Bareilly Serial Killer Case: 14 महीने जांच, 30 गांव खंगाले तब हाथ लगा सीरियल किलर; एसएसपी को बताया कैसे कीं हत्याएं
Bareilly Serial Killer Update News जून 2023 से जुलाई 2024 के बीच शाही-शीशगढ़ क्षेत्र में एकांत स्थान जंगल व खेत में अधेड़ उम्र की महिलाओं की गला घोटकर सिलसिलेवार हत्याएं हुईं। एक-एक कर नौ घटनाएं हुईं जिसमें तीन का पुलिस ने राजफाश कर दिया लेकिन छह घटनाएं राज बनीं रहीं। तीन जुलाई को फिर एक महिला की गला घोंटकर हत्या की गई।
जागरण संवाददाता, बरेली। Bareilly serial killer 'नेताइन' बात नहीं सुन रहीं थीं, इसलिए मार दिया। और वो 'सूटवाली'... शक की निगाह से देख रही थी, गला घोट दिया। और हां...सबसे पहले तो 'साड़ी वाली' को मारा था। सौतेली मां से नफरत में सीरियल किलर बने कुलदीप ने हत्या के बाद हर महिला की पहचान रखने के लिए अपने मन से नाम तय कर लिए थे।
शुक्रवार को पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया मगर, इससे पहले 14 महीने जांच के दौरान 30 गांवों की खाक छानी। आधुनिक संसाधन बेकार साबित होने पर पुलिस को मनोविज्ञानी से सिरा मिला कि ऐसा व्यक्ति तलाशें, जो महिलाओं के प्रति कुंठित हो। इसके बाद कड़ियां जुड़ीं, जिनसे राजफाश हो सका।
शनिवार को एसएसपी अनुराग आर्य ने बताया कि आरोपित छह घटनास्थल पर बिना भटके ले गया था। सीन रिक्रेशन के दौरान उसने डमी का गला भी उसी आक्रोश से घोटा, जैसे महिलाओं के साथ किया था। दो अन्य घटनाएं अनसुलझी हैं, उसे रिमांड पर लेकर इनके संबंध में भी पूछताछ होगी।
मां का हो चुका है निधन
नवाबगंज में रहने वाले कुलदीप गंगवार की मां का निधन हो चुका। पिता ने बेरुख की, सौतेली मां प्रताड़ित करने लगी और पत्नी साथ छोड़ गई...इसके बाद उसका ठिकाना तय नहीं था। वह शाही क्षेत्र में रहने वाली बहनों के घर तो कभी रिश्तेदार के यहां समय गुजारता था। पिछले वर्ष 17 जून को उसने कुल्छा गांव में धानवती को पहला शिकार बनाया।
पुलिस के अनुसार, वह पिछले वर्ष नवंबर तक पांच हत्याएं कर चुका था। इसी क्षेत्र दो अन्य महिलाओं के भी शव मिले मगर, उनके स्वजन ने रिपोर्ट नहीं कराई थी। जनवरी में 2100 सीसीटीवी कैमरे, 1.50 लाख मोबाइल फोन का डेटा समेत सभी आधुनिक संसाधन विफल होने पर पुलिस की एक टीम ने मनोविज्ञानी से लंबा विमर्श किया। एक महीने की रिसर्च में घटनास्थल व शवों के फोटो, पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखीं गईं। इसके बाद मनोविज्ञानी ने कहा कि ऐसा व्यक्ति तलाशें, जो महिलाओं के प्रति कुंठित हो, उनसे मारपीट करता हो, या पत्नी-मां, बहन आदि को छोड़कर अकेला रहता हो। समाज से कटा हो।
पुलिस ने मनोचिकित्सक की बात पर तलाश की शुरू
फरवरी अंत से पुलिस ने ऐसे व्यक्ति की तलाश में शाही व आसपास के 30 गांवों की खाक छानी। घर-घर जाकर पूछा कि कितने पुरुष रहते हैं, उनकी दिनचर्या क्या है। पांच हजार व्यक्तियों का डेटा बैंक तैयार करने के बाद उनका बैंकग्राउंड परखा जाने लगा। इससे पहले सीसीटीवी फुटेज के आधार पर 2000 संदिग्धों से पूछताछ हुई मगर, कोई दिशा नहीं मिली। 150 स्थानों पर दबिश दे चुकी पुलिस के माथे पर बल पड़े थे, क्योंकि डीजीपी कार्यालय से निरंतर प्रगति रिपोर्ट मांगी जा रही थी।
एक महिला बचकर भागी थी
इस वर्ष जुलाई में पता चला कि कुल्छा गांव के पास एक महिला पर हमला हुआ मगर, बचकर भाग गई। उनसे बातचीत के बाद पुलिस टीमों को हमलावर का अनुमानित चेहरा पता चल गया, जिसकी तलाश में सैकड़ों दरवाजे खटखटा दिए गए। कुल्छा गांव में रहने वाले इमरान ने स्केच के आधार पर बताया कि पिछले वर्ष नवंबर में इस युवक को खेत में काम कर रही महिला से 50 मीटर दूरी पर खड़े देखा था। उसकी हरकतें असामान्य लगने पर तेज आवाज में खड़े होने का कारण पूछने पर वह चुपचाप खेतों में चला गया था। बाद में कई मुखबिरों के सहारे पुलिस कुलदीप तक पहुंची। उसके हाव-भाव ठीक वैसे ही थे, जैसा अनुमान मनोविज्ञानी ने जताया था।
बचकर भागी महिला की पहचान नहीं खोली
इस वर्ष तीन जुलाई को अनीता की हत्या हुई थी। इसके कुछ दिन बाद कुल्छा गांव के पास एक अन्य पर महिला पर हमला होने की जानकारी हुई तो पुलिस ने संपर्क किया। डर के कारण उन्होंने अपनी पहचान उजागर नहीं की। एसएसपी ने बताया कि उनके दिए सुराग से मजबूत आधार मिला। कुलदीप को जेल भेज दिया गया है। उसे चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया है।
राजफाश के बाद शनिवार को शाही व आसपास के गांवों की महिलाओं का डर दूर हो गया। उन्होंने बताया कि एक वर्ष से निरंतर टोलियां बनाकर सुबह को खेत पर जाते थे। अकेले जाने में डर लगता कि सीरियल किलर न आ जाए। माहौल ऐसा डरावना हो चुका था कि दोपहर बाद तो टोलियों के रूप में भी खेतों पर जाने से डरते थे।
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मनोचिकित्सक ने कहा
जिला अस्पताल के मनोचिकित्सक आशीष कुमार ने बताया कि कुलदीप गंगवार के बारे में जैसा सुना, उसके अनुसार वह एंटी सोशल पर्सनालिटी डिस्आर्डर से पीड़ित हो सकता है। इससे ग्रसित होकर समाज के कुछ लोगों को टारगेट किया जाता है। इनमें अधिक आयु की महिलाएं या बच्चे ज्यादा होते हैं, जोकि विरोध नहीं कर पाते।