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एडवांस डेमू को भी नहीं बख्‍शा... कोई टोटियां उखाड़कर ले गया, किसी ने सीटें फाड़ दीं

सरकार और सिस्टम को कोसने वाले अपने अंदर छिपी बेपरवाही में कब झांकेंगे। बरेली के लोगों ने डेमू की स्थिति हफ्ते भर में ही शर्मनाक बना दी।

By Edited By: Published: Tue, 09 Oct 2018 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 09 Oct 2018 03:44 PM (IST)
एडवांस डेमू को भी नहीं बख्‍शा... कोई टोटियां उखाड़कर ले गया, किसी ने सीटें फाड़ दीं

बरेली(जेएनएन)। सरकार और सिस्टम को कोसने वाले अपने अंदर छिपी बेपरवाही में कब झांकेंगे। हद दर्जे की लापरवाही में सुधार की कब सोचेंगे, जिसके चलते आमजन की शानदार सुविधाओं को भी तहस-नहस करने से नहीं चूकते। क्या-क्या गिनाया जाए। दफ्तरों से लेकर सार्वजनिक स्थल तक की दुर्गति किसी से छिपी नहीं हैं। अब 'खराब आदतों के स्मारक' में हमने एक और ईंट लगा दी। इस बार शिकार बनाई नई-नई चली आधुनिक डेमू। कुछ-कुछ मेट्रो जैसा एहसास करने वाली इस ट्रेन को महज एक हफ्ते में यात्रियों ने अंदर से डैमेज यानी तहस-नहस कर डाला। कोई टोटियां उखाड़कर ले गया, किसी ने सीटें फाड़ दीं। किसी ने अन्य सामान पर हाथ साफ कर दिया। इन हालात के लिए क्या कहेंगे-आजादी, अधिकार..। मन में ख्याल जो भी पालें जाएं लेकिन, देश और समाज की नजर में यह शर्मनाक है, हद दर्जे तक शर्मनाक..।

स्मार्ट सिटी की रेस में शामिल बरेली से एक अक्टूबर को डेमू ट्रेन शुरू की गई। सिटी से लालकुआं और पीलीभीत रूट चुने गए। कोशिश थी, यात्रियों को वर्षो पुरानी खटारा पैसेंजर ट्रेनों से छुटकारा दिलाकर सुविधाओं से युक्त डेमू में सफर कराया जाए। काफी धूमधाम से आगाज हुआ। यात्रियों को आरामदायक सफर मिला भी लेकिन कुछ दिन में हश्र यह होगा, किसी ने नहीं सोचा होगा। यही कारण है, यात्रियों की हरकत से आहत पूर्वोत्तर रेलवे भविष्य में इस तरह की सुविधाएं देने पर नए सिरे से सोचने लगा है।

यह हैं सुविधाएं

दोनों साइड इंजन है। जगह-जगह रुकने के बावजूद शानदार रफ्तार। महिला कोच में सीसीटीवी कैमरे, फायर अलार्म, आरामदायक सीटे और इंडो वेस्टर्न टॉयलेट सीट लगी हैं।

रविवार को मेंटीनेंस के समय बिगड़ी दिखी शक्ल

रविवार को मेंटीनेंस के लिए डेमू डीजल शेड पहुंची तो इसकी बिगड़ी सूरत देखकर रेल अफसर हैरान रह गए। कर्मचारियों ने भी अफसोस जताया। डेमू के अंदर लगभग हर टॉयलेट की टोटी उखड़ी थी। वॉश बेसिन के भी टैब गायब थे। लगातार पानी बह रहा था। सीटें और गेट क्षतिग्रस्त कर दिए गए। कुछ लोग फ्लश कॉक भी उखाड़कर ले गए।

आहत होंगे बापू

दो अक्टूबर से एक दिन पहले रवाना की गई ट्रेन की दुर्दशा ऐसी होगी, राष्ट्रप्रेम-सफाई का संदेश देने वाले बापू महात्मा गांधी ने भी नहीं सोचा होगा। यह महज ट्रेन की दुर्दशा नहीं है। सवाल देश के प्रति नागरिकों की जिम्मेदारी पर भी उठा है। आखिर हम सरकारी संपत्ति और सिस्टम को किस नजर देखते हैं..?

मुसाफिर बोले, ट्रेन छोटी

डेमू के हश्र पर जब यात्रियों से बात की गई तो सबके अपने-अपने तर्क थे। जितेंद्र कहने लगे कि पैसेंजर ट्रेन में 15 कोच थे। डेमू महज नौ बोगियों की ट्रेन है। इसलिए दिक्कत आ रही है।

एक हफ्ते में ही बना दी शर्मनाक स्‍थिति, आदतें सुधारें लोग

इज्जतनगर मंडल के पीआरओ राजेंद्र सिंह का कहना है कि बरेली के लोगों ने डेमू की स्थिति हफ्ते भर में ही शर्मनाक बना दी। इससे आगे मिलने वाली सुविधाओं पर निश्चित ही सवाल खड़े होंगे। डेमू में बेहतर सीट क्षमता के साथ ही खड़े होने की पर्याप्त जगह है। ट्रेन छोटी नहीं है। हमें अपनी आदतें सुधारने की जरूरत है।  


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