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हाईटेक कार चोरी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के पांच सदस्य गिरफ्तार, सेंसर से तोड़ते थे गाड़ी का सिक्योरिटी सिस्टम

Bareilly News आरोपितों के पास से पुलिस करीब पांच लाख रुपये के इक्यूपमेंट बरामद किए। इसमें एक से 1.5 लाख रुपये तक के कई सेंसर के साथ टेबलेट आदि भी थे। इन्हीं सेंसरों और टेबलेट की मदद से किसी भी कार के सिक्योरिटी सिस्टम को हैक कर उसे ब्रेक किया जाता था। आरोपितों के पास चोरी की पांच कार भी बरामद हुई हैं। सभी को जेल भेजा गया है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Tue, 22 Oct 2024 01:09 PM (IST)
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Bareilly News: बरेली पुलिस की गिरफ्त में आरोपित।
जागरण संवाददाता, बरेली। महंगी और लग्जरी कारों को चोरी करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के पांच सदस्यों को कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरोह चोरी के लिए अलग-अलग तकनीक का इस्तेमाल करता है। जिन कारों का सिक्योरिटी सिस्टम काफी मजबूत होता है।

आरोपित उसे भी सेंसर की मदद से तोड़ देते हैं। इसके बाद कार की चाबी बनाने के लिए उन्हें किसी दुकान पर उसे ले जाने की जरूरत नहीं होती। एक ओटीपी की मदद से किसी भी कार की चाबी भी चंद मिनटों में तैयार हो जाती थी।

कार की चाबी बनाने का काम रामपुर गार्डन स्थित वीर जी चाबी वाले का मलिक भगवंत सिंह करता था। पुलिस ने भगवंत सिंह के साथ ही अलीगढ़ के अकराबाद निवासी लविश चौधरी, बदायूं के बिल्सी निवासी जतिन वर्मा उर्फ जीतू, समीर और प्रवेश वर्मा उर्फ सेठी उर्फ लाला उर्फ गुरु को गिरफ्तार कर लिया है। अन्य आरोपितों की तलाश जारी है।

कार चोरी की एफआईआर के बाद पुलिस ने खंगाले सीसीटीवी

चार अक्टूबर को रामपुर गार्डन से पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता पंकज कुमार व एक व्यापारी मनीष मित्तल की कार चोरी हो गई। दोनों ने कोतवाली में प्राथमिकी पंजीकृत कराई। पुलिस ने आरोपितों की तलाश शुरू कर दी। सीसीटीवी कैमरों की मदद से पुलिस को आरोपितों की लोकेशन के बारे में धीरे-धीरे जानकारी मिलती रही। सोमवार को गिरोह के एक सदस्य को पकड़ा। इसके बाद पूछताछ में उसने अन्य आरोपितों के नाम भी खोल दिए। सभी को गिरफ्तार किया गया।

कैसे चुराते थे कार? क्रम से समझिए

इस अंतरराज्यीय गिरोह में कई जिलों के सदस्य हैं। यह दिल्ली, यूपी समेत अलग-अलग स्थानों से कार चुराने का काम करते हैं। इस पूरे गिरोह के मुख्य सदस्य बदायूं के बिल्सी थाना क्षेत्र के सिरासौल पट्टी गांव निवासी प्रवेश वर्मा और अलीगढ़ के अकराबाद थाना क्षेत्र के मोहनपुर गांव निवासी लविश चौधरी हैं। इन्हीं के साथ सिरासौल का ही जतिन वर्मा उर्फ जीतू, समीर वर्मा और बारादरी क्षेत्र के आशीष रायल पार्क निवासी भगवंत सिंह भी रहता है। जतिन बिल्सी सीएचसी में चालक के पद पर तैनात हैं।

प्रवेश और समीर कारों की करते थे रेकी

पुलिस की पूछताछ में पता चला कि गिरोह का सदस्य प्रवेश और समीर कारों की रेकी करने का काम करता था। यह लोग ऐसा स्थान पर खड़ी कार को टारगेट करते थे, जहां पर अधिकतर सन्नाटा रहता हो और सीसीटीवी कैमरे लगे होने का खतरा भी कम हो। रेकी होने के बाद यह दोनों लोग लविश को इसकी सूचना देते थे। इसके बाद सभी लोग आपस में बैठकर कार को चोरी करने का दिन और समय तय करते थे। जिस दिन कार चुरानी होती थी, और कौन-कौन लोग जाकर कार चुराएंगे। इन सभी की जानकारी जतिन को दे दी जाती थी।

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जतिन डॉक्टर से बनवा लेता था मेडिकल

जतिन स्वास्थ्य विभाग में होने का फायदा उठाकर किसी भी डाक्टर से उस दिन का मेडिकल बनवा लेता था। या फिर किसी भी अस्पताल में भर्ती होने और ट्रीटमेंट की डिटेल बनवा लेता था। जिससे भविष्य में यदि पकड़े जाएं तो यह कहकर छूट जाएं कि जिस दिन घटना हुई उस दिन वह अस्पताल में भर्ती थे। मेडिकल हाथ में आने के बाद आरोपित एक कार से निकलते थे। जिस कार को चुराना होता था उस कार को चुराना होता था। उसके पास में ले जाकर आरोपित अपनी कार लगाते और एक सेंसर को कार के गेट पर चिपका देते थे। फिर प्रोग्रामिंग करके गेट का दरवाजा खोल लेते थे। इसके बाद एक व्यक्ति कार के अंदर बैठता और दूसरा सेंसर स्टेयरिंग के नीचे लगाता। जिससे पूरी कार का सिक्योरिटी सिस्टम हैक हो जाता और उसका जीपीएस आदि सब बंद होकर कार स्टार्ट हो जाती थी। इसके बाद आरोपित उसे लेकर फरार हो जाते।

कार चुराने के बाद क्या करते?

सीओ प्रथम पंकज श्रीवास्तव ने बताया कि कार चोरी होने के बाद शुरू होता था वीर जी चाबी वाले के भगवंत सिंह का खेल। आरोपितों ने जो सेंसर कार में लगाए थे, उससे एक ओटीपी जनरेट होकर चोरों के फोन पर आता था। आरोपित चोर उस ओटीपी को वीर जी चाबी वाले भगवंत सिंह भेज देते थे। भगवंत कुछ ही देर में उसी ओटीपी की मदद से कार कार की चाबी बना देता था। इसके बाद आरोपित कार को लेकर दूसरे राज्यों में चले जाते थे। अधिकांश यह लोग दिल्ली जाते और वहां जाकर उन्हें बेच देते या फिर कटवा देते थे। जिससे किसी को कार नहीं मिलती थी।  

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