भितरघात या कोई और कारण...? UP की इन दो लोकसभा सीटों पर भाजपा ने भेजे बड़े नेता; आलाकमान को सौपेंगे रिपोर्ट
भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा चुनाव परिणामों में करारा झटका मिला है। उत्तर प्रदेश में भाजपा 33 सीटों पर सिमट गई। हार के कारणों का पता लगाने के लिए भाजपा ने टीम तैयार कर दी है। यूपी की बरेली और आंवला लोकसभा सीट पर भितरघात हुआ या फिर कोई और मुद्दा हार का कारण बना। तमाम सवालों के उत्तर जानने के लिए आलाकमान ने पर्यवेक्षकों को मैदान में उतारा है।
उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी प्रवीण सिंह ऐरन को 34,804 वोटों से हराया। यहां पार्टी की जीत का अंतर वर्ष 2019 से बहुत कम रहा। उस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी संतोष गंगवार ने 1,67,282 वोटों से जीत हासिल की थी। पांच वर्ष में भाजपा प्रत्याशी के वोट का आंकड़ा मात्र 1,857 वोट ही बढ़ सका। भोजीपुरा और नवाबगंज विधानसभा क्षेत्र से पार्टी प्रत्याशी को सपा से कम वोट मिले। उधर, आंवला में भाजपा प्रत्याशी धर्मेंद्र कश्यप सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी नीरज मौर्य से 15,969 वोटों से हार गए।
वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी धर्मेंद्र कश्यप को 5,37,675 वोट मिले थे। इस चुनाव में उन्हें 4,76,546 वोट ही मिले। पांच वर्ष में पार्टी को इस सीट पर 61,129 वोटों का नुकसान हुआ। पार्टी का दोनों सीटों पर वोटर कम हुआ है। जनहित की तमाम योजनाओं का लाभ बांटने, कड़ी मेहनत, लगातार अभियान चलाने के बावजूद पार्टी का वोट घटने से शीर्ष स्तर पर चिंता है।