Chakbandi in UP : बरेली के गांवों में चकबंदी को लेकर आ गई बड़ी खबर, डीएम ने जारी कर दिए यह आदेश
एडीएम सिटी को निर्देश दिए कि जिन लेखपालों का प्रमोशन हुआ है उन्हें गांव में भेजा जाए और जिन गांवों में लेखपाल नहीं हैं उन गांवों में साफ-सुथरी छवि वाले लेखपाल लगाए जाएं। एक गांव में कम से कम एक लेखपाल अवश्य लगाया जाए जिससे चकबंदी के कार्य मे गति आ सके। डीएम ने आदेशों का पालन जल्द करने को कहा है।
जासं, बरेली : डीएम रविन्द्र कुमार ने चकबंदी विभाग के कार्यों की समीक्षा विकास भवन स्थित सभागार में की, जिसमें उन्होंने कहा कि वर्तमान में जिन 80 ग्रामों में चकबंदी प्रक्रिया चल रही है, उसको समय सीमा के अंतर्गत संपन्न कराया जाए।
एडीएम सिटी को निर्देश दिए कि जिन लेखपालों का प्रमोशन हुआ है, उन्हें गांव में भेजा जाए और जिन गांवों में लेखपाल नहीं हैं उन गांवों में साफ-सुथरी छवि वाले लेखपाल लगाए जाएं। एक गांव में कम से कम एक लेखपाल अवश्य लगाया जाए, जिससे चकबंदी के कार्य मे गति आ सके। इस दौरान अपर जिलाधिकारी नगर सौरभ दुबे, एसपी यातायात मोहम्मद अकमल खान आदि मौजूद रहे।
खतरे में नकटिया और किला नदी का अस्तित्व
इधर जिले में ही बात करें तो छोटी नदियों की दुर्दशा पर सवाल उठते रहे हैं। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की ओर से भी दिशा निर्देश जारी होते रहते हैं, लेकिन शहर से होकर बहने वाली नकटिया और किला नदी की ओर जिम्मेदारों का ध्यान नहीं जा रहा है। इन नदियों के डूब क्षेत्र में कंकरीट के महल बना लिए गए हैं।नालों का पानी बहने से आचमन और स्नान करना तो दूर नदी में उतरना मुश्किल हो चुका है। जल प्रदूषण बढ़ने से आक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही, जिससे जलीय जंतु विलुप्त होते जा रहे हैं। तटवर्ती क्षेत्र में सबमर्सिबल से अत्यधिक जलादोहन किए जाने से नदियां सूखने लगी हैं।
भू-जलस्तर नीचे जाने की आशंंका
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हम अभी नहीं चेते तो अगले दो दशक में भू-जलस्तर और नीचे चला जाएगा और पेयजल का संकट उत्पन्न हो सकता है। जिले में रामगंगा के अलावा तीन दशक पहले तक छोटी-छोटी नौ नदियां बहा करती थीं। इनमें से सात नदियां सूख चुकी हैं, नकटिया और किला नदी ही नाले के स्वरूप में दिखाई पड़ रही हैं।बहेड़ी और किच्छा के बीच जलस्रोत से निकलने वाली नकटिया नदी रिठौरा, शहर में कैंट, नकटिया होते हुए रामगंगा में जाकर मिल जाती है। 25 किमी के एरिया में बहने वाली इस नदी का पानी पहले स्वच्छ रहा करता था। तटवर्ती गांवों के लोग इसमें मछली पकड़ते थे। इतना ही नहीं शोधार्थी इसमें शोध के लिए भी पहुंचते थे। आबादी बढ़ती गई, नदी के दोनों किनारे कालोनियां विकसित होती गईं और नालों का पानी उसमें प्रवाहित होने लगा।
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