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lok sabha election 2024: अभी तो टिकटों की उधेड़बुन, बरेली मंडल की 5 सीटों पर काबिज भाजपा, मिशन 2024 के लिए मंथन में BJP

Lok Sabha Election 2024 / BJP Loksabha Candidates मिशन 2024 भी 5-0 के अंतर से दोहराना चाहती है। इसका आरंभ प्रत्याशी चयन से शुरू किया है। पहली सूची में शाहजहांपुर व आंवला में प्रत्याशी की घोषणा कर दी गई मगर बरेली बदायूं और पीलीभीत पर अभी मंथन चल रहा है। सांसद संतोष गंगवार 75 की उम्र के हो चुके हैं।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Tue, 12 Mar 2024 01:44 PM (IST)
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lok sabha election 2024: अभी तो टिकटों की उधेड़बुन।
अभिषेक पांडेय, बरेली।  Lok Sabha Election 2024 / BJP Loksabha Candidates / UP Lok Sabha Election 2024बरेली, पीलीभीत और बदायूं... इन सीटों की पहचान दिग्गजों से है। एक आठ बार के सांसद संतोष गंगवार तो दूसरी मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी का गढ़।

बदायूं में स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा पर भी सबकी नजरें हैं। इन तीनों सीटों पर ही भाजपा ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। सपा ने बदायूं से शिवपाल यादव को मैदान में उतार दिया है। बरेली मंडल के रोचक चुनावी संग्राम की तस्वीर खींच रहे हैं अभिषेक पांडेय...

अब 75 के हो चुके संतोष गंगवार

सांसद संतोष गंगवार ने आठ बार जीतकर बरेली को भाजपा का गढ़ बनाया, परंतु वह 75 वर्ष के हो चुके हैं। पार्टी का एक धड़ा चाहता है कि अनुकूल परिस्थितियों में ही भविष्य के लिए नया नेता तैयार कर लिया जाए। इस प्रयोग पर रजामंदी तो है, मगर संतोष की नाराजगी की कीमत पर नहीं...! रुहेलखंड के कुर्मी मतदाताओं पर उनका खासा प्रभाव है। एक कदम बढ़ें या ठहरे रहें, इसी उधेड़बुन में फिलहाल टिकट घोषणा रुकी हुई है। इस क्षेत्र में 19 लाख मतदाता हैं।

पिछले चुनाव में वह 5,65,270 वोट पाकर विजयी हुए थे। दूसरे स्थान पर सपा के भगवत शरण गंगवार थे। इस बार सपा ने पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन को प्रत्याशी बनाया है। उन्होंने वर्ष 2009 के चुनाव में संतोष गंगवार को हराया था। एक बार फिर दोनों को आमना-सामना होगा!

आंवला से भाजपा के धर्मेंद्र कश्यप

आंवला सीट पर भाजपा ने दो बार से सांसद धर्मेंद्र कश्यप को टिकट दिया है। सपा से नीरज मौर्य प्रत्याशी हैं। वह जलालाबाद से चुनाव लड़ने आए, इसलिए स्थानीय व बाहरी का मुद्दा जोर पकड़ने लगा है। धर्मेंद्र कश्यप इससे पहले बसपा और सपा के टिकट से एक-एक बार विधायक भी रह चुके हैं। वर्ष 2014 में उन्होंने भाजपा की राह पकड़ी। तब से पार्टी उन्हें पिछड़ा वर्ग के नेता के तौर पर मैदान में उतार रही है।

इस संसदीय क्षेत्र में बरेली का फरीदपुर, आंवला, बिथरी चैनपुर और बदायूं का दातागंज व शेखूपुर विधानसभा क्षेत्र आता है। पिछली बार धर्मेंद्र ने 5,37,675 वोट पाकर विजय प्राप्त की, दूसरे स्थान पर बसपा की रुचिवीरा थीं। यहां 18 लाख वोटर हैं।

कभी कांग्रेस का रहा था यहा दबदबा

शाहजहांपुर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां से भाजपा ने वर्तमान सांसद अरुण सागर और सपा ने राजेश कश्यप को प्रत्याशी बनाया है। इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा रहा था, मगर वर्ष 2014 से तस्वीर बदल गई। उस चुनाव में भाजपा की कृष्णाराज जीती थीं। बाद में जितिन प्रसाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए। दो बार लगातार जीतकर भाजपा ने दबदबा बनाया, इस बार सपा से सीधा मुकाबला होगा। यहां 21 लाख वोटर हैं। पिछले चुनाव में अरुण सागर 6,88,990 मत पाकर जीते थे, दूसरे स्थान पर बसपा के अमरचंद्र जौहर थे।

