इज्जतनगर वर्कशॉप में दिखा हाथों का हुनर, ठीक किया डीजल लोको
मेंटीनेंस विंग ने पैसेंजर गाड़ी के हाई हॉर्स पावर डीजल इंजन (डब्ल्यू डीजी-पी) को दोबारा सेट कर दिया।
जेएनएन, बरेली : जज्बा, जुनून और टीम वर्क। इनके दम पर पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जतनगर मंडल स्थित डीजल शेड की मेंटीनेंस विंग ने पैसेंजर गाड़ी के हाई हॉर्स पावर डीजल इंजन (डब्ल्यू डीजी-पी) को पूरा खोलकर सर्विसिंग की और फिर दोबारा सेट कर दिया। उसमें भी खास यह कि भारीभरकम इंजन को फिट करने के लिए किसी सेमी ऑटोमैटिक मशीन का उपयोग नहीं किया गया। मैकेनिकों ने अपने सामर्थ्य और मैन्युअल टूल के बल पर यह कारनामा किया।
1988 में बने डीजल शेड में इस तरह का पहला प्रयास था। इंजन को हाथ से दोबारा बांधने के बाद स्टार्ट कर परफॉर्मेस चेक की गई। यह पूरी तरह मानकों पर खरा उतरा। अफसरों के मुताबिक, अभी तक लखनऊ, गोंडा, दिल्ली समेत कई लोको शेड में ऐसा काम नहीं हुआ। महज जोधपुर और आसाम के लोको शेड में इंजन की इस तरह से सर्विसिंग हुई है।
20 दिन लगातार चला काम
डीजल इंजन सर्विसिंग करने के लिए वैसे तो अन्य शेड में सेमी ऑटोमैटिक मशीन होती हैं। चूंकि यहां के डीजल पैसेंजर इंजन सर्विसिंग के लिए बाहर जाते थे। इसलिए इज्जतनगर के डीजल शेड में फिलहाल यह सुविधा नहीं है। बावजूद इस दफा डीजल शेड के इंजीनियर्स और कर्मचारियों ने खुद पूरे इंजन की सर्विसिंग करने की ठानी। अलग-अलग शिफ्ट में लगातार 20 दिन तक काम चला। इंजन को पूरा खोलकर सर्विस की गई और फिर दोबारा सेट किया गया। तमिलनाडु की दौड़ और लाखों का खर्च बचा
एचएचपी डीजल इंजन की सर्विस तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली के पास गोल्डन रॉक्स स्थित डीजल लोको शेड में होती है। इंजनों को बड़े ट्रालों के जरिए ले जाया जाता है। इससे ट्रांसपोर्टेशन पर लाखों का खर्च होता। वहीं, इंजन रिपेयर होकर आने में भी दो से तीन महीने लग जाते हैं।
मीटर गेज इंजन पर भी आजमा चुके हाथ
पावर पैकिंग का काम करने वाले सीनियर टेक्नीशियन रईस अहमद बताते हैं कि पहले वायरियम-4 इंजन चलते थे। मीटर गेट के इन इंजनों की पहले सर्विसिंग होती थी। इसमें डब्ल्यू थ्री डी, डब्ल्यू डीजी-4 इंजन शामिल थे। हाई हॉर्स पावर डीजल पैसेंजर इंजन को बिना आधुनिक उपकरणों के पूरी तरह खोलकर सर्विसिंग अच्छी उपलब्धि है।