बदायूं के मस्तक पर एक और पद्म पुरस्कार का तिलक, संगीतज्ञ उस्ताद राशिद खान को मिला पद्मभूषण अवार्ड
बदायूं शहर के कबूलपुरा मुहल्ले की गलियों में उनका बचपन गुजरा है। उनके नाना पद्मभूषण उस्ताद निसार हुसैन खां से उन्होंने संगीत की तालीम ली थी। इसके बाद वह आइटीसी संगीत रिसर्च एकेडमी कोलकाता को चले गए थे।
बरेली, जेएनएन। संगीत जगत में बदायूं ने एक बार फिर दुनिया को चौंका दिया है। बदायूं निवासी उस्ताद राशिद खान को अब पद्मभूषण अवार्ड से नवाजा गया है। दस साल पहले उन्हें पद्मश्री अवार्ड भी मिल चुका है। कई मशहूर फिल्मों में शास्त्रीय संगीत के जरिये अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। पिछले 40 साल से कोलकाता में रहकर संगीत साधना में जुटे हुए हैं। वहां अपनी मां के नाम से सामाजिक संस्था का भी संचालन करते हैं।
बदायूं शहर के कबूलपुरा मुहल्ले की गलियों में उनका बचपन गुजरा है। उनके नाना पद्मभूषण उस्ताद निसार हुसैन खां से उन्होंने संगीत की तालीम ली। इसके बाद वह आइटीसी संगीत रिसर्च एकेडमी कोलकाता चले गए थे। जब वी मेट, माई नेम इज खान, मार्निंग वाक, कृष्णा जैसे फिल्मों में यह गीत गा चुके हैं। शास्त्रीय संगीत से इन्हें बहुत शोहरत मिली है। उनके फुफेर भाई दानिश हुसैन बदायूंनी बताते हैं कि उस्ताद राशिद खान संगीत के लिए समर्पित हो चुके हैं। बह बताते हैं कि बदायूं से जब कोई कोलकाता पहुंचता है तो उनका बहुत सम्मान करते हैं। यहां जब भी आते हैं तो पूरे मुहल्ले के लोगों से मुलाकात करते हैं और कलाकारों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। उन्हें पद्मभूषण अवार्ड मिलने पर मुहल्ले के लोगों ने मिठाई बांटकर खुशी मनाई। इसके पहले भी बदायूं की कई हस्तियों को पद्मश्री और पद्मभूषण अवार्ड मिल चुके हैं।
क्या होता पद्मभूषण पुरस्कार: यह भारत का तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है, वहींं अगर पद्म पुरस्कारों की बात करें तो इसे दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार कहा जाता हैै। इस सम्मान में भी कांसे का पदक दिया जाता है। यह सम्मान किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट और उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया जाता है।