हालातों से जूझ रहीं संघमित्रा

बदायूं में भाजपा की सांसद डा. संघमित्रा मौर्य परिस्थितियों से जूझ रहीं हैं। वर्ष 2019 में उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य भाजपा में रहते हुए उन्हें बदायूं लाए थे, मगर अब वह अलग पार्टी बना चुके हैं। दूसरी ओर सपा ने शिवपाल यादव को प्रत्याशी बना दिया है। ऐसे में भाजपा मजबूत चेहरे की तलाश कर रही है, ताकि सीट बरकरार रखी जा सके। यह जिला सपा का गढ़ कहा जाता था। वर्ष 2019 से परिवर्तन हुआ और भाजपा की डा. संघमित्रा 5,11,352 मत पाकर जीतीं। दूसरे स्थान पर सपा के धर्मेंद्र यादव रहे थे। इस क्षेत्र में 19 लाख वोटर हैं।

पीलीभीत में तीखे तेवर में हैं वरुण गांधी

पीलीभीत संसदीय क्षेत्र मेनका का गढ़ रहा है। कभी निर्दलीय तो कभी भाजपा में रहते हुए वह जीतीं, बाद में बेटे वरुण गांधी को मैदान सौंप दिया। वर्ष 2019 का चुनाव जीतने के कुछ समय बाद सरकार के प्रति वरुण के तेवर तीखे होते गए। अब चुनाव में उनके टिकट पर तलवार लटकी हुई है। चर्चा है कि पार्टी मजबूत विकल्प तलाश रही, इसीलिए पहली सूची में प्रत्याशी की घोषणा नहीं की गई। यहां उलटफेर हो सकता है। यदि भाजपा के कदम से नाराज वरुण गांधी ने नई राह पकड़ी तो सपा परोक्ष रूप से मदद कर सकती है।

इस क्षेत्र में 18 लाख वोटर हैं। पिछले चुनाव में वरुण गांधी 7,04,549 मत पाकर जीते थे, दूसरे स्थान पर सपा के हेमराज वर्मा थे। मंडल की पांचों सीटों पर बसपा फिलहाल चुप है। प्रत्याशी चयन पर आरंभिक चर्चा शुरू हुई है। दावेदारों के पैनल पर विचार चल रहा। गठबंधन में कांग्रेस को किसी सीट पर प्रत्याशी नहीं दिया गया है।

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बरेली मंडल की स्थिति

बरेली- आठ बार जीत चुके भाजपा सांसद संतोष गंगवार इस बार भी टिकट मांग रहे। 75 वर्ष के होने से आयु सीमा का पेच फंसा है। सपा ने पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन को प्रत्याशी बनाया है।

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शाहजहांपुर (आरक्षित)- दो चुनाव से सीट भाजपा के पास। इस बार वर्तमान सांसद अरुण सागर को दोबारा मौका मिला है। सपा ने यहां से दिल्ली निवासी राजेश कश्यप को मैदान में उतारा है।

बदायूं- पिछले चुनाव में सपा का गढ़ ध्वस्त कर भाजपा की डा. संघमित्रा सांसद बनीं। वह इस बार भी टिकट मांग रहीं मगर, सपा प्रत्याशी शिवपाल यादव से मुकाबला होना है। ऐसे में भाजपा मजबूत चेहरा तलाश रही।

आंवला- धर्मेंद्र कश्यप दो बार भाजपा से जीत चुके, तीसरी बार भी प्रत्याशी बने। सपा ने जलालाबाद के पूर्व विधायक नीरज मौर्य को प्रत्याशी बनाया है। यहां पिछड़ा वर्ग के वोट निर्णायक साबित होते हैं।

पीलीभीत - भाजपा सांसद वरुण गांधी तीन वर्ष सरकार पर सवाल उठाते रहे। अब उनके तेवर नरम हुए मगर, पार्टी सख्त है। भाजपा की पहली सूची में उनका नाम न होना बदलाव के संकेत दे रहा है। सपा ने अभी यहां से प्रत्याशी नहीं दिया है।

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