Bareilly: 134 साल का हुआ आइवीआरआइ, लैब से शुरू सफर पहुंचा संस्थान तक; जानिए इसकी सफलताएं
Bareilly भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) आज 134 साल का हो गया। 1889 में पुणे की एक लैब से शुरू हुआ सफर तमाम यादें समेटे हुए कई एकड़ के संस्थान के रूप में देश भर में प्रसिद्ध है। संस्थान को इसी वर्ष एनआईआरएफ (नेशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) की ओर से छठी रैंकिंग की प्राप्त हुई है। इस संस्थान ने पशुओं के इलाज के लिए बहुत योगदान दिया है।
जागरण संवाददाता, बरेली । भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आइवीआरआइ) आज 134 साल का हो गया। 1889 में पुणे की एक लैब से शुरू हुआ सफर तमाम यादें समेटे हुए कई एकड़ के संस्थान के रूप में देश भर में प्रसिद्ध है। करीब 240 वैज्ञानिकों वाले इस संस्थान में पशुओं पर बेहतरीन शोध, सौ से ज्यादा नई टेक्नोलॉजी से लेकर 50 से ज्यादा वैक्सीन तैयार की जा चुकी हैं।
संस्थान को इसी वर्ष एनआईआरएफ (नेशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) की ओर से छठी रैंकिंग की प्राप्त हुई है। साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बाद तमाम कोर्स शुरू होने से संस्थान स्किल डेवलपमेंट सेंटर के रूप में स्थापित हुई है। संस्थान की स्थापना बैक्टीरियोलॉजिकल प्रयोगशाला के रूप में हुई थी।
पशुओं को महामारी से बचाना रहा सबसे बड़ा योगदान
आइवीआरआइ संस्थान का सबसे बड़ा योगदान देश से रिंडरपेस्ट पशु महामारी का उन्मूलन है। उसके बाद संस्थान ने कई नैदानिकों और टीकों का विकास किया और पशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनुसंधान के साथ ही पशु उत्पादन और विकास पर कार्य कर वृंदावनी गाय और लैंडली सूकर का विकास किया। निदेशक एवं कुलपति डा. त्रिवेणी दत्त ने कहा कि संस्थान ने 50 तकनीकों को 150 वाणिज्यकों घरानों को हस्तांतरित किया है। 71 नये डिप्लोमा, ट्रेनिंग तथा सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किये गये हैं।
ग्लोबल यूनिवर्सिटी बनाए जाने का किया जा रहा है प्रयास
संस्थान नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के अनुरूप कार्य कर रहा है। डीम्ड यूनिवर्सिटी से ग्लोबल यूनिवर्सिटी बनाए जाने के प्रयास किये जा रहे हैं। संस्थान के संयुक्त निदेशालय शोध द्वारा शोध को गति देने के लिए अनेक वित्तीय परियोजनाएं चलायी जा रही हैं और 77 प्रोजेक्ट अटेंड किये हैं। उन्होंने कहा कि संस्थान के कैडराड द्वारा समय-समय पर आउटब्रेक अटेंड किये गये और नेशनल एडवाइजरी जारी किए जाने समेत अन्य महत्वपूर्ण कार्य है।