Karwa Chauth 2024: पढ़िए विभिन्न समाजों में किस तरह मनती है करवा चौथ, परंपराओं और रीति-रिवाजों का अनूठा है संगम
करवा चौथ विभिन्न समुदायों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। सिख समुदाय में महिलाएं सुबह 4 बजे से व्रत शुरू कर देती हैं और सास द्वारा दी गई सरगी खाती हैं। सिंधी समुदाय में महिलाएं गणेश चौथ का व्रत रखती हैं। वैश्य समुदाय में महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। पंजाबी समुदाय में व्रत की तैयारी एक दिन पहले शुरू होती है।
जागरण टीम, बरेली। आज करवाचौथ का व्रत सुहागिनें रख रही हैं। विभिन्न समाज की महिलाएं किस तरह व्रत रखती है। आज आपको इस लेख के जरिए बताते हैं।
सिख समाज का करवाचौथ व्रत
रेसीडेंसी गार्डन निवासी नवनीत कौर ने बताया कि करवाचौथ पारंपरिक त्योहार भले न रहा हो, लेकिन 10-15 साल से त्योहार का समाज में महत्व तेजी से बढ़ा। अब देखा-देखी समाज की अधिकांश महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखने लगीं हैं, खासकर नई पीढ़ी। सिख समाज में करवाचौथ व्रत की शुरूआत भोर के चार बजे के बाद से शुरू कर देती हैं, इसकी शुरूआत सास द्वारा बहू को दिए गए सरगी (थाल) से होती है।
सरगी में फेनी, मिठाई, दही, जलेबी और मीठी-नमकीन मठरी, फल आदि शामिल होते, जिन्हें दम्पत्ती सुबह उठकर एक साथ खाते हैं। करवाचौथ की पूजा से पहले सुहागिनें घर सामूहिक रूप से कथा का आयोजन करती हैं। समाज में ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ के दिन घर में सुई-धागा, चाकू या छुरी का उपयोग नहीं करते। रसोई में साबुत सब्जियां या फिर कच्चा भोजन (दाल, चावल, कढ़ी, दही भल्ला) आदि बनता है।
सिंधी समाज का करवाचौथ
सिंधी समाज: सिंधु नगर कालोनी निवासी प्रीति केसवानी ने बताया कि सिंधी में करवाचौथ नई परंपराओं में शामिल है। पारंपरिक तौर पर समाज में करवा चौथ के दिन महिलाएं गणेश चौथ का व्रत रखती हैं। व्रत की शुरूआत सुबह पूजा-पाठ के बाद शुरू हो जाती है। व्रत में चाय, फल, ड्राई फ्रूट का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन दूध का सेवन नहीं करते, परंपरा बूढ़े-बुजुर्गों के दौर से चली आ रही है। व्रत रखने वाली महिलाएं पूजा के दौरान रात में चंद्रमा को दूध और पानी का अर्घ्य देती हैं।
गणेश चौथ के नाम के मुताबिक भगवान गणपति के प्रिय लड्डुओं का पूजा की थाल में अलग महत्व है। पूजा की थाल में दूध, चावल, चीनी, फल के साथ सात लड्डू शामिल किए जाते हैं। पूजा के बाद एक-एक लड्डू घर की चारों दिशाओं में रखते हैं। जबकि अन्य तीन लड्डू पूर्वजों से चली आ रही परंपरा के मुताबिक जल के स्रोत वाले स्थान, अग्नि स्रोत वाले स्थान (रसोईघर), एक लड्डू गाय को खिलाते हैं। कई परिवारों में शाम को गणेश चौथ के साथ करवा चौथ की कथा एक साथ होने लगी है, कथा सुनने के बाद सुहागिनें पानी तक नहीं पीते। चांद की पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण करती हैं।