पीलीभीत में किसानों को सता रही कर्ज चुकाने की चिंता, बाेले- बारिश में भीग गया धान, अब साेच रहा हूं कैसे चुकाऊं कर्जा
Pilibhit Farmers Loan पीलीभीत में बैंको और सहकारी समितियों से अधिकांश किसान अपनी जरूरत पर फसलों के लिए कर्जा लिया करते हैं। फसल की बिक्री करने के बाद लिया गया कर्जा अदा करते रहते हैं। लेकिन इस वर्ष अत्यधिक बरसात होने से धान की फसल को नुकसान पहुंचा है।
By Ravi MishraEdited By: Updated: Sat, 23 Oct 2021 05:14 PM (IST)
बरेली, जेएनएन। Pilibhit Farmers Loan : यूपी के पीलीभीत में बैंको और सहकारी समितियों से अधिकांश किसान अपनी जरूरत पर फसलों के लिए कर्जा लिया करते हैं। फसल की बिक्री करने के बाद लिया गया कर्जा अदा करते रहते हैं। लेकिन इस वर्ष अत्यधिक बरसात होने से अनेक किसानों की खेतों मे तैयार धान की फसल को नुकसान पहुंचा है। जिससे किसानों को कर्जा चुकाने की चिंता सता रही है। कुछ समय पहले फसलों के लिए कर्जा लेने पर फसल का बीमा अनिवार्य था। बीमा करने वाली एजेंसियां किसानों से बीमा का प्रीमियम काट लेती थी।
दैवीय आपदा के कारण फसलों को नुकसान पहुंचने पर किसानों को बीमा कंपनियां सर्वे कराकर नुकसान की भरपाई करती थी। लेकिन इस नीति का विरोध होने पर सरकार ने कर्जा लेने पर बीमा की अनिवार्यता को खत्म कर ऐच्छिक कर दिया है। इसी कारण अब अनेक किसान फसलों का बीमा नहीं कराते हैं। अत्यधिक बरसात से धान को नुकसान के कारण किसानों को अपने धान का वाजिब मूल्य भी नहीं मिल रहा है। किसान नेता श्रीपाल सिह यादव ने कर्जा माफ करने की मांग की है।
मुझे बरसात से खराब धान 12 सो मे बेचना से काफी घाटा हुआ है। अब लोन चुकाने की चिन्ता से परेशान हूं।- रामबहादुर भारती
बरसात से धान को काफी नुकसान हो गया है।धान का सही रेट नहीं मिल रहा है। कैसे लोन चुकाऊं, यह सोच कर परेशान हूं।- जसपाल सिंह
धान खराब होने से मुझे काफी नुकसान हुआ है। लोन समय पर अदा नहीं करने पर ब्याज बढता रहेगा। - मंगल सिंह
अचानक आई बाढ़ ने अरमानों पर फेरा पानी
दीपावली के पर्व के पहले आई बाढ़ ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है।जहां खेताें में खड़ी फसल तेज बारिश और बाढ़ के चलते धराशाई हो गई। वहीं किसानों की कमर भी टूट गई।इनमें से कई किसान ऐसे है जिन्होंने कर्ज लेकर धान की फसल बोई थी।जिसके बाद उन्हें उम्मीद थी वह लिया हुआ कर्ज आसानी से चुका लेंगे। लेकिन उनके यह सपने कुदरत के कहर में तबाह हाे गए।अब उनके सामने कर्ज चुकाने का संकट खड़ा हो गया है।
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