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Holi: बरेली में होलिका दहन का क्या है शुभ मुहूर्त, इस समय करें पूजन, ज्योतिषाचार्य ने छह सिद्ध दायक योगों का रहेगा संयोग

होलिका दहन आज शुभ मुहूर्त में करें पूजन। होलिका दहन पूर्णिमा तिथि के प्रदोष काल और रात्रि काल में करने का विधान है। वहीं होली चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि में खेली जाती है। एक ओर सर्वार्थ सिद्धि योग है वहीं दूसरी ओर बुधादित्य योग बन रहा है। इस बार की होली बेहद खास रहेगी और पूजन अर्चना से वर्ष वर्ष संपन्नता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहेगा।

By Saurabh Srivastava Edited By: Abhishek Saxena Updated: Sat, 23 Mar 2024 09:37 PM (IST)
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Holi 2024: होलिका दहन; शुभ मुहूर्त में करें पूजन
जागरण संवाददाता, बरेली। भाईचारे में प्रेम की मिठास घोलने वाला होली का त्योहार की शुरुआत रविवार से हो जाएगी। धूमधाम के साथ होली का त्योहार मनाया जाएगा। 

ज्योतिषाचार्य पंडित मुकेश मिश्रा के अनुसार इस साल फाल्गुन पूर्णिमा तिथि रविवार से सुबह 9:54 बजे से शुरू होगी और पूर्णिमा तिथि का समापन सोमवार को दोपहर 12 : 29 बजे पर होगा। इस साल होलिका दहन रविवार को किया जाएगा। सोमवार को होली यानी रंगोत्सव मनाया जाएगा।

रविवार को दिन में भद्रा काल का साया भी रहेगा। होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय मिलेगा। कई जगह परंपरा के अनुसार होलिका दहन करने की परंपरा है।

छह सिद्ध दायक योगों का रहेगा संयोग

ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा के अनुसार होलिका दहन के दिन 6 शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। जो अत्यंत मंगलकारी और लाभदायक रहेंगे। सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, वृद्धि योग, धन शक्ति योग, त्रिग्रही योग और बुधादित्य योग। इन योगों का ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व बताया गया है।

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जहां एक ओर सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 7: 34 बजे से अगले दिन सोमवार को सुबह 6 :19 बजे मिनट तक रहेगा। वहीं, रवि योग सुबह 6: 20 बजे मिनट से सुबह 7:34 बजे तक रहेगा वृद्धि योग रात 8:34 बजे से शुरू होगा और सोमवार को रात 9 :30 बजे तक रहेगा। वहीं, धन शक्ति योग होली के दिन कुंभ राशि में मंगल और शुक्र की युति से उत्पन्न होगा।

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इसके अलावा, सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग भी बन रहा है। यह सभी योग धन-ऐश्वर्य को बढ़ाने का काम करते हैं। 

होलिका दहन का पौराणिक महत्व

पुराणों के अनुसार दानव राज हिरण्यकश्यप पुत्र प्रहलाद की विष्णु भक्ति से क्रोधित हो उठा। उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए। होलिका को वरदान प्राप्त था। कि उसे अग्नि नुकसान नहीं पहुंचा सकती। लेकिन, प्रभु की कृपा से भक्त प्रहलाद तो बच गए। लेकिन होलिका जलकर भस्म हो गई। तभी से होलिका दहन किया जाता है। जो कि संदेश देता है कि भक्तों की रक्षा के लिए प्रभु सदैव तत्पर रहते हैं। बुराई जलकर भस्म हो जाती है। और अच्छाई को कभी आंच नहीं आती।

इनसे दें आहुति

होलिका दहन के समय गेहूं, की बालियां, अगोला, कपूर, लौंग, इलाइची ,कमलगट्टे, गूगल,पीली सरसों के फूल डालें। अग्नि देव का पूजन करें। इससे महालक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा बरसती है। ईश्वर रोग -शोक दूर करके सुख -समृद्धि की बरसात करते हैं।

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