होलिका देवी के इस मंदिर में लोग आज भी श्रद्धा से झुकाते हैं सर, जानिए क्या है मान्यता
अनेकता में एकता के लिए विख्यात इस देश में जगह-जगह आपको अनूठी चीजें देखने को मिलेंगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नकरात्मक किरदार होने के बावजूद होली के अवसर पर होलिका देवी की पूजा होती है। बिहारीपुर सिविल लाइंस में जीजीआइसी रोड पर वर्षों पुराना होलिका देवी का मंदिर हैं।
बरेली, जेएनएन। अनेकता में एकता के लिए विख्यात इस देश में जगह-जगह आपको अनूठी चीजें देखने को मिलेंगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नकरात्मक किरदार होने के बावजूद होली के अवसर पर होलिका देवी की पूजा होती है। बिहारीपुर सिविल लाइंस में जीजीआइसी रोड पर वर्षों पुराना होलिका देवी का मंदिर हैं। 184 वर्षों से इस मंदिर के प्रति लोगों की आस्था है। वर्षों पुराने होलिका देवी के इस मंदिर के नाम पर सिर्फ एक मठिया हुआ करती थी। उस पर एक शिला भी थी, जिस पर स्थापना वर्ष 1836 लिखा था। धीरे-धीरे वह शिला भी खो गई। फिर आसपास रहने वालों ने मंदिर को भव्य स्वरूप प्रदान किया। शहर के सैकड़ों परिवार हर साल होलिका माता के पूजन के बाद ही होली खेलते हैं। मान्यता है कि होलिका देवी भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। इसी विश्वास के कारण वर्षों से लोग यहां आकर माता का दर्शन व पूजन करते हैं। यही नहीं सबसे पहले होलिका देवी को सभी गुलाल लगाते हैं। शहर के मुहल्ला, सिकलापुर, गंगापुर, कालीबाड़ी, फाल्तूनगंज समेत आसपास के सैकड़ों परिवारों से महिलाएं हर साल मंदिर में होलिका माता के पूजन को आती हैं। माता का लौंग, कपूर, गुलाल, बताशे, फूल से पूजन करती हैं। माता को गुलाल अर्पित करने के बाद ही उनके घरों में रंग खेला जाता है। समाज में एक तबका उनको अपनी कुलदेवी मानता है। यही नहीं इस मंदिर में होलिका माता की चरण पादुका भी स्थापित है। होलिका देवी हिरणाकश्यप की बहन थी और वह प्रहलाद को गोद में लेकर आग की चिता पर बैठी थी जिसमें वह जल गई थी और प्रहलाद बच गए थे।