों में पीड़ित का परिवार भी साथ नहीं देता। ऐसे में पुलिस की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। यदि स्कूल-कालेज, पार्क, बाजार आदि में पुलिस सही से पेट्रोलिंग करे तो शायद घटनाएं नहीं हों। वर्तमान में यह देखने में आता है कि पेट्रोलिंग समय पर पुलिसकर्मी मोबाइल फोन देखने में व्यस्त होते हैं। उनकी रुचि नहीं होती कि मनचलों की निगरानी और रोकथाम करें।
नाबालिग छात्रा को आत्महत्या के लिए मजबूर करना पुलिस व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न है। न्यायाधीश रविकुमार दिवाकर वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में सर्वे आदेश देकर चर्चा में आए थे।
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