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Bareilly News: गर्भपात कराने के आरोप में व्यक्ति को उम्रकैद, पुलिस अधिकारियों पर प्राथमिकी के आदेश

बरेली की एक अदालत ने एक व्यक्ति को गर्भपात कराने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई है। महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने उससे शादी का झांसा देकर दुष्कर्म किया और फिर उसका गर्भपात करा दिया। अदालत ने यह भी आदेश दिया है कि दुष्कर्म के आरोप में चार्जशीट दाखिल करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाए।

By Rajnesh Saxena Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 26 Sep 2024 05:26 PM (IST)
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दुष्कर्म के मामले में कोर्ट ने सुनाई सजा। जागरण
जागरण संवाददाता, बरेली। शादी का झांसा देकर दुष्कर्म के मामले में महिला ने भोजीपुरा थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप लगाया था कि आरोपित ने उसका गर्भपात कराया। मगर जब मामला कोर्ट पहुंचा तो दुष्कर्म की बात गवाहों और साक्ष्यों के सामने नहीं टिक सकी।

सात माह की सुनवाई में ही अपर सत्र न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम) रवि कुमार दिवाकर ने फैसला सुना दिया। उन्होंने दुष्कर्म के आरोप में घिरे युसुफ उर्फ युसुब शाह को दोषमुक्त किया। मगर महिला का गर्भपात कराने के लिए युसुफ को उम्र कैद की सजा सुनाई है। साथ ही युसुफ पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

दुष्कर्म की बात निराधार होने के बाद भी पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट भेज दी। इसके लिए उन्होंने सीओ चमन सिंह चावड़ा, इंस्पेक्टर जगत सिंह व विवेचक दारोगा तेजपाल सिंह के विरुद्ध आइपीसी की धारा 219 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराने के आदेश दिए हैं।

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भोजीपुरा थाना क्षेत्र की रहने वाली एक महिला ने पिछले वर्ष मुकदमा दर्ज कराया। कहा कि उसके पति की मृत्यु हो गई। तो गुजारे के लिए वह एक प्लाईवुड कंपनी ने काम करने लगी। वहां पर उसकी मुलाकात युसुफ उर्फ युसुब शाह से हुई।

आरोप था कि आरोपित ने हमदर्दी दिखाकर करीबियां बनाना शुरू कर दिया। कहा कि वह उससे निकाह कर लेगा। आरोपित युसुफ ने महिला के कमरे पर भी आना जाना शुरू कर दिया। आरोप है कि आरोपित ने छह माह तक शारीरिक संबंध बनाए।

इस बीच जब वह गर्भवती हो गई तो युसुफ ने गर्भपात कराने की बात कही। महिला ने मना किया तो आरोपित ने बहला-फुसलाकर हवाई अड्डे के पास एक अस्पताल में भर्ती कराया। डाक्टर ने कुछ दवा बताई जिसे युसुफ व उसके रिश्तेदार ताहिर और जाबिर लेकर आए थे।

महिला का आरोप था कि गर्भपात होन के बाद आरोपित वापस नहीं आया। एक दिन उसके पिता ने आकर कहा कि युसुफ का पीछा छोड़ दें। जितने रुपये चाहिए ले लें। इसकी शिकायत महिला ने भोजीपुरा थाने में की तो दोनों का फैसला करा दिया गया। मगर फिर कुछ दिन युसुफ ने स्पष्ट मना कर दिया कि वह उसके साथ निकाह नहीं करेगा।

आरोप था कि आरोपित किसी दूसरी विधवा महिला से उसका निकाह करने की तैयारी कर रहा था। सरकारी वकील दिगंबर सिंह व सौरव तिवारी ने कोर्ट में छह गवाह पेश किए। पीड़ित ने अपनी जिरह में कहा कि आरोपित निकाह की बात कहकर शारीरिक संबंध बनाता रहा। बाद में किसी अन्य लड़की से निकाह करने की तैयारी करने लगा। तब उसने मुकदमा दर्ज कराया।

पत्रावली के परिशीलन से स्पष्ट हुआ कि पीड़ित के कमरे पर आरोपित उसके पति के जीवित रहते आता जाता था और तभी उसके शारीरिक संबंध बन गए थे। जो दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आ सकते।

अभियुक्त को गलत आरोप में फंसाया तो वादी व पुलिस को भी दंडित करना जरूरी

अपर सेशन जज फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम रवि कुमार दिवाकर ने अपने निर्णय में उल्लेख किया कि विवेचक दारोगा तेजपाल सिंह ने घटना को संदिग्ध मानने के बावजूद दुष्कर्म के आरोप में कोर्ट में चार्जशीट भेजकर अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया।

विवेचना का पर्यवेक्षण करने वाले तत्कालीन इंस्पेक्टर जगत सिंह, सीओ नवाबगंज चमन सिंह चावड़ा ने अपने अधिकारों का प्रयोग ना करके निष्पक्ष विवेचना में सहयोग नहीं किया। जितना ही अनिवार्य पीड़ित को न्याय प्रदान करना है, उतना ही अभियुक्त के अधिकारों की रक्षा करना भी है।

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निष्पक्ष विवेचना वादी का ही नहीं अभियुक्त का भी मौलिक अधिकार है। निर्णय में कहा गया कि यदि अभियुक्त को गलत आरोप में फंसाया जाता है तो वादी व पुलिस को भी दंडित किया जाना जरूरी है। भोजीपुरा पुलिस ने दुष्कर्म के आरोप में चार्जशीट भेज कर अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया।

विवेचक ने सच्चाई तलाशने का प्रयास नहीं किया। लिहाजा तीनों पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध धारा 219 आइपीसी के तहत कार्रवाई किए जाने के साथ सभी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई किया जाना भी जरूरी है। आदेश की एक प्रति एसएसपी को भी भेजी गई है।

पांच हफ्ते तीन दिन का था महिला का गर्भ

निर्णय में उल्लेखित है कि महिला का पांच हफ्ते तीन दिन का गर्भ था। जिसका युसुफ ने गर्भपात करा दिया। कोर्ट ने कहा है कि महिला के तहरीर में स्पष्ट लिखा है कि, उसके पति का देहांत हो चुका है। इसके बाद भी वह गर्भवती थी। इससे यह तो स्पष्ट हुआ कि वह बच्चा युसुफ का ही था।

कोर्ट ने कहा कि उसने दुष्कर्म तो नहीं किया, लेकिन महिला और उसके बच्चे को जान से मारने की धमकी दी और गर्भपात करा दिया। जिसके लिए उसे उम्र कैद की सजा सुनाई गई।

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