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न थाना न पुलिस... घर में ही रखा गिरफ्तार, फर्जी अदालत तक लगा दी; मेडिकल छात्रा ने सुनाई खौफ की आपबीती

मेडिकल छात्रा ने जागरण को बताया कि 21 फरवरी की सुबह एक अनजान नंबर से फोन आया। फोन करने वाले ने कहा कि आपका कूरियर आया है। कहा कि हमने कोई आर्डर नहीं किया है। इस पर उस ओर से कहा गया कि मैं कंपनी की हेल्पलाइन नंबर पर काल ट्रांसफर कर रहा हूं। बात कर लें। फिर जो हुआ जानने के लिए खबर पढ़ें...

By Anuj Mishra Edited By: Aysha Sheikh Updated: Wed, 29 May 2024 11:27 AM (IST)
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थाना न पुलिस... घर में ही रखा गिरफ्तार, फर्जी अदालत तक लगा दी; मेडिकल छात्रा ने सुनाई खौफ की आपबीती

अनुज मिश्रा, बरेली। इंटरनेट का दखल बढ़ने के साथ अपराध का तरीका बदल गया है। वे लूट बेखौफ कर रहे हैं, मगर बैठे-बैठे...मोबाइल व कंप्यूटर के जरिये। पलक झपके ही लोगों के खाते खाली करने की महारत हासिल कर ली है। इतना ही नहीं, हर साल-छह महीने में उनका अंदाज भी बदल जाता है। हाल फिलहाल में वे लोगों को घर में ही डिजिटल अरेस्ट यानी बंधक बनाकर रकम ऐंठ रहे हैं। एक निजी मेडिकल कालेज की छात्रा के साथ हुआ वाकया ज्यादा पुराना नहीं है।

साइबर ठगों की खतरनाक चाल में वे ऐसा फंसी, पुलिस न थाना...27 घंटे अपने कमरे में बंधक बनी रहीं। हैरानी यह कि वीडियो काल में ठग ने फर्जी अदालत व बहस तक का नजारा दिखा दिया, जिससे वह डर गईं और आठ लाख रुपये गंवा बैठीं, इसीलिए आज मेडिकल छात्रा की जुबानी उन 27 घंटों के खौफ की आपबीती पढ़िये...। जानिए, कैसे छात्रा साइबर ठगों के चंगुल में फंसीं और फंसतीं ही चलीं गईं। उन डरावने पलों को सामने लाने का उद्देश्य यह भी है ताकि आप सुरक्षित रहें, सतर्क रहें।

मेडिकल छात्रा एक निजी संस्थान से पढ़ाई कर रही हैं। घटना के तीन माह बीत गए, लेकिन जैसे ही बात छिड़ती है। उनके चेहरे का रंग उड़ जाता है। वह कहतीं हैं कि वह 27 घंटे शायद ही भूल पाऊं। साइबर ठगों ने इस कदर भयभीत किया कि न भूख लगी न प्यास। यहां तक कि यह सुध भी नहीं रही कि घरवालों से घटनाक्रम साझा कर लूं। बस यही बात दिमाग में चलती रही कि कैसे सुरक्षित बच निकलूं।

कुछ सवाल करती कि ठगों का नेटवर्क इतना व्यापक कि वह कानून बारीकियों में घेर लेते। बाकायदा थाने का ढांचा भी बना रखा था, जिसे वीडियो काल कर शिकार को दिखाया जाता। इन्हीं तमाम पेंचीदगियों में ठग उन्हें इस कदर उलझाए रहे, जिससे ठग के खाते में उन्होंने आठ लाख रुपये से अधिक जमा करा दिए।

मेडिकल छात्रा की जुबानी

मेडिकल छात्रा ने जागरण को बताया कि 21 फरवरी की सुबह एक अनजान नंबर से फोन आया। फोन करने वाले ने कहा कि आपका कूरियर आया है। कहा कि हमने कोई आर्डर नहीं किया है। इस पर उस ओर से कहा गया कि मैं कंपनी की हेल्पलाइन नंबर पर काल ट्रांसफर कर रहा हूं। बात कर लें। आधार कार्ड, खाता नंबर व अन्य जानकारी मांगी गई, जैसे ही यह जानकारी दी। साइबर ठग ने कहा कि आपके कागजात का प्रयोग नवाब मलिक मनी लांड्रिंग केस में हुआ है।

आपका खाते की रकम को होल्ड किया जा रहा है। पूछताछ होने तक रकम होल्ड रहेगी। यदि आपका रोल नहीं निकला, तब होल्ड हटवा दिया जाएगा। छात्रा कुछ सोच पाती कि वह ठग ने कानूनी दांव पेच शुरू किए। पुलिस अफसर से बात कराने लगा। बातचीत के बीच ही साइबर ठगों ने एफआइआर की फर्जी कापी भी वाट्सएप पर भेज दी। इसके बाद स्काइप काल की गई।

इस दौरान उससे कमरा बंद करा लिया और किसी के भी नहीं आने देने को कहा गया। इससे भयभीत हो गई। फिर ठग जैसा कहते गए, करती चली गईं। वीडियो काल पर पृष्ठभूमि थाने जैसी थी। एक झलक दिखाने के बाद वहां का कैमरा बंद कर दिया, लेकिन मेरा कैमरा चालू रखने को कहा। धीरे-धीरे वक्त बीतता गया। बहुत परेशान हो गई। इस दौरान आ रहे घर के फोन भी न उठा पाई कि क्या बताऊंगी।

परेशानी देख ठग ने कहा कि आप बच सकती हैं, लेकिन इसके लिए आपको संबंधित अधिकारी को रुपये देने होंगे। फिर वाट्सएप काल आई, जिसमें उसे खाते में मौजूद रकम ट्रांसफर करने के निर्देश मिले। डर के चलते छात्रा ने खाते में मौजूद आठ लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।

मुंबई का निकला कनेक्शन

साइबर थाना प्रभारी नीरज सिंह ने बताया कि शुरुआती जांच में सामने आया कि जिस नंबर से छात्रा को फोन किया गया, वह नंबर मुंबई के हैं। ऐसे में साफ है कि साइबर ठगों ने एक नेटवर्क बना रखा है जिसमें कानूनी दांवपेंच की पूरी बारीकियों का डर दिखाकर वसूली की जाती है। जागरूकता के चलते बची महिला डाक्टर को भी जिस नंबर से फोन किया गया, उसका कनेक्शन भी मुंबई से जुड़ा निकला। दोनों मामलों में ही नवाब मलिक मनी लांड्रिंग केस का डर दिखाया गया। ऐसे में दोनों प्रकरणों की मुंबई कनेक्शन पर ही जांच चल रही है।

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