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दानिश बने श्रीराम और रईस दशरथ, देखकर अम्मी बोलीं- शाबाश बेटा

यह खूबसूरत-सौहार्द की बयार में अनवरत बहने वाली बरेली का जिंदादिल मिजाज है और कथावाचक पंडित राधेश्याम की जमीन की खुशबू! य़हां दानिश श्री राम बनते हैं तो मां कहती है-शाबाश बेटा।

By Abhishek PandeyEdited By: Updated: Sat, 13 Oct 2018 02:39 PM (IST)
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दानिश बने श्रीराम और रईस दशरथ, देखकर अम्मी बोलीं- शाबाश बेटा

बरेली [प्रवीन तिवारी]।  यह खूबसूरत-सौहार्द की बयार में अनवरत बहने वाली बरेली का जिंदादिल मिजाज है और कथावाचक पंडित राधेश्याम की जमीन की खुशबू! य़हां दानिश श्री राम बनते हैं तो मां कहती है-शाबाश बेटा। यहां रईस राजा दशरथ के किरदार में मंच पर आते हैं तो उनके संवाद दर्शकों को पवित्र रामचरित मानस के पन्नों पर पहुंचा देते हैं। मेल-मिलाप का इतिहास समेटे इस शहर की जमीन पर जब शमी अपनी भूमिका में आते हैं तो उनका अंगद पांव सौहार्द को बल देने के लिए अडिग हो जाता है।

शुक्रवार को विंडरमेयर रामलीला समिति एवं रंग विनायक रंगमंडल की ओर से शुरू हुई रामलीला के मंच पर जो किरदार चढ़े, वे कई कहानियां देते गए। वे किरदार साबित करते गए कि कला दायरों में रहना पसंद नहीं करती, वह तो आजाद है, सदियों से। सामाजिक जिम्मेदारी के तौर पर भी जब, जब-जैसी जरूरत हुई, कलाकारों ने अपने हुनर से उसे निभाया। अब, जबकि हिंदू-मुस्लिम को लेकर बस खूब होती है। इस मंच ने वे दायरे, फिजूल चर्चाओं की दीवार तोड़ असलियत दिखाने की कोशिश की। वह वास्तविकता, जिसमें सौहार्द है, एक दूसरे के प्रति सम्मान है, प्रेम है।

इसलिए खास है यह रामलीला

विंडरमेयर की इस रामलीला की खासियत है कि आधे से ज्यादा कलाकार मुस्लिम हैं। छह दिनों तक चलने वाले मंचन के पहले दिन विष्णु स्तुति से इसकी शुरूआत करने वाले ये सभी कलाकार छह दिन तक रामचरित मानस का हर किरदार जीवंत करेंगे।

डॉ. बृजेश्वर बोले, ए ट्रिब्यूट टू ट्रेडिशन

आयोजक डॉ. बृजेश्वर का कहना है कि हमारे कार्यक्रम की टैग लाइन रामलीला रीडक्स: ए ट्रिब्यूट टू ट्रेडिशन है। मतलब हमारी कोशिश है कि शहर के लोग खासकर युवा व विद्यार्थी रामलीला के माध्यम से हमारी संस्कृति को समझें व पहचानें। हमें उम्मीद है कि हमारी ये पहल अनूठी साबित होगी। उनका कहना है कि हम देश भर के दूसरे शहरों, कस्बों और गांवों में इसकी प्रस्तुति के साथ ही दुनिया के दूसरे देशों में रामलीला मंचन का इरादा भी रखते हैं। रामलीला में विभिन्न किरदार निभाने वाले अभिनेता रंग विनायक रंगमंडल थिएटर ग्रुप से जुड़े हुए हैं। जिन्होंने ने राष्ट्रीय नाटक संस्थान(एनएसडी) के माध्यम से देश में विभिन्न नाटकों की प्रस्तुति दी है। जिसमें मुंशी प्रेमचंद के उप न्यास पर आधारित नाटक प्रमुख हैं।

यहां से लीं गईं प्रसंग व चौपाइयां

रामलीला में दिखाए जाने वाली चौपाइयां व प्रसंग रामचरित मानस से, धुन पं. राधेश्याम कथावाचक से, आर्य संगीत रामायण से मुख्य हिस्सा व मन का रामायण के 108 श्लोकों के माध्यम से पूरी रामायण दिखाई गई है।

चाहत थी श्री राम का किरदार निभाना: दानिश

प्रभु श्री राम की भूमिका निभा रहे दानिश कहते हैं कि जिस दिन निर्देशक अंबुज कुकरेती ने मुझे श्री राम का किरदार निभाने की पेशकश की, मेरी खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा। शायद मुझे रामलीला में कोई और चरित्र निभाने को मिलता तो मैं मना कर देता। क्योंकि, मेरी ये चाहत थी कि मैं कभी श्री राम का किरदार निभाऊं। मर्यादा पुरुषोत्तम का किरदार पाकर मैं धन्य हो गया। मैंने जब यह बात अपनी मां को बताई तो उन्होंने कहा शाबाश बेटा। उनका कहना है कि जिस तरह के किरदार को मैं निभाना चाहता था, ये वही है। विशुद्ध हिंदी, उसके उच्चारण व संवाद की कठिनाइयों पर उन्होंने कहा कि चंूकि मैं एक रंगमंच का कलाकार हूं तो मेरी लिए उतनी मुश्किल नहीं हुई। पर हां मैनें इस पर और अधिक काम किया। सोशल मीडिया पर किरदार को लेकर मिलने वाली प्रतिक्रियाओं पर उन्होंने कहा कि इसमें तारीफें ज्यादा व विरोधी कम हैं।

ये कलाकार निभा रहे विभिन्न चरित्र

रामलीला में प्रभु श्री राम का किरदार दानिश खान निभा रहे हैं। सीता की भूमिका में अस्मिता श्री, हनुमान का बृजेश तिवारी, लक्ष्मण का अचल सचदेवा, परशुराम का लव तोमर रोल निभा रहे हैं। वहीं, राजा दशरथ के रोल में आपको वरिष्ठ रंगकर्मी रईस खान दिखाई देंगे। इसके अलावा कैकेई के किरदार में सम्युन खां, अंगद का शमी खान, राजा का अमान सैयद व सूर्पनखा का चरित्र निभाते हुए फिरदौस ताज नजर आएंगी।

आयोजन स्थल है कुछ खास

यह रामलीला इसलिए भी खास हो जाती है क्योंकि इसका मंचन किसी पार्क या मैदान में नहीं बल्कि विंडरमेयर के ऑडीटोरियम में होगा। जिसकी क्षमता ढाई सौ से तीन सौ दर्शकों की है। आयोजकों का कहना है कि पास के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा। रामलीला मंचन की शुरुआत सायं साढ़े छह बजे से होगी।

संवाद में लिए गए उर्दू के लफ्ज

रामलीला का निर्देशन कर रहे अंबुज कुकरेती बताते हैं कि संवाद में हमने उर्दू के लफ्जों का प्रयोग भी किया है। इस पर लोगों ने सवाल किया कि भगवान राम तो उर्दू बोलते नहीं थे। जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि यह एक प्रयोग के तौर पर किया गया है। जो दर्शकों को पसंद आएगा। साथ ही सांप्रदायिक सौहार्द को भी बढ़ावा देगा।  

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