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मेडिकल हाल संचालक के गोदाम पर नारकोटिक्स विभाग ने मारा छापा, अंदर का हाल देख उड़े होश; लोगों को दी जा रही थी...

नारकोटिक्स और औषधि विभाग की ओर से किला मेडिकल हाल संचालक के गोदाम पर छापेमारी की गई तो टीम चौंक गई। गोदाम में लाखों की संख्या में नशे की गोलियां और हजारों की संख्या में कफ सीरप मिले थे। यह वही गोलियां और कफ सीरप थे जो बिना डाक्टर की सलाह के किसी भी व्यक्ति को नहीं दिए जा सकते मगर आरोपित मुन्ना मंसूर इन्हें धड़ल्ले से बेच रहा था।

By Rajnesh Saxena Edited By: Abhishek Pandey Updated: Tue, 20 Feb 2024 09:29 PM (IST)
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मेडिकल हाल संचालक के गोदाम पर नारकोटिक्स विभाग ने मारा छापा, अंदर का हाल देख उड़े होश
जागरण संवाददाता, बरेली। नारकोटिक्स और औषधि विभाग की ओर से किला मेडिकल हाल संचालक के गोदाम पर छापेमारी की गई तो टीम भी चौंक गई। गोदाम में लाखों की संख्या में नशे की गोलियां और हजारों की संख्या में कफ सीरप मिले थे। यह वही गोलियां और कफ सीरप थे जो बिना डाक्टर की सलाह के किसी भी व्यक्ति को नहीं दिए जा सकते मगर आरोपित मुन्ना मंसूर इन्हें धड़ल्ले से बेच रहा था।

छापेमारी के दौरान टीम को 1.09 लाख कैप्सूल ट्रेमाडाल के मिले। जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डा. अजय मोहन बताते हैं कि इस दवा का इस्तेमाल एक दर्द निवारक के रूप में किया जाता है। चूंकि यह दवा नशीली होती हैं इसलिए इसे बिना डाक्टर की अनुमति के नहीं दिया जा सकता। इसी के साथ अल्प्राजोलाम की 2.20 लाख गोलियां मिली।

डाक्टरों का कहना हैं कि यह दवा एंग्जाइटी कम करने के लिए दी जाती है। इसे खाने के बाद दिमाग को आराम मिलता है और तनाव को दूर करता है। बिना डाक्टर के पर्चे के यह दवा भी नहीं मिलती। टीम को 23 हजार, 276 कोडीन फास्पेट सीरप मिले। इन्हें खांसी कम करने में इस्तेमाल किया जाता है। इसी के साथ 1800 गोलियां नाइट्राजेपाम की मिली। यह भी दवा एक तरह से दर्द निवारक है। खासकर उन मरीजों को दी जाती है जिनका आपरेशन होता है। जिससे आपरेशन का दर्द महसूस न हो।

दवाओं का रखना होता है रिकार्ड

ड्र्ग इंस्पेक्टर राजेश कुमार बताते हैं कि इस तरह की दवाएं जो भी मेडिकल संचालक बेचता है। उसे उन दवाओं का एक रिकार्ड रखना होता है। जिसमे यह लिखा होता है कि यह दवा कितनी मात्रा में किस मरीज को दी। कौन से डाक्टर के पर्चे पर दी। यही सब कुछ लिखा होता है। मगर मुन्ना के पास ऐसा कोई रिकार्ड नहीं था।

इसी के साथ दवाओं को स्टोर करने का भी डाटा रखा जाता है। दवाएं कहां से खरीदी? कितने की खरीदी और बेचना कहां-कहां हैं। मगर आरोपित के पास इसका भी कोई रिकार्ड नहीं था। इससे स्पष्ट है कि यह दवाएं सिर्फ नशे के लिए ही इस्तेमाल की जाती थीं।

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