Sawan Kanwar Yatra 2022: 94 साल की मां को कांवड़ में बैठाकर निकले कलियुग के श्रवण कुमार
Sawan Kanwar Yatra 2022 बरेली के नरेंद्रपुर गांव की बुजुर्ग विमला देवी की बहुत इच्छा रही कि वह कांवड़ लेकर कछला से गंगा जल लेकर आएंगी और शिवजी का अभिषेक करेंगी। वक्त गुजरता गया लेकिन पारिवारिक उलझनों में उन्हें यह अवसर नहीं मिल सका।
By Vivek BajpaiEdited By: Updated: Thu, 21 Jul 2022 12:23 PM (IST)
बदायूं, जागरण संवाददाता। Sawan Kanwar Yatra 2022: सतयुग में श्रवण कुमार द्वारा अपने अंधे माता-पिता को कंधे पर बैठाकर तीर्थयात्रा कराने की कथा तो हम बचपन से सुनते आ रहे हैं, लेकिन कांवड़यात्रा में यह बात दिखाई पड़ रही है कि कलियुग में भी श्रवण कुमारों की कमी नहीं है। बरेली के नरेंद्रपुर गांव के चार युवक अपनी 94 साल की बूढ़ी मां को कांवड़ में बैठाकर गंगा जल भरने कछला पहुंचे। गंगा स्नान कराकर कांवड़ में लेकर ही उन्हें घर की तरफ रवाना हुए हैं।
बरेली के नरेंद्रपुर गांव की बुजुर्ग विमला देवी की बहुत इच्छा रही कि वह कांवड़ लेकर कछला से गंगा जल लेकर आएंगी और शिवजी का अभिषेक करेंगी। वक्त गुजरता गया, लेकिन पारिवारिक उलझनों में उन्हें यह अवसर नहीं मिल सका। उम्र के अंतिम पड़ाव पर पहुंच जाने के कारण ठीक से दिखाई नहीं देता, आंखों का आपरेशन हुआ है। इनके चार बेटे हैं कमलेश, मोहनलाल, करन और शमशेर। दो बेटे प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं, जबकि दो बेटे गांव में ही मजदूरी करते हैं। मां की सेवा करने के लिए हर समय तत्पर रहने वाले चारों बेटों की इच्छा थी कि मां को कांवड़ में बैठाकर कछला से गंगा जल भरकर लाएंगे।
चारों ने मिलकर योजना बनाई, विशेष कांवड़ तैयार कराया और मां को बैठाकर गंगा जल भरने कछला की तरफ निकल पड़े। कांवड़ को दो बेटे कंधे पर उठाए चलते हैं, एक तरफ मां को बैठाया है तो दूसरी तरफ संतुलन बनाने के लिए चार बड़े बर्तनों में गंगा जल भरकर रख लिया है। कांवड़ एक बार में दो बेटे उठाते हैं तो दो बेटे साथ-साथ चलते हैं। थक जाने पर कंधे बदल लेते हैं। बरेली पहुंचकर यह लोग भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करेंगे। मां को कांवड़ में बैठाकर ले जाते हुए देखकर लोग इनकी सराहना कर रहे हैं। बेटों की इस सेवा से विमला देवी अभिभूत हैं, वह कहती हैं कि जीवन सफल हो गया।
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