बरेली एसओजी टीम का विवादों से है पुराना नाता, पहले वसूली अब सट्टे का खेल हुआ उजागर; वायरल आडियो ने खोली पोल
यूपी-112 में मनचाही तैनाती के नाम पर वसूली का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अब एसओजी का खेल उजागर हुआ है। दो मिनट 14 सेकेंड के एक प्रसारित आडियो के मुताबिक सट्टेबाज एक युवक से दावा कर रहा है कि उसकी सब जगह सेटिंग है। एसओजी को बराबर रुपये जा रहे हैं। युवक को भरोसा दिलाने को सट्टेबाज यहां तक कहता है कि तुझे...
अनुज मिश्र, बरेली। यूपी-112 में मनचाही तैनाती के नाम पर वसूली का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अब एसओजी का खेल उजागर हुआ है। दो मिनट 14 सेकेंड के एक प्रसारित आडियो के मुताबिक, सट्टेबाज एक युवक से दावा कर रहा है कि उसकी सब जगह सेटिंग है। एसओजी को बराबर रुपये जा रहे हैं। युवक को भरोसा दिलाने को सट्टेबाज यहां तक कहता है कि तुझे भरोसा न हो तो तेरी बात कराऊं। वह चौकी पुलिस तक की संलिप्तता की बात स्वीकार करता है। एसओजी में जिस कर्मी के जरिये सेटिंग है। उसका नाम तक लेता है। कहता है कि तू बिंदास होकर खेल। मैं तेरा जिम्मेदार हूं।
पेश है प्रसारित आडियो में बातचीत के अंश :
सट्टेबाज : तू गेम भेज अपना।
युवक : कल आकर बात करूंगा, आमने-सामने।
सट्टेबाज : नहीं। तू गेम भेज दे अपना।
युवक : कोई खतरा तो नहीं है। एसओजी में तो पैसे जा ही रहे हैं ना।
सट्टेबाज : क्या बात कर रहा है? शक हो तो तुम्हें नंबर दे दूं। बात करा दूं।
सट्टेबाज : मेरे मोहल्ले के लड़के का मोबाइल छीनकर ले गए थे। मैंने फोन किया तो वापस कर दिया।
युवक : किसको फोन किया तुमने?
सट्टेबाज : एसओजी वालों को।
युवक : किसको? शकील भाई को।
सट्टेबाज : नहीं, मोहित भाई को। मोबाइल छीनकर धोखे में ले गए थे न।
युवक : चलो यह अच्छा है, तुम्हारी मोहित भाई से सेटिंग है।
सट्टेबाज : सबसे सेटिंग है। क्या समझ रहा है तू अपने भाई को।
युवक : मुझे मालूम है। अल्लाह का शुक्र है। तेरा अच्छा काम है। सबको पैसे देता है तू।
सट्टेबाज : इज्जत है तो सब कुछ है। तेरे भाई ने इतने पैसे नहीं कमाए लेकिन, इज्जत कमाई है।
युवक : खेलने आऊं तो डर वाली बात तो नहीं है।
सट्टेबाज : तू बिंदास होकर आ। मैं जिम्मेदार हूं तेरा।
युवक : तू अपने रुपये डलवाता रह, खेल करवा।
सट्टेबाज : तेरी कसम। मैंने खेल करवाया लेकिन, अन्ना ने एक रुपया नहीं दिया।
युवक : वह पैसे नहीं देता।
सट्टेबाज : तो खेलने कौन देगा? कोई दबाव में थोड़ी हैं।
युवक : तू उससे कह, सब जगह पैसे देने होते हैं। यदि देगा नहीं तो कहां से निकालूंगा।
सट्टेबाज : भाई। शाम का समय हो गया है। पुलिस वाले पैसे मांग रहे हैं?
युवक : कौन? एसओजी वाले या चौकी वाले?
सट्टेबाज : चौकी वाले। इनको रोज देने होते हैं।
युवक : एसओजी को सिर्फ सट्टे का ही पता है न।
सट्टेबाज : हां।
युवक : चलो। यह ठीक है कि उन्हें जुए का नहीं पता। कल आकर बात करता हूं।
सट्टेबाज : ठीक है।
(नोट: प्रसारित आडियो की दैनिक जागरण पुष्टि नहीं करता।)
विवादों से पुराना नाता, छह माह रही थी भंग
बरेली एसओजी टीम का विवादों से पुराना नाता रहा है। साल 2020 में एसओजी टीम का रिश्वत के रुपयों के बंटवारे को लेकर विवाद हुआ था जिसको वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुआ था। मामले में तत्कालीन एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने एसओजी कर्मियों पर कोतवाली में भ्रष्टाचार की धारा में प्राथमिकी लिखाई थी। निलंबन की कार्रवाई के साथ पूरी एसओजी भंग कर दी थी। छह माह एसओजी भंग रही थी। मामले में जांच आज भी प्रचलित है। बीते दिनों स्मैक तस्करों के लिए मुखबिरी करने में भी एसओजी में तैनात एक कर्मी का नाम सामने आ चुका है।
तत्कालीन एसपी सिटी ने अंतिम बार पकड़ा था बड़ा सट्टा
तत्कालीन एसपी सिटी रविंद्र कुमार ने बीते साल सब्जी खरीददार बन 28 लाख का सट्टा पकड़ा था। उसके बाद से सट्टेबाजों पर ऐसी कोई कार्रवाई नहीं हुई। गिनती के सट्टे के जो मामले पकड़े भी गए, उनमें कार्रवाई के नाम पर महज खानापूर्ति की गई। नतीजा यह है कि सट्टेबाजों ने फिर से पैर पसार लिए।
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एसएसपी घुले सुशील चंद्रभान के अनुसार, मामला संज्ञान में आया है। प्रसारित आडियो में जिन दो व्यक्तियों के बीच बातचीत हो रही है। उनके बारे में जानकारी कराकर सामने आए साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाएगी।
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