हम अंग्रेजों के जमाने के हलवाई… मिठाई खाने के शौकीन हैं तो यहां आईए! रसमलाई और मिल्क केक के स्वाद पर नहीं होगा यकीन
देसी मिठाइयां खाने के शौकीन हैं तो कैंट क्षेत्र के सदर बाजार में शंकर स्वीट्स के मलाई के लड्डू और दूध की बर्फी का बेजोड़ स्वाद का बेजोड़ स्वाद आपको वर्षाें तक याद रहेगा। बिना कोई एसेंस और मिलावट के तैयार होने वाले मलाई के लड्डू और दूध की बर्फी लोगों को खासी पसंद आती है। मिठाइयां यह स्वाद सौ वर्षाें से यूं ही बरकरार है।
पीयूष दुबे, बरेली। देसी मिठाइयां खाने के शौकीन हैं तो कैंट क्षेत्र के सदर बाजार में शंकर स्वीट्स के मलाई के लड्डू और दूध की बर्फी का बेजोड़ स्वाद का बेजोड़ स्वाद आपको वर्षाें तक याद रहेगा। बिना कोई एसेंस और मिलावट के तैयार होने वाले मलाई के लड्डू और दूध की बर्फी लोगों को खासी पसंद आती है। मिठाइयां यह स्वाद सौ वर्षाें से यूं ही बरकरार है।
चौथी पीढ़ी संभाल रही दुकान
रबड़ी, जलेबी, रसमलाई और मिल्क केक का स्वाद भी आपको बहुत पसंद आएगा। चौथी पीढ़ी में मयंक मिश्रा दुकान संभाल रहे हैं। मयंक बताते हैं कि यह दुकान सौ वर्ष से ज्यादा पुरानी है। परदादा श्यामसुंदर मिश्रा ने अंग्रेजी शासनकाल में मिठाई की दुकान खोली थी। बाद में एक ब्रिगेडियर ने दुकान खोलने की जमीन दिलाई थी।
इसके बाद दादा हरिशंकर मिश्रा ने दुकान को संचालित किया। इसके बाद पिताजी रजनीकांत मिश्रा ने दुकान संचालित की और अब मयंक करीब 24 वर्षों से दुकान संभाल रहे हैं।
मिलता है घर का स्वाद
मयंक ने बताया कि उनके यहां का स्वाद एकदम घर में बने मिठाई के उत्पादों की तरह ही शुद्ध होता है। लोगों को मिठाई इतना पसंद आती है कि दूर-दूर से लोग खाने के लिए आते हैं। मिठाइयों को शुद्ध और ताजा ही बिक्री कर लेते हैं।
उन्होंने बताया कि खास सावधानी दूध से बने उत्पादों पर रखते हैं, क्योंकि दुग्ध उत्पाद जितना स्वादिष्ट होते हैं, उतना ही खराब होने का खतरा रहता है। मलाई के लड्डू , दूध की बर्फी, मिल्क केक, रसमलाई, रबड़ी समेत सारी मिठाइयां बिना मिलावट के तैयार होने की वजह से मूल स्वाद में रहती हैं।
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