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Lok Sabha Election: कौन हैं पूर्व विधायक नीरज मौर्य, जिन्हें सपा ने बनाया है आंवला का प्रत्याशी, इन नेताओं का दावा नहीं टिका

Lok Sabha Election स्थानीय अगम मौर्य बीडी वर्मा नरेश सोलंकी का दावा नहीं टिका सपा जिलाध्यक्ष बोले नेतृत्व का निर्णय उचित। स्वामी प्रसाद मौर्य सलीम इकबाल शेरवानी के बागी रुख से जूझ रही पार्टी के प्रमुख नेताओं को फिर भी यकीन है...सबकुछ ठीक होगा। नेतृत्व के निर्णय से कोई कार्यकर्ता बाहर नहीं है। स्थानीय-बाहरी का तर्क क्षणिक हो सकता है मगर सब मिलकर प्रत्याशी को दम देंगे।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Tue, 20 Feb 2024 09:37 AM (IST)
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UP News: आंवला में जलालाबाद के पूर्व विधायक नीरज प्रत्याशी।
अभिषेक पांडेय, बरेली। मंडल की तीन सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर सपा टिकट के दौड़ में आगे निकली मगर, अंदखाने खींचतान जैसी स्थिति भी बनने लगी।

सोमवार को पार्टी नेतृत्व ने आंवला में जलालाबाद के पूर्व विधायक नीरज मौर्य को प्रत्याशी बनाया। इसके साथ ही स्थानीय और बाहरी की बहस भी शुरू हो गई। कुछ नेता संकेतों से टीस का एहसास करा रहे, जबकि छोटे नेता इसे इंटरनेट मीडिया पर प्रकट करने लगे। 

तय था कि पिछड़ा वर्ग को ही वरीयता मिलेगी

आंवला सीट के समीकरण देखते हुए तय था कि पिछड़ा वर्ग को ही वरीयता मिलेगी। भाजपा के धर्मेंद्र कश्यप यहां से सांसद हैं, जोकि इस बार भी तैयारी कर रहे। सपा पीडीए (पिछड़ा-दलित अल्पसंख्यक) फार्मूले के आधार पर पिछड़ा वर्ग के प्रत्याशी पर विचार कर रही थी। इसके लिए पूर्व जिलाध्यक्ष अगम मौर्य, नरेश सोलंकी, बीडी वर्मा और नीरज मौर्य की दावेदारी हुई।

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दो बार के विधायक रहे नीरज मौर्य

  • पार्टी ने स्थानीय से बेहतर जलालाबाद के पूर्व विधायक नीरज मौर्य को माना।
  • दो बार विधायक रह चुके नीरज मौर्य बसपा में थे
  • वर्ष 2017 में भाजपा में शामिल हुए।
  • बीते विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट पर संकट भांपकर वह सपा में शामिल हो गए थे।
  • उस समय चर्चा थी कि स्वामी प्रसाद मौर्य के सपाई होने पर नीरज मौर्य और रोशनलाल वर्मा ने उनके कद को दम दी। हालांकि, सपाई होने के बाद नीरज मौर्य पार्टी में पैठ बढ़ाते गए।
  • वह पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को भरोसा दिलाने में कामयाब रहे कि मौर्य-शाक्य वोट बैंक को आधार बनाने के साथ ही यादव-मुस्लिम मतदाताओं की जुगलबंदी भी रहेगी।

जलालाबाद से नया चेहरा नहीं

जलालाबाद क्षेत्र का एक हिस्सा आंवला संसदीय सीट से सटा हुआ भी है। ऐसे में वह नया चेहरा नहीं, बल्कि पड़ोसी क्षेत्र के पूर्व विधायक हैं। संगठन के नेता स्वीकारते हैं कि इन तर्कों ने नीरज मौर्य के टिकट को नींव दी। इस टिकट के सहारे पार्टी यह भी दिखाना चाहती है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बागी रुख से मंडल में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

पार्टी उन पर ध्यान देने के स्थान पर सीधे तौर पर मौर्य प्रत्याशी को मैदान में उतारकर सजातीय मतदाताओं को संदेश देना चाहती है। इस तीर से दूसरा निशाना भी लगाया गया है...स्वामी को मंडल में कोई सहारा मिलने या तोड़फोड़ का मौका न दिया जाए।

पार्टी नेतृत्व का निर्णय उचित है। आंवला संसदीय क्षेत्र से नीरज मौर्य को प्रत्याशी बनाया गया है। सभी कार्यकर्ता उनकी जीत के लिए मेहनत करेंगे। -शिवचरन कश्यप, जिलाध्यक्ष, सपा

इंटरनेट मीडिया पर बहस और टिकट का आधार

आंवला सीट से प्रत्याशी की घोषणा के बाद सपा के कुछ वाट्सएप ग्रुप और इंटरनेट मीडिया पर तल्खी दिखाई जाने लगी। दावेदारी करने वाले कुछ नेताओं के समर्थकों ने नाराजगी जताई। कुछ नेताओं ने तो बदलाव के तर्क भी दिए।

इससे इतर, संगठन पदाधिकारियों का कहना है कि नेतृत्व ने उचित निर्णय लिया। उनका दावा है कि आंवला क्षेत्र के दो लाख मौर्य, दो लाख यादव, पांच लाख मुस्लिम मतदाता जीत का रास्ता तैयार करेंगे। पूर्व में सपा मौर्य वोटरों तक नहीं पहुंच पा रही थी, यह कमी दूर कर दी गई। 

